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बच्चों में वीडियो गेम की आदत (Video Game Addiction In Children)

वीडियो गेम डेवलपर वीडियो गेम्स इस तरह डिज़ाइन करते हैं कि यही उनके बिज़नेस की सफलता का राज़ होता है. वे डाटा इकट्ठा करते हैं…

वीडियो गेम डेवलपर वीडियो गेम्स इस तरह डिज़ाइन करते हैं कि यही उनके बिज़नेस की सफलता का राज़ होता है. वे डाटा इकट्ठा करते हैं और बाद में उस गेम्स को उसी वर्जन में प्रमोट करते हैं, जिसे सबसे अधिक पसंद किया जाता है. ये डेवलपर बच्चों के दिमाग़ के साथ खेलते हैं.

विलियम स्यू, जो एक वीडियो गेम डेवलपर हैं. वह पिछले 13 सालों से वीडियो गेम बना रहे हैं. उनकी कंपनी ने अब तक 50 से अधिक गेम्स बनाए हैं, पर उन्होंने कभी अपनी बेटी को गेम्स नहीं खेलने दिया.
वीडियो गेम की लत नशे की तरह ही आदी बना देती है. यह बात सच है कि पैरेंट्स अपने बच्चों को वीडियो गेम से दूर रखने की पूरी कोशिश करते हैं. वीडियो गेम डेवलपर लोगों की वीडियो गेम की लत से पूरी तरह वाकिफ़ होते हैं. वे बच्चों तथा युवाओं में इस लत को लगाने के लिए अधिक प्रोत्साहित करते हैं और उन्हें इसका आदी बनाते हैं.

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वीडियो गेम दिमाग़ के साथ खेलता है
वीडियो गेम डेवलपर वीडियो गेम्स इस तरह डिज़ाइन करते हैं कि यही उनके बिज़नेस की सफलता का राज़ होता है. वे डाटा इकट्ठा करते हैं और बाद में उस गेम्स को उसी वर्जन में प्रमोट करते हैं, जिसे सबसे अधिक पसंद किया जाता है. ये डेवलपर बच्चों के दिमाग़ के साथ खेलते हैं. वीडियो गेम खेलते समय यूज़र का दिमाग़ डोटामाइन के परमाणुओं को बाहर निकालता है, जिससे उसे अच्छा लगता है और वह खेलता रहता है. धीरे-धीरे उसे लत लग जाती है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, वीडियो गेम्स की लत पारिवारिक, सामाजिक और शैक्षणिक जीवन को बर्बाद कर देती है.

बच्चों में कैसे पड़ती है गेम्स की आदत?
विलियम स्यू केंडी क्रश का उदाहरण देकर समझाते हैं कि केंडी क्रश में लाइव्स दिया जाता है. एक दिन में पांच. जब गेम्स खेलनेवाला हार जाता है, तो एक लाइव्स चली जाती है. फिर जब तक वह रिचार्ज नहीं होगी, गेम्स खेला नहीं जा सकता. गेम्स बंद करना खिलाड़ी की इच्छा को बढ़ाने की एक टेक्निक है और वीडियो गेम डेवलपर इसका भलीभांति उपयोग करते हैं.

यह आदत बच्चों को बीमार बना देती है
इसके लिए छह साल के जो बच्चे गेम्स खेलते थे, उन पर अध्ययन किया गया. ज़्यादातर बच्चों में कोई समस्या नहीं थी, पर 10 प्रतिशत बच्चे बीमार हो गए थे, फिर भी उन्होंने गेम्स खेलना बंद नहीं किया था. बड़े होने तक ये बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो गए थे. ग़ुस्सा और शर्म भी उनमें उनकी उम्र के बच्चों की अपेक्षा अधिक थी. निर्णय लेने की शक्ति ख़त्म हो गई थी. सुबह उठते ही वे गेम्स खेलने में लग जाते थे.

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इस तरह छुड़ाएं आदत

  1. पैरेंट्स को वीडियो गेम्स के नुक़सान की जानकारी होती ही है, इसलिए वे बच्चों की आदतों को ट्रैक करें.
  2. गूगल की डिजिटल वेलबीइंग या एप्पल की स्क्रीन टाइम सुविधा के साथ स्क्रीन टाइम को नोट करें.
  3. गजैट्स से दूर रहना मुश्किल है, इसलिए बच्चों में दैनिक जीवन और स्क्रीन समय को बैलेंस करें.

वीरेंद्र सिंह

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Photo Courtesy: Freepik

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