जानें अपने सिरदर्द को(Types of Headaches: Causes & How to Get Rid of Them)

बदलती जीवनशैली और बढ़ते तनाव से सिरदर्द की शिकायत आम बात हो गई है. सिरदर्द होने के अनेक कारण होते हैं, लेकिन यदि इन कारणों…

बदलती जीवनशैली और बढ़ते तनाव से सिरदर्द की शिकायत आम बात हो गई है. सिरदर्द होने के अनेक कारण होते हैं, लेकिन यदि इन कारणों की पूरी और सही जानकारी न हो, तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं. सिरदर्द के प्रकार, कारण और उनकी सावधानियों के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं मुंबई के जाने-माने न्यूरो सर्जन डॉ. विनायक जोशी.

किन कारणों से होता है सिरदर्द?

1 मस्तिष्क के आसपास के भाग (जिसे डूयामेटर कहते हैं) के खिंचने के कारण सिर में दर्द होता है.
1 मस्तिष्क के ब्लड वेसल्स की दीवारों में नर्व एंडिंग होते हैं, जिनके खिंचने से सिर में दर्द होता है.
1 नाक के आसपास हवा की थैलियां होती हैं, जिसे साइनस कहते हैं. इसमें सूजन आने के कारण सिर में दर्द होता है.
1 स्पॉन्डिलाइटिस के कारण भी सिरदर्द होता है.

सिरदर्द के प्रकार
1. माइग्रेन

आज की व्यस्त और तनावभरी जीवनशैली में माइग्रेन एक आम समस्या है, जो पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होता है. माइग्रेन सिर के एक हिस्से में या दोनों तरफ़ होता है. यह दर्द 4 से 12 घंटे तक रहता है. कभी-कभी तो 12 घंटे से ज़्यादा देर तक भी हो सकता है.

 

कारण

मस्तिष्क को ऑक्सीजन और ग्लूकोज़ की आवश्यकता होती है और ये दोनों ही न मिलने पर ब्लड वेसल्स का आकार धीरे-धीरे बढ़ने लगता है. एक स्तर के बाद इन वेसल्स में खिंचाव आना शुरू हो जाता है, जिसके कारण माइग्रेन होता है. इसके अलावा माइग्रेन के कुुछ अन्य कारण भी हैं:
– हार्मोंस में परिवर्तन.
– नींद पूरी न होना और अधिक समय तक भूखा रहना.
– अधिक तनाव और खान-पान की ग़लत आदतें.
– आनुवांशिक कारण.
लक्षण

– जी घबराना, उल्टी होना, सिर भारी होना आदि.
– फोटोफोबिया (लाइट) और मोनोफोबिया (आवाज़) सहन न होना.
– कान और गर्दन के आसपास की नसें फूली हुई लगती हैं और तेज़ दर्द महसूस होने लगता है.
– दर्द की तीव्रता धीरे-धीरे बढ़ने लगती है.
सावधानियां

– 4 घंटे से ज़्यादा देर तक भूखे न रहें.
– अधिक से अधिक पानी पीएं.
– एनीमिया से बचें, क्योंकि हीमोग्लोबिन की कमी होने पर शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है.
– शरीर में शुगर का लेवल कम न होने दें. शुगर की मात्रा कम होने के कारण ब्लड सेल्स भी कम हो जाते हैं, जिसके कारण माइग्रेन होता है.
– मानसिक तनाव से बचें.
– अधिक दर्द होने पर डॉक्टरी सलाह के अनुसार प्रिवेंटिव मेडिसिन लें.

2. टेंशन हेडेक

माइग्रेन के बाद टेंशन हेडेक एक आम बीमारी है, जो 90 फीसदी लोगों को होती है. यह दर्द पुरुष और महिला, दोनों में समान रूप से होता है. इस दर्द में रिलैक्सेशन टेकनीक और फिज़ियोथेरेपी से काफ़ी राहत मिलती है.
कारण

– चश्मे का नंबर बढ़ना.
– शारीरिक व मानसिक तनाव.
– ग़लत पोश्‍चर में बैठना.
– एंज़ाइटी, थकान और अधिक शारीरिक श्रम.
– दांतों की बीमारियां.
लक्षण

– आंखों का भारी होना.
– पूरे सिर या बालों की जड़ों में दर्द होना.
– कान, गले और जबड़े की मसल्स में ऐंठन होना.
– सिर का फीते से बंधा हुआ महसूस होना.
सावधानियां

– मानसिक तनाव से बचें.
– ज़्यादा देर तक कंप्यूटर पर काम न करें.
– कंप्यूटर पर काम करते समय सही पोश्‍चर में बैठें.
– बहुत ठंडे ड्रिंक्स और फूड खाने से भी टेंशन हेडेक हो सकता है, इसलिए बहुत अधिक ठंडे ड्रिंक्स और फूड न खाएं.

3. मेडिकेशन ओवरयूज़ हेडेक/रिबॉन्ड हेडेक

कई बार कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट्स से मस्तिष्क की नसें फूल जाती हैं, विशेष रूप से हार्ट और ब्लड प्रेशर की दवाओं के कारण सिर में दर्द शुरू हो जाता है. यह दर्द भी माइग्रेन की तरह कनपटी के आसपास होता है.
कारण

आम पेन किलर दवाएं, जैसे- एस्प्रिन आदि का रोज़ाना अधिक मात्रा में सेवन.
लक्षण

– बेचैनी, गर्दन में दर्द होना, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन और नाक बंद होना.
– सुबह उठते ही सिरदर्द शुरू होता है, जो दिनभर बना रहता है.
सावधानियां

– अधिक मात्रा में दर्द निवारक दवाएं लेने से शरीर की दर्द सहन करने की क्षमता कम हो जाती है. इसलिए जब तक बहुत ज़रूरी न हो, तब तक ये दर्द निवारक दवाएं न लें.
– सप्ताह में एक या दो से अधिक बार सिरदर्द की गोलियां न लें.
– डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं ही लेें.
– दर्द निवारक दवाएं लेते समय कैफीन बेस्ड प्रोडक्ट्स न लें.
– एक्सरसाइज़, वॉक और प्राणायाम करें.

4. क्लस्टर हैडेक

यह सिरदर्द भी माइग्रेन की तरह अधिक पेनफुल होता है, लेकिन महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को अधिक होता है. यह दर्द एक आंख या दोनों आंखों के आसपास होता है. दर्द तेज़ होने पर आंखों से पानी निकलने लगता है. कई बार यह दर्द नेज़ल कंजेशन और नाक बहने के कारण भी होेता है. यह दर्द 2 तरह का होता है- एपिसोडिक और क्रॉनिक हेडेक. एपिसोडिक हेडेक एक-तीन महीने के अंतराल में होता है, जबकि क्रॉनिक हेडेक जल्दी-जल्दी होता है.
कारण

अल्कोहल या सिगरेट आदि की तेज़ गंध से सिरदर्द होना.

लक्षण

– आंखों से पानी आना.
– आंखों में सूजन और तेज़ दर्द होना.
– नाक का बहना या बंद होना.
– थकान व बेचैनी महसूस होना.
– पलकों के आसपास सूजन होना.
– सिर के एक तरफ़ दर्द होना.
– कुछ लोगों को कनपटी के आसपास भी दर्द होता है.
सावधानियां

– क्लस्टर हेडेक होने पर तुरंत प्रिवेंटिव मेडिकेशन लें.
– तेज़ गंध, जैसे- अल्कोहल, सिगरेट या परफ्यूम का इस्तेमाल न करें.
– क्लस्टर हेडेक से बचने के लिए तनाव को कम करें.
– पर्याप्त नींद लें.
– सिरदर्द के दौरान अल्कोहल का सेवन न करें. क्योंकि इसकी तेज़ गंध से सिरदर्द हो सकता है.

5. साइनस हेडेक

नाक के आसपास की हड्डियों में फ्रोन्टल, मैग्ज़ीलरी आदि जैसे एयर बैग्स होते हैं, जिन्हें साइनस कहते हैं. इन एयर बैग्स में सर्दी-ज़ुकाम और एलर्जी के कारण सूजन आने पर फोरहेड, चीकबोन और नाक के टी ज़ोन में दर्द होता है, जिसे साइनस हेडेक कहते है.
कारण 

साइनस हेडेक मुख्यत: साइनस इंफेक्शन या एलर्जी (कोल्ड/फ्लू) के कारण होता है.
लक्षण

– नाक बहना, चेहरे पर सूजन और बुख़ार आना.
– आंख, गाल और जबड़े के आसपास दर्द होना.
– गले में खराश, हल्का-सा बुख़ार, बेचैनी, थकान, नेज़ल कंजेशन आदि.
– नाक से पीले और हरे रंग का डिस्चार्ज होना.
सावधानियां

साइनस हेडेक होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
– बार-बार साइनस हेडेक होने पर ईएनटी स्पेशलिस्ट को दिखाएं, वरना स्थिति गंभीर होने पर ऑपरेशन भी करना पड़ सकता है.
– एक्सरसाइज़, प्राणायाम और फिज़ियोथेरेपी से भी साइनस हेडेक में काफ़ी राहत मिलती है.

– पूनम नागेंद्र शर्मा

Share
Published by
Meri Saheli Team

Recent Posts

नवरात्रि स्पेशल- देवी कूष्मांडा (Navratri Special- Devi Kushmanda)

आज नवरात्रि के चौथे दिन अंबे मां के चौथे स्वरूप कूष्मांडा की पूजा-आराधना की जाएगी.…

कहानी- एक फांस (Short Story- Ek Phans)

“तुम्हें याद है हमारी पहली मुलाक़ात भी इसी तरह हुई थी. लाइब्रेरी में दोनों के…

© Merisaheli