सेहतमंद जीवन के लिए दिल का हेल्दी होना बहुत ज़रूरी है. सही खानपान, एक्सरसाइज़ के साथ-साथ योग-प्राणायाम व मुद्राएं करने से दिल हमेशा स्वस्थ रहता है. योग शरीर को लचीला बनाने के साथ मांसपेशियों को मज़बूत बनाता है और तनाव से भी छुटकारा दिलाता है. इन सबमें सबसे अधिक ध्यान सांसों पर होता है, जिस कारण हमारी श्वसन प्रणाली दुरुस्त रहती है. इससे शरीर में ऑक्सीजन लेवल पर्याप्त होने लगता है, जिसका सीधा प्रभाव रक्त संचार व वज़न पर भी पड़ता है. दिल हमेशा स्वस्थ रहे, इसके लिए यहां दिए गए मुद्रा को हर रोज़ करें. चूंकि सर्दियों में वायु प्रदुषण के बढ़ने से सांस संबंधी बीमारियां का ख़तरा भी बढ़ जाता है. अत: इसके लिए योग की सहायता से फेफड़ों व दिल को स्वस्थ व मज़बूत रखने के लिए भी इन योगासन को करना ज़रूरी हो जाता है.
भस्त्रिका प्राणायाम
इसे करने से शरीर में ऑक्सीजन का संचार तेज गति से होता है. साथ ही कार्बन डाईऑक्साइड का लेवल कम होता है, जिससे हृदय रोग दूर होता है.
सुखासन में बैठ जाएं.
कमर, गर्दन, पीठ व रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए शरीर को बिल्कुल स्थिर रखें.
बिना शरीर को हिलाए नाक के दोनों छिद्र से आवाज़ करते हुए सांस भरें.
फिर आवाज़ करते हुए ही सांस को बाहर छोड़ें.
इसे कम से कम दस बार करें.
पश्चिमोत्तासन
दोनों पैरों को सामने की ओर स्ट्रेच करते हुए एक-दूसरे से जोड़ें.
धीरे-धीरे आगे झुकते हुए बिना घुटने मोड़े नाक को घुटनों से छुएं.
यदि संभव हो तो सिर को घुटनों से छूने का प्रयास करें.
वीरभद्रासन
एक पैर को पीछे की तरफ़ ले जाएं.
दूसरे पैर को 90 डिग्री एंगल पर स्ट्रेच करें.
दोनों हाथों को ऊपर ले जाकर जोड़ें.
फिर धीरे-धीरे दोनों हाथों को सामने की ओर लाएं और पीछे के पैर को और पीछे स्ट्रेच करें.
ध्यान रहे, दूसरे पैर को उसी अवस्था यानी 90 डिग्री एंगल में रहने दें. बारी-बारी दोनों पैरों से इस आसन को करें.
दंडासन
पेट के बल लेट जाएं.
दोनों हाथों को छाती के पास रखें.
शरीर को ऊपर की ओर ले जाएं.
हथेली व पैर के निचले हिस्से की मदद से शरीर का संतुलन बनाएं.
सांस रोककर इसी पोज़ीशन में कुछ सेकंड तक रहें.
फिर रिलैक्स करें.
सेतु बंधासन
पीठ के बल लेट जाएं.
दोनों हाथों को अपनी लंबाई में स्ट्रेच करें.
धीरे-धीरे घुटनों को मोड़ते हुए कमर को ऊपर उठाएं.
थोड़ी देर इसी अवस्था में रहें.
इस प्रक्रिया को कई बार करें.
विशेष लाभ: इस आसन को करने से आपकी कमर, पेट व जांघ भी शेप में रहेंगे.
उत्कटासन
दोनों पैरों को फैलाकर सीधे खड़े हो जाएं.
दोनों हाथों को आगे की तरफ़ फैलाएं.
हथेली नीचे की तरफ़ रखें.
हाथ सीधी व कुहनियां मुड़ी हुई न हों.
घुटनों को धीरे-धीरे मोड़ें और पेल्विस को नीचे की तरफ़ ले जाएं.
हाथ एकदम सीधे रखते हुए इतना झुकें जैसे कुर्सी पर बैठे हों.
रीढ़ की हड्डी पूरी लंबाई में सीधी होनी चाहिए.
मुस्कुराहट के साथ लंबी सांसें लें.
एक मिनट तक इसी अवस्था में रहें.
धीरे-धीरे नीचे होते हुए सुखासन में बैठ जाएं.
वृक्षासन
इसे ट्री पोज़ भी कहते हैं.
इस आसन में व्यक्ति पेड़ के समान मुद्रा बनाता है.
यह आसन व्यक्ति के दिमाग़ को शांत रखता है और शरीर को मज़बूत बनाता है, जो दिल को स्वस्थ रखने के लिए बहुत ज़रूरी है.
शवासन
ज़मीन पर लेटकर आंखें बंद कर लें.
दोनों हथेलियों को खुला छोड़े.
पैर के अंगूठे को बाहर की दिशा में रखें.
धीरे-धीरे सांस लें व छोड़ें.
कुछ देर तक इसी अवस्था में रहें.
अंजली मुद्रा
दोनों हाथों को जोड़कर छाती के बीचोंबीच रखें.
आंखें बंद करके धीरे-धीरे सांस अंदर लें.
थोड़ी देर सांस रोकें.
फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ें.
इस प्रक्रिया को कुछ देर तक करें.
अपान वायु मुद्रा
सीधे बैठ जाएं.
दोनों हाथों को घुटने पर रखकर हथेली को ऊपर की ओर करें.
हाथ की तर्जनी उंगली को मोड़कर अंगूठे के पास ले जाएं.
दोनों को दबाएं.
उंगली के प्रथम पोर को अंगूठे के प्रथम पोर से स्पर्श कर हल्का दबाएं.
कनिष्ठिका यानी छोटी उंगली को सीधी रखें.
आंखें बंद करके 15-20 मिनट तक इस मुद्रा में रहें.
फ़ायदें: रोज़ अपान वायु मुद्रा करने से दिल के मरीज़ों को लाभ होता है. इससे कार्डियक अरेस्ट व्यक्ति को भी फ़ायदा होता है.
प्राण मुद्रा
पद्मासन में बैठें.
दोनों हाथों की हथेलियों को अपने घुटनों पर रखें.
हाथ की सबसे छोटी उंगली को और बगलवाली उंगली के पोर को अंगूठे के पोर से सटा लें.
फ़ायदें: प्राण मुद्रा करने से प्राणशक्ति की क्षमता बढ़ती है. यदि इसे रोज़ करते रहें, तो दिल संबंधी समस्याओं से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है.
सूर्य मुद्रा
सीधे बैठें.
हाथ की सबसे छोटी उंगली के बगलवाले उंगली को मोड़कर अंगूठे के पोर से लगा लें.
इसे रोज़ 10-15 मिनट तक करें.
फ़ायदें: प्रतिदिन सूर्य मुद्रा करने से शरीर का एनर्जी लेवल बढ़ता है. मोटापा कंट्रोल में रहता है. साथ ही डायबिटीज़, थायरॉयड जैसी समस्याओं को भी कंट्रोल कर सकते हैं.
– ऊषा गुप्ता
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