40 के बाद महिलाएं हो जाएं सावधान: जानें ब्रेस्ट कैंसर के ख़तरे को और इसे रोकने का आसान तरीक़ा (40+Women Alert: Know The Breast Cancer Risk Factors And Preventive Measures)

घर-परिवार और ऑफिस की ज़िम्मेदारियां निभाते हुए महिलाएं अपनी लाइफ में इतनी व्यस्त रहती हैं कि उन्हें अपने लिए समय ही नहीं मिल पाता है. यहां तक कि वे अपनी सेहत की तरफ भी ध्यान नहीं दे पाती हैं. उम्र बढ़ने और हार्मोंस असंतुलित होने के कारण महिलाओं में कई तरह की बीमारियां पनपती हैं. उन्हीं में से एक है ब्रेस्ट कैंसर. यदि आप भी अपनी उम्र के 40वें साल में प्रवेश करने जा रही हैं, तो हो जाएं ब्रेस्ट कैंसर के प्रति सावधान.

आज के समय में कैंसर एक आम बीमारी बन चुका है. वैसे तो कैंसर कई तरह का होता है, लेकिन हमारे देश में ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. आए दिन हम अपने आसपास किसी-न-किसी महिला के ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित होने की खबर सुनते हैं. ब्रेस्ट कैंसर एक दशक पहले तक कैंसर के अनेक प्रकारों में से चौथा आम कैंसर था, लेकिन आज ये कैंसर देशभर की महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर बन चुका है.

40 साल के बाद महिलाओं में बढ़ते ब्रेस्ट कैंसर के मामलों को देखते हुए इसके प्रति जागरूकता फैलाने, इसके कारणों और इससे सुरक्षित रहने के तरी़के के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं डॉ शिवम शिंगला (MD. DrNB (Medical Oncology), ECM, MRCP SCE, CASLU (Zurich University))

दिन-ब-दिन देशभर में ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. आंकड़ों के अनुसार हर 29 में से एक महिला ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित है. हालांकि अभी तक इस बीमारी के सही कारणों का पता नहीं चल पाया है. कुछ शोधों में ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ते हुए मामलों के लिए महिलाओं में बढ़ने वाला मोटापा, निष्क्रिय जीवनशैली, अधिक कैलोरी, हैवी डायट और पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले कण जो हमारे शरीर के हार्मोन्स की कार्यप्रणाली को बाधित करते हैं, आदि को ज़िम्मेदार ठहराया गया है.

वतर्मान में पश्चिमी देशों की तुलना में हमारे देश में ब्रेस्ट कैंसर के मामले 40 साल के बाद सामने आने लगे हैं. महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं. पश्चिमी देशों की अपेक्षा भारत में ब्रेस्ट कैंसर का सर्वाइवल रेट कम है. जो कि गंभीर चिंता का विषय है. पूरी दुनिया में ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं की सर्वाइवल रेट 90% से अधिक है, जबकि भारत में यह सर्वाइवल रेट 40-60% के बीच में है.

पहचानें ब्रेस्ट कैंसर के ख़तरे को?

  1. फैमिली हिस्ट्री

जिन महिलाओं के परिवार में पहले से ही किसी को ब्रेस्ट कैंसर या ओवेरियन कैंसर हुआ हो, उन्हें ब्रेस्ट कैंसर होने का ख़तरा अधिक होता है. इसके पीछे कुछ जेनेटिक असामान्यताएं (बीआरसीए 1और 2 म्यूटेशन) होती हैं, जो एक ही फैमिली में पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती रहती हैं.

  • पर्सनल फैक्टर

उम्र बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं में शारीरिक बदलाव होते हैं, जिसके कारण उन्हें ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है.

–  जिन लड़कियों को 12 साल से पहले पीरियड्स हुए हों.

– जिन महिलाओं को 55 साल के बाद मेनोपॉज हुआ हो.

– जिन महिलाओं के ब्रेस्ट बहुत हैवी होते हैं, उनमें नॉर्मल से छोटे साइज के ब्रेस्ट वाली महिलाओं की तुलना में ब्रेस्ट कैंसर के होने की आशंका अधिक होती है.

– मोटापा, धूम्रपान और शराब का सेवन, निष्क्रिय जीवनशैली आदि लाइफस्टाइल संबंधी कारक भी होते हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर के लिए ज़िम्मेदार हैं.

ब्रेस्ट कैंसर के ख़तरे को कम करने के लिए कराएं मैमोग्राफी (रेगुलर स्क्रीनिंग)

नियमित चेकअप के ज़रिए महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के ख़तरे को कम कर सकती हैं. मैमोग्राफी स्क्रीनिंगके साथ ही सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन से ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने में मदद मिलती है. गायनोकोलॉजिस्ट भी महिलाओं को सबसे पहले यही सलाह देती हैं कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ हर दो साल में मैमोग्राफी टेस्ट कराएं और सप्ताह में एक बार ख़ुदअपने ब्रेस्ट का सेल्फ एग्जामिनेशन करें.

अगर आप 40 साल की हो चुकी हैं, तो आपको ज़रूरत है अपने ब्रेस्ट की नियमित जांच कराने की और अनहेल्दी लाइफस्टाइल को छोड़कर हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की. मेडिसिन के क्षेत्र में आई एडवांस थैरेपीज़ से ब्रेस्ट कैंसर का इलाज किया जा सकता है, लेकिन पहले सबसे महत्वपूर्ण बात है कि समय पर यानी शुरूआती चरण में बीमारी का पता लगना, ताकि बीमारी को जड़ से ख़त्म किया जा सके.

बॉक्स मैटर

2020 में आई विश्व कैंसर रिपोर्ट के अनुसार- ब्रेस्ट कैंसर को बढ़ने से रोकने के लिए सबसे ज़रूरी है कि अर्ली डिटेक्शन और रैपिड ट्रीटमेंट यानी बीमारी जल्दी पता चले और जल्द-से-जल्द उसका सही उपचार किया जाए. मैमोग्राफी स्क्रीनिंग और सेल्फ एग्जामिनेशन के जरिए ब्रेस्ट कैंसर के शुरूआती लक्षणों को जाना जा सकता है. ब्रेस्ट कैंसर के शुरूआती चरण में ऐसी थेरेपीज़ उपलब्ध हैं, जिनकी मदद से इस बीमारी का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है और कई ऐसी दवाएं हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर को दोबारा होने से रोक सकती हैं.

ब्रेस्ट कैंसर के दूसरे और तीसरे चरण में जब इलाज शुरू किया जाता है, तो तब इलाज में बहुत अधिक खर्च आता है. लेकिन पहले से स्क्रीनिंग कराकर और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर ब्रेस्ट कैंसर को नियंत्रित किया जा सकता है.…

  • पूनम शर्मा
Poonam Sharma

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Poonam Sharma

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