शादी का रिश्ता तय करते समय बहुत सारी बातों का ध्यान रखा जाता है. होनेवाले वर-वधु के परिवार से लेकर एजुकेशन तक. इसके अलावा एक और बात पर गौर किया जाता है वो है कि वर-वधु में उम्र का कितना अंतर है. हालांकि अब वक्त के साथ लोगों की सोच में काफी बदलाव आया है. आज पति-पत्नी के बीच उम्र का अंतर कम हो या ज़्यादा, मायने नहीं रखता. लेकिन घर के बड़े-बुजुर्ग आज भी मानते हैं कि लड़के की उम्र लड़की से बड़ी होनी चाहिए. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सक्सेसफुल मैरिज लाइफ के लिए पति-पत्नी के बीच कितना एज गैप होना चाहिए और इस बारे में साइंस क्या कहता है. नहीं न? तो चलिए हम आपको बताते हैं.
पति-पत्नी के बीच उम्र के फासले को लेकर क्या कहती है रिसर्च
सक्सेसफुल मैरिज लाइफ के लिए कपल के बीच उम्र का कितना फ़ासला होना चाहिए, ये जानने के लिए अटलांटा के एमोरी विश्वविद्यालय ने तीन हज़ार लोगों पर रिसर्च किया. इस रिसर्च में रिलेशनशिप, शादी, तलाक और बच्चों पर कुछ महत्वपूर्ण डेटा प्राप्त हुआ. अगर आप भी शादी कर अपना घर बसाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो ये रिसर्च आपके बहुत काम आ सकती है. तो चलिए जानते हैं क्या कहती है रिसर्च-
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि शादी के लिए लड़के-लड़की की उम्र का अंतर बहुत मायने रखता है. उनके अनुसार पति उम्र में पत्नी से बड़ा होना चाहिए और दोनों के बीच 4-5 साल का अंतर होना चाहिए. शादी के लिए उम्र को लेकर एक्सपर्ट्स के कुछ बायोलॉजिकल तर्क हैं.
मैच्योरिटी लेवलः एक्सपर्ट्स के अनुसार लड़के और लड़की के मैच्योरिटी लेवल में फर्क होता है. लड़कियां 12 से 14 साल की उम्र में प्यूबर्टी पर पहुंच जाती हैं, वहीं लड़के इस स्टेज पर 14 से 17 साल की उम्र में पहुंचते हैं. लड़कियां जल्दी मैच्योर हो जाती हैं, जबकि लड़कों में मैच्योरिटी देरी से आती है. सक्सेसफुल मैरिड लाइफ के लिए मैच्योरिटी बहुत ज़रूरी है. इसलिए लड़के का उम्र में बड़ा होना भी ज़रूरी है.
हार्मोनल चेंजः एक उम्र के बाद हार्मोन्स में बदलाव होने के कारण लड़कियों पर उम्र का जल्दी असर होने लगता है. अगर पति-पत्नी एक उम्र के होंगे तो पत्नी, पति से ज्यादा बूढ़ी दिखेगी, इसलिए भी दोनों की उम्र के बीच अंतर होना ज़रूरी है.
ज़िम्मेदारी का एहसासः एक रिपोर्ट के अनुसार लड़कों में रिस्पॉन्सिबिलिटी की फीलिंग 26 साल की उम्र तक आती है, जबकि यही फीलिंग लड़कियों में 5 साल पहले आ चुकी होती है. लड़कों को भावनात्मक रूप से मैच्योर होने में अधिक समय लगता है. अगर लड़का उम्र में बड़ा होगा तो वह अपनी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह समझ पाएगा. साथ ही अपने पार्टनर की हेल्प भी करेगा. लेकिन अगर दोनों एक ही उम्र के होंगे, तो ये रिस्पॉन्सिबिलिटी वाली फीलिंग गायब ही रहेगी, जिससे दोनों के रिश्ते में प्रॉब्लम्स आ सकती हैं.
रिस्पेक्ट की फीलिंगः अगर पति-पत्नी एक ही उम्र के होंगे या उनमें उम्र का अंतर बहुत कम होगा तो दोनों में एक-दूसरे के लिए रिस्पेक्ट की फीलिंग कम होगी. यदि पति उम्र में बड़ा है तो पत्नी उसके डिसीजन को रिस्पेक्ट देगी और दोनों के बीच प्यार व सम्मान बढ़ेगा.
म्युचुअल अंडरस्टैंडिंग की कमीः जिस कपल की उम्र एक समान होती है, उनमें म्युचुअल अंडरस्टैंडिंग कम होती है, उनकी सोच में टकराव होने की भी संभावना ज्यादा होती है. सोच नहीं मिलने पर रिश्ते में तनाव बढ़ता है और छोटी-मोटी बातों पर भी विवाद हो जाता है. जबकि पति-पत्नी के बीच आदर्श एज गैप दोनों के बीच की अंडरस्टैंडिंग को स्ट्रॉन्ग बनाता है, दोनों का ईगो क्लैश नहीं होता और आपसी प्यार बना रहता है.
एक-दूसरे के प्रति आकर्षणः हर पति की चाहत होती है कि उसकी पत्नी आकर्षक, सुंदर और यंग नज़र आए, वहीं पत्नी के लिए पति का प्यार मायने रखता है. कोई भी रिश्ता तभी लंबे समय तक चल सकता है जब आपसी प्यार बना रहे. यह तभी संभव है जब लड़की की उम्र लड़के से कम हो. ऐसे में पति-पत्नी में अट्रैक्शन बना रहता है, जो रिश्ते को मजबूत बनाने का काम करता है.
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