नाबालिग के साथ बार-बार रेप करने वाले सरकारी कर्मचारी से CJI बोबडे ने कहा, ‘क्या उससे शादी करोगे?’ बावडे के इस बयान से कई एक्टिविस्ट आक्रोश में हैं. 4000 एक्टिविस्टों ने CJI बोबडे से इस्तीफ़ा देने की मांग की है. एक्टिविस्टों ने एक खुला ख़त लिखा है और देश की महिलाओं से माफी मांगने की मांग की है.
CJI बोबडे से इसलिए मांगा जा रहा है इस्तीफ़ा
CJI बोबडे से इस्तीफे की मांग इसलिए उठ रही है, क्योंकि उन्होंने एक नाबालिग के साथ बार-बार रेप करने वाले सरकारी कर्मचारी से कहा कि क्या वो उस लड़की से शादी करेगा? महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिक प्रोडक्शन कंपनी लिमिटेड में टेक्नीशियन के तौर पर काम करने वाले मोहित सुभाष चव्हाण पर 2014 में एक लड़की के साथ बलात्कार करने का आरोप है जो कि उस समय नाबालिग थी. देश के चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे ने उस सरकारी कर्मचारी से पूछा कि क्या वह उस महिला से शादी करेगा, जिसने उस पर बलात्कार का आरोप लगाया है. बता दें कि निचली अदालत से सुभाष चव्हाण को मिली अग्रिम जमानत को बॉम्बे हाई कोर्ट ने 5 फरवरी को लड़की की तरफ से दायर एक आवेदन के आधार पर रद्द कर दिया था. फिर उसने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और फिर से अग्रिम जमानत की गुहार लगाई. सुनवाई के दौरान CJI बोबडे ने ये बयान दिया कि क्या सुभाष चव्हाण उस लड़की से शादी करेगा?
एक्टिविस्टों ने CJI बोबडे के लिए लिखा खुला ख़त
CJI बोबडे के इस बयान से कई एक्टिविस्ट आक्रोश में हैं और उनसे इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. करीब 4 हज़ार महिला एक्टिविस्ट और इंटेलेक्चुअल्स ने CJI के नाम खुला पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने CJI से इस्तीफे की मांग की है. साथ ही देश की महिलाओं से माफी मांगने की भी मांग की है. चीफ जस्टिस के नाम ये खुला पत्र लिखने वालों में महिला अधिकारों की बात करने वाले जानी मानी महिला अधिकार कार्यकर्ता जैसे: एनी राजा, मरियम धवले, कविता कृष्णन, कमला भसीन, मीरा संघमित्रा, अरुधति धूरू, मैमून मोल्ला, जकिया सोमन, चयनिका शाह, हसीना खान आदि कई नाम शामिल हैं. इसके साथ ही कई ग्रुप और एक्टिविस्ट भी इस मुहिम में शामिल हैं. ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमेन्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमेन्स एसोसिएशन, नेशनल फेडरेशन ऑफ़ इंडियन वीमेन, सहेली, वीमेन अगेंस्ट सेक्शुअल वॉयलेंस एंड स्टेट रेप्रेज़ेंटेशन, THITS, बेबाक कलेक्टिव, भारतीय मुस्लिम महिला अनंदोलन सहित लगभग 50 समूह और नेटवर्क की इसमें भागीदारी है.
इस खुले पत्र में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय के CJI के पद आसीन बोबडे के इस बयान से अन्य अदालतों, न्यायाधीशों, पुलिस और अन्य सभी कानून लागू करने वाली एजेंसियों को ये संदेश जाता है कि भारत में महिलाओं को संवैधानिक अधिकार नहीं है. महिलाओं को न्याय दिलाने की जिस प्रकिया में सदियों लग गईं, इस तरह की घटनाएं लड़कियों व महिलाओं की आवाज़ और भी दबा देंगी. इस खुले पत्र में कहा गया है कि CJI बोबडे का बयान ये संदेश देता है कि बलात्कार शादी का लाइसेंस है और इससे बलात्कारियों के हौसले बढ़ेंगे.
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