बॉलीवुड के सुपरस्टार रणवीर सिंह इन दिनों अपनी फिल्म 'जयेशभाई जोरदार' को लेकर काफी ज्यादा सुर्खियों में हैं. यशराज फिल्म्स के बैनर तले बनी ये…
बॉलीवुड के सुपरस्टार रणवीर सिंह इन दिनों अपनी फिल्म ‘जयेशभाई जोरदार’ को लेकर काफी ज्यादा सुर्खियों में हैं. यशराज फिल्म्स के बैनर तले बनी ये फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है, जिसे लोगों का भरपूर प्यारा मिल रहा है. गुजराती पैटर्न पर बनी इस फिल्म में रणवीर सिंह ने जयेश भाई का किरदार निभाया है. अपने हर फिल्म के किरदार की तरह इस फिल्म के किरदार में भी एक्टर ने पूरी तरह से जान डालने का काम किया है.
रणबीर सिंह के बारे में इतना तो कहा जा सकता है कि वो जितने शानदार एक्टर हैं उतने ही अच्छे इंसान भी हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि सुपर टैलेंटेड इस एक्टर को कभी अपने एक्टर बनने के फैसले पर ही शक होने लगा था? जी हां दोस्तों ये पूरी तरह से सच है कि रणबीर ये सोचने पर मजबूर हो गए थे कि कहीं उन्होंने एक्टर बनने का फैसला लेकर कोई गलती तो नहीं कर दी? चलिये जानते हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ था कि रणवीर के मन में ये सवाल घर कर गया था.
6 जुलाई 1985 को बॉम्बे (मुंबई) में जन्में रणवीर सिंह सिंधी फैमिली से बिलॉन्ग करते हैं. देश के विभाजन से पहले रणवीर की फैमिली कराची में रहती थी, लेकिन विभाजन के बाद उनके दादाजी कराची से मुंबई आ गए. रणवीर सिंह का असली नाम रणवीर सिंह भवनानी है, लेकिन नाम ज्यादा लंबा हो रहा था इसलिए उन्होंने अपने नाम से सरनेम को हटा दिया.
शुरुआत से ही रणवीर सिंह की दिलचस्पी एक्टिंग लाइन में थी. स्कूल में होनेवाले हर प्ले और डीबेट में वो पार्टिसिपेट करते थे. हालांकि जब वो कॉलेज में थे, तब उन्हें इस बात का एहसास हुआ था कि फिल्मों में ब्रेक मिलना कोई आसान काम नहीं है. उन्होंने सोचा कि एक्टर बनने का सपना अभी काफी दूर है इसलिए उन्होंने क्रिएटिव राइटिंग की तरफ अपना ध्यान दिया.
इन सबके बाद वो अपना ग्रेजुएशन करने के लिए विदेश चले गए. वहीं पर ग्रेजुएशन करने के दौरान उन्होंने एक्टिंग क्लास करने के बारे में सोचा. जब उनका ग्रेजुएशन कंप्लीट हुआ तो साल 2007 में वो मुंबई आ गए और बतौर कॉपी राइटर वो एक विज्ञापन कंपनी में नौकरी करने लगे. फिर इसके बाद फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर भी काम किया. लेकिन वो एक्टर बनना चाहते थे इसलिए फिर उन्होंने इस काम को भी छोड़ दिया और अपना पोर्टफोलियो बनाकर डायरेक्टर्स को भेजने की शुरुआत कर दी.
जहां भी उन्हें मौका मिलता वो ऑडिशन देने जाते लेकिन उन्हें फिल्में नहीं मिलती. या कभी मिलती भी तो छोटे-मोटे रोल्स के लिए फोन आते. ऐसा काफी टाइम तक चलता रहा. ऐसे में वो परेशान हो गए और सोचने लगे कि कहीं उन्होंने एक्टर बनने का फैसला लेकर कोई गलती तो नहीं कर दी. हालांकि उन्होंने अपनी कोशिश जारी रखी और आज वो जिस मुकाम पर हैं, उसे हासिल करना हर किसी के वश की बात नहीं होती. उन्होंने अपनी मेहनत और काबीलियत के दम पर ये साबित कर दिया कि इंसान के अंदर अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा और हुनर हो तो मंजिल कितना भी कठिन क्यों ना हो वो हासिल कर ही लेता है।
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