Categories: Top StoriesOthers

क्यों मनाया जाता है विश्व गौरैया दिवस? (World Sparrow Day 2023)

किसी भी विषय के प्रति जनता में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से प्रतिदिन कोई न कोई दिवस अवश्य मनाया जाता है. राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तर पर ही विभिन्न प्रकार के विशेष दिवस मनाए जाते हैं जिनका कोई न कोई मुख्य उद्देश्य होता ही है. 20 मार्च 2023 को भी ऐसा ही एक विशेष दिवस मनाया जाता है. जी हां, यह दिवस ‘विश्व गौरैया दिवस’ के नाम से विश्व भर में जाना जाता है और प्रतिवर्ष मनाया भी जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य देश-विदेश में गौरैया पक्षी के प्रति लोगों में जागरूकता उत्पन्न करना है. विश्व गौरैया दिवस जैसी सुखद पहल की शुरुआत नेचर फॉरएवर सोसायटी ऑफ इंडिया (एन एफ एस) ने की थी, जिसकी स्थापना भारतीय संरक्षणवादी मोहम्मद दिलावर द्वारा की गई थी.


इस विशेष दिवस का नाम गौरैया दिवस बेशक है, किंतु इस दिवस को मनाए जाने के पीछे केवल गौरैया के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना नहीं है, अपितु हमारे वातावरण में रहने वाले अन्य पक्षियों के प्रति भी जागरूकता लाना इस दिवस का विशेष उद्देश्य समझा जाता है. वैसे तो प्रत्येक दिवस विशेष ही होता है, क्योंकि हर दिवस में अपनी कुछ ख़ासियत, कुछ विशेषता अवश्य होती है. परंतु औपचारिक रूप से मनाए जाने के उद्देश्य से दिवसों के नाम भी रख दिए गए हैं और तिथियां भी निर्धारित कर दी गई हैं, ताकि बाकी दिनों के साथ-साथ उस विशेष दिवस पर उस विशेष दिवस को क्यों मनाया जाता है, के बारे में लोग सोचे-समझें, जानकारियां एकत्र करें और अपने जीवन में उस दिवस की महत्ता को उतारे. उसके अनुसार व्यवहार भी करें और अपने आसपास के लोगों को भी उस दिवस विशेष के बारे में बताएं. उनका ज्ञान बढ़ाए और इस प्रकार के विशेष दिवसों के मनाए जाने के उद्देश्यों को सार्थक बनाने में अपना योगदान दें. तभी इस प्रकार के दिवसों को मनाए जाने का औचित्य सार्थक सिद्ध होता है.

यह भी पढ़ें: दूसरों का भला करें (Do Good Things For Others)

आजकल हम सभी अपने आसपास गौरैया जैसे अनेक पक्षियों को नहीं देख पाते हैं. यदि कभी हम उन्हें देखते भी हैं, तो हमारे भीतर एक सुखद उत्सुकता और उमंग ख़ुद-ब-ख़ुद पैदा हो जाती है. इसका कारण यही है कि जिन पक्षियों को हम सालों पहले अपने आसपास चहचहाते हुए, उड़ते हुए और स्वतंत्रता पूर्वक पेड़ों पर घोंसले बनाते हुए देख सकते थे, वही पक्षी हमें आजकल ढूंढ़ने पड़ते हैं और गनीमत तब है जब ढूंढ़ने के बाद भी हमें इक्का-दुक्का कोई पक्षी नज़र आ जाए, अन्यथा पक्षियों की तादाद दिन-ब-दिन कम ही होती जा रही है.
गौरैया की दुर्दशा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है, क्योंकि गौरैया विलुप्त होने के कगार पर ही है. इस दिवस का उद्देश्य पक्षियों के प्रति लोगों की सहानुभूति में इजाफ़ा करना भी है, ताकि लोगों के दिलों में पक्षियों के प्रति प्रेम भाव उमड़े और वे उनकी केयर करें उनकी रक्षा करें और उनकी देखभाल के लिए जो बन पड़े वह सब करें. यह पक्षी हमसे ज़्यादा कुछ नहीं चाहते. वे केवल दिनभर में थोड़ा-बहुत खाने के लिए गेहूं के दाने, थोड़ा सा पीने का पानी, हमारा स्नेह और बस फिर वे आराम से खुले आकाश में उड़ते फिरते हैं. उनकी ना किसी से दुश्मनी होती है और न ही वे किसी के बारे में कुछ ख़राब सोचते हैं, क्योंकि वे हम मनुष्यों की भांति मन में शत्रुता का भाव नहीं रखते हैं.


पहली बार वर्ष 2010 में मनाए जाने वाले इस विश्व गौरैया दिवस पर हम सभी को प्रण लेना चाहिए कि हम विलुप्त होने से पहले इनका संरक्षण करेंगे. जिस प्रकार बचपन में हम इनकी चहचहाहट सुनकर आनंदित होते थे, वही आनंद हम अपने आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी संरक्षित करेंगे. पक्षियों के प्रति ख़ुद के साथ-साथ अपने बच्चों में भी संवेदनशीलता उत्पन्न करना हमारा मानवीय कर्तव्य है. प्रकृति के प्रति प्रेम उत्पन्न करने के लिए हमें अपने बच्चों के भीतर जीव-जंतुओं के प्रति प्रेम उत्पन्न कराना ही होगा. उन्हें समझाना होगा कि प्रकृति है, तो हम हैं और इन जीव-जंतुओं का जीवन भी उतना ही क़ीमती एवं महत्वपूर्ण है, जितना कि मनुष्यों का.
अगर पशु पक्षियों, जीव-जंतुओं का हमारे जीवन में कोई महत्व ही नहीं होता, तो ईश्वर ने मनुष्यों के अलावा किसी और जीव को सृष्टि में उत्पन्न ही न किया होता. परंतु दुखद यह है कि विश्व भर में आज गौरैया ढूंढ़ने से भी नहीं नज़र आती. दिल्ली सरकार ने तो इनकी दुर्लभता को देखते हुए वर्ष 2012 में ही इसे राज्य पक्षी घोषित कर दिया था. यह सोचकर बहुत दुख होता है कि जिन पक्षियों को अपने आसपास देखकर हम बड़े हुए हैं उन्हीं पक्षियों को देखने-दिखाने के लिए हमें अपने बच्चों को चिड़ियाघर ले जाना पड़ता है. चिड़ियाघर में भी तो अब ये गिनती में ही पाई जाती हैं.

यह भी पढ़ें: सीखें ख़ुश रहने के 10 मंत्र (10 Tips To Stay Happy)

गौरैया के इस प्रकार लगभग विलुप्त हो जाने के पीछे अनेक कारण हैं. दिनोंदिन जंगल कटते जा रहे हैं, पेड़-पौधों में रासायनिक पदार्थों का उपयोग बढ़ता जा रहा है और जल का स्तर गिरता जा रहा है. इन सब का दुष्प्रभाव हमारे पशु-पक्षियों पर भी तो पड़ता है, क्योंकि ऐसा होने से पक्षियों की रहने और खाने की समस्याएं बढ़ने लगती हैं.
परंतु कहा जाता है न कि जब जागो, तब सवेरा अर्थात यदि अभी भी हम मनुष्य इस प्रकार की समस्याओं को लेकर संवेदनशील और जागरूक नहीं हुए तो वह दिन दूर नहीं जब गौरैया और इस प्रकार के अन्य पक्षी इतिहास के प्राणी मात्र बनकर रह जाएंगे और हम हाथ मलते रह जाएंगे. प्रकृति के संतुलन के लिए बेहद ज़रूरी है कि मनुष्य के साथ-साथ पशु-पक्षी और जीव-जंतु भी जीवित रहें.
तो आइए, आज विश्व गौरैया दिवस के इस अवसर पर हम सभी मिलकर प्रण लें कि हम अपने आसपास के जीव-जंतु, पशु-पक्षियों और प्राकृतिक संपदा का पूरा ध्यान रखेंगे, देखभाल करेंगे और इसके संरक्षण में भी अपना हर संभव योगदान करेंगे.

पिंकी सिंघल

Photo Courtesy: Freepik

अभी सबस्क्राइब करें मेरी सहेली का एक साल का डिजिटल एडिशन सिर्फ़ ₹599 और पाएं ₹1000 का कलरएसेंस कॉस्मेटिक्स का गिफ्ट वाउचर.

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

व्यंग्य- आप कुछ समझते क्यों नहीं? (Satire- Aap Kuch Samjhte Kyon Nahi?)

बॉस थक जाते हैं, कहते है, “यार ये कुछ समझाता क्यों नहीं."और मुझे लगता है,…

July 22, 2024

श्रावण मास पर विशेष: कहानी- हम में शक्ति हम में शिव… (Short Story- Hum Mein Shakti Hum Mein Shiv…)

तभी मां जो शिव की अनन्य भक्त थीं, बोलीं, ''बेटा! जहां ईश्वर हों, वहां आस्था…

July 22, 2024
© Merisaheli