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शादी के बाद क्यों बढ़ता है वज़न? जानें टॉप 10 कारण (Top 10 Reasons For Weight Gain After Marriage)

अगर आपकी नई-नई शादी (New Marriage) हुई है और अचानक से अपने बढ़े हुए वज़न (Increased Weight) को लेकर आपके मन में कई सवाल उठे हैं और आप परेशान हैं, तो परेशान न हों. आपके सभी सवालों के जवाब यहां आपको मिलेंगे कि आख़िर शादी के बाद आपका वज़न इतनी तेज़ी से क्यों बढ़ा है? द ओबेसिटी जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक शादी के 5 साल के भीतर 82% कपल्स का वज़न 5-10 किलो तक बढ़ जाता है. इसमें महिलाओं का वज़न पुरुषों के मुकाबले ज़्यादा तेज़ी से बढ़ता है. लाइफस्टाइल में बदलाव के अलावा और क्या हैं कारण?

1. खानपान की आदतों में बदलाव

आपके मायके और ससुराल के खानपान में अंतर है. मसाले और पकाने की टेक्नीक दोनों जगह अलग है, जिसके कारण आपकी पाचनक्रिया पर इसका प्रभाव पड़ता है. इसके अलावा मायके खाने के बाद टहलना, मॉर्निंग वॉक जैसी चीज़ें आपके रूटीन में शामिल थीं, जो यहां नहीं हैं.

2. अक्सर बाहर खाना

शादी के बाद से ही दोस्तों, रिश्तेदारों के यहां खाने का सिलसिला जो शुरू होता है, वो कई हफ़्तों तक जारी रहता है. इस बीच हनीमून पर आप बेरोक-टोक हर तरह के खाने को एंजॉय करते हैं, जिससे ज़रूरत से ज़्यादा कैलोरीज़ खा लेते हैं.

3. प्राथमिकताएं बदल जाती हैं

शादी के बाद आप पति और ससुरालवालों की पसंद से खाना बनाती हैं और इंप्रेस करने के चक्कर में ख़ूब घी, तेल, मसाला इस्तेमाल करती हैं. इतनी मेहनत से बनाया खाना ख़राब न हो, इस चक्कर में ओवरईटिंग भी कर लेती हैं. समय के साथ बदली ये प्राथमिकताएं आपका वज़न बढ़ाने के लिए ज़िम्मेदार हैं.

4. लापरवाह हो जाती हैं

शादी के दिन स्टनिंग दिखने के लिए खाने-पीने पर ध्यान रखना, एक्सरसाइज़ करना, स्ट्रेस न लेना जैसी चीज़ें शादी के बाद लगभग पूरी तरह बदल जाती हैं. न चाहते हुए भी स्ट्रेस आ ही जाता है और बाकी कामों के चलते एक्सरसाइज़ का व़क्त नहीं मिलता. खाने का समय बदल जाता है और कहीं न कहीं यह सोच घर कर जाती है कि अब तो शादी हो गई, अब क्या फ़र्क़ पड़ता है.

5. नींद की कमी

शादी के बाद सोने का समय और पैटर्न दोनों ही बदल जाते हैं, जिससे नींद पूरी नहीं हो पाती. नींद की कमी भी वज़न बढ़ने का एक कारण है.

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6. पार्टनर का पैंपर करना

शादी के बाद सभी कपल्स एक-दूसरे पर अपना प्यार न्योछावर करने और ख़ुश रखने में कोई कसर नहीं छोड़ते. एक-दूसरे को पैंपर करने के लिए केक, पेस्ट्रीज़, चॉकलेट्स, पिज़्ज़ा, पास्ता जैसी सरप्राइज़ ट्रीट देते रहते हैं. कैलोरीज़ से भरपूर ये फैटी चीज़ें वज़न बढ़ाती हैं.

7. स्ट्रेस ईटिंग करना

शादी के बाद नए माहौल में ढलना थोड़ा मुश्किल होता है, ऐसे में अगर दुल्हन वर्किंग है, तो उसकी ज़िम्मेदारियां और भी बढ़ जाती है. ऑफिस के साथ-साथ घर पर भी अपना बेस्ट देने की कोशिश में हमेशा स्ट्रेस में रहती हैं और स्ट्रेस ईटिंग की शिकार हो जाती है.

8. हार्मोनल बदलाव

लाइफस्टाइल में बदलाव के कारण शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसके कारण तेज़ी से वज़न बढ़ता है. इसके अलावा सेक्सुअल एक्टिविटीज़ के कारण होनेवाले हार्मोनल बदलाव भी इसका कारण बनते हैं. हांलाकि कुछ लोग इसे मिथ मानते हैं, पर वज़न बढ़ाने में हार्मोंस का अहम् रोल होता है, यह सभी मानते हैं.

9. मेटाबॉलिक बदलाव

आजकल ज़्यादातर कपल्स 28-30 साल की उम्र में शादी करते हैं. इस समय शरीर के मेटाबॉलिक रेट में बदलाव आता है, जिससे वज़न पहले के मुकाबले ज़्यादा तेज़ी से बढ़ता है.

10. प्रेग्नेंसी

बहुत-सी महिलाएं शादी के बाद ही कंसीव कर लेती हैं, जिससे परिवारवाले उसे पैंपर करने के लिए ओवर न्यूट्रीशियस चीज़ें खिलाते हैं, जिसे  डिलीवरी के बाद भी वो कम नहीं कर पातीं.

वेट कंट्रोल के लिए क्या करें?

– घर में हर कोई खाना खा ले, उसके बाद मैं खाऊंगी वाला एटीट्यूट बदलें. नियमित समय पर खाना खाएं. ओवरईटिंग से बचें.

– अपने लुक्स के प्रति लापरवाह न हों.

– स्ट्रेस ईटिंग से बचने के लिए ख़ुद को ख़ुश रखें.

– एक-दूसरे के साथ ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताने के लिए योगा क्लासेस या जिम जॉइन करें.

– अनीता सिंह     

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Aneeta Singh

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पहला अफेयर: चूड़ियों  की खनक (Pahla Affair… Love Story: Choodiyon Ki Khanak)

जीवन में प्रेम जब दस्तक देता है तो उसका एहसास अत्यंत ख़ूबसूरत होता है और वो भी मेरे जैसे नीरस इंसान के लिएजिसके लिए प्रेम और उसका एहसास मात्र लैला-मजनू, हीर-रांझा वाले किताबों के काल्पनिक क़िस्से थे, पर जब तुम्हें पहली बार देखा तो मैं भी प्रेम के एहसास से रु-ब-रु हो गया.  वो काल्पनिक क़िस्से मुझे यथार्थ से लगने लगे थे. मुझे किंचित भी आभास न हुआ कि कब तुम मेनका बन आयी और मेरी विश्वामित्रि तपस्या भंग कर मेरे दिल में समाती चली गईं. उस दिन जब पहली बार तुम्हें मेले में चूड़ियों की दुकान परदेखा था तो मंत्र-मुग्ध-सा तुम्हें देखता ही रह गया. सलोना-सा मासूम चेहरा, कज़रारी आंखें और खुले लम्बे काले बालतुम्हारी सुंदरता में चार चांद लगा रहे थे. तुम्हारे हाथों में ढेर सारी चूड़ियां, उनकी खनखनाहट मेरे कानों में सरगम का रस घोल रहीं थीं. हर बात पर तुम्हारा चूड़ियों का खनखनाना मुझे मंत्रमुग्ध कर रहा था. उस दिन तुम सफ़ेद कलमकारी वाली कढ़ाई वाले सूट में अनछुई चांद की चांदनी लग रही थी. अनिमेश दृष्टि से तुम्हें देखता मैं जड़ चेतन हो गया था. तुम्हारी चूड़ियों की खनक से मैं वापिस यथार्थ के धरातल पर आ गया. मैं भी अपनी बहन के लिए चूड़ियां ख़रीदने आया था, तभी इत्तेफाकन ही हम दोनों ने एक लाल रंग की चूड़ी पर हाथ  लगा कर अपनी पसंद दुकानदार को ज़ाहिर कर दी. तुम्हारे कोमल हाथों के स्पर्श से मैं एकदम सिहर-सा  गया. तुम तो वहां से चली गईं, साथ में मेरा दिल और चैन भी ले गई. मैं मोहब्बत के अथाह सागर की गहराइयों मेंगोते खाने लगा. मुझे तुम्हारा नाम-पता कुछ भी नहीं मालूम था. मैं बस तुम्हारी एक झलक पाने के लिए बेचैन-सा रहने लगा था. कहते हैं ना मन की गहरियों से ढूंढ़ो तो भगवान भी मिल जाते हैं, अंतत: मैंने तुम्हारे बारे में पता लगा ही लिया. तुम तो मेरे सामने वाले कॉलेज में पढ़ती थीं और रोज़ बस से कॉलेज जाती थी. इतना नज़दीक पता मिलने से मेरी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा. मैं रोज़ तुम्हारी चूड़ियों की खनखनाहट सुनने के लिए बस स्टॉप पर तुम्हारा इंतज़ार करने लगा… और तुम, तुम तोमुझे देख कर भी अनदेखा करने लगी. तुम्हारी अनदेखी मुझे बहुत तकलीफ़ देती थी, लेकिन फिर एक दिन मैंने किसी तरह हिम्मत जुटाई और अपने दिल की बात बताने की ठानी, लेकिन तब तुमसे बात करने की कोशिश में पता  चला ईश्वर ने तुम्हें फ़ुर्सत से गढ़ा था, पर वोतुम्हें आवाज़ देना भूल गया…और यही चूड़ियों की खनक ही तुम्हारी आवाज़ थी…तुम्हारी भाषा थी. तुम्हें डर था कि तुम्हारा यह सचजानकर कहीं मैं तुम्हें छोड़ न दूं, पर कहते हैं न "मोहब्बत कभी अल्फ़ाज़ों की मोहताज नहीं होती, ये तो वो ख़ूबसूरत एहसास है जिसमें आवाज़ की ज़रूरत नहीं होती" मैंने तो तुम्हें मन की गहराइयों से निस्वार्थ प्रेम किया था. और प्रेम तो समर्पण और त्याग की मूरत है और मैं इतना स्वार्थी नहीं था. धीरे -धीरे मैंने भी तुम्हारी और तुम्हारी चूड़ियों  की भाषा सीख ली. तुम्हारी इन चूड़ियों की खनक में सम्पूर्ण जीवनगुज़ारने का एक सुंदर सपना संजोने लगा. समय के साथ कब तुम्हारा कॉलेज पूरा हो गया पता ही नहीं चला. तुम आगेपढ़ना चाहती थीं… एक शिक्षिका बन कर अपने जैसे मूक लोगों के लिए प्रेरणा बन उन्हें राह दिखाकर उन्हें उनकी मंज़िल तक पहुंचाना चाहती थीं. बस फिर क्या था, तुम्हारे इसी हौसले और हिम्मत के आगे मैं नतमस्तक हो गया. एक-एक दिन तुम्हारे इंतज़ार और मिलनेकी आस में काट रहा था और आख़िर तुम्हारा सपना पूरा हो गया. मैंने भी अपने सपने को पूरा कर तुम्हें अपना हमसफ़र बना लिया और तुम्हारी इन चूड़ियों की खनक को हमेशा के लिए अपने जीवन की सरगम बना लिया.…

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