बदलती लाइफस्टाइल, गलत खानपान की आदतें, इनएक्टिव लाइफस्टाइल, बढ़ता केमिकल एक्सपोज़र आई कई कारण हैं, जिसकी वजह से आजकल कम उम्र में ही महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ा है. लेकिन अगर हर उम्र में ब्रेस्ट की सही देखभाल की जाए तो ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क से बचा जा सकता है. आइए जानते हैं कि किस उम्र में ब्रेस्ट की केयर के लिए क्या करना चाहिए.
इस उम्र में ब्रेस्ट का आकार आकर्षक होता है. इसमें कसाव भी अधिक होता है.
क्या पहनें?
ब्रेस्ट कैंसर रिस्क
इस उम्र में ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क कम होता है. 100 में से 4 महिलाएं ही रिस्क जोन में होती हैं.
प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट का साइज़ बढ़ जाता है एवं स्ट्रेच मार्क्स भी आ जाते हैं. बेहतर होगा कि प्रेग्नेंसी के बाद एक्सरसाइज़ करके वज़न नियंत्रण में रखें.
उम्र बढ़ने के साथ-साथ ब्रेस्ट के लोब्युल्स और मिल्क ग्लैंड्स सिकुड़ने लगते हैं, जिससे स्तन शिथिल होकर लटक जाते हैं.
इस उम्र में रिस्क फैक्टर बढ़ जाता है. 100 में से 28 को ये खतरा होता है.
कई महिलाओं में निप्पल अंदर की ओर दबे हुए, तो कुछ में बाहर ओर निकले हुए होते हैं. इनका आकार भी आनुवांशिक होता है. 5% महिलाओं के निप्पल इनवर्टेड होते हैं. यदि आपको ऐसा लगे कि निप्पल के आकार में अचानक परिवर्तन हो गया है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
काफ़ी महिलाओं के ब्रेस्ट पर 4-5 बाल ऊग आते हैं. ये निप्पल के आसपास या क्लीवेज के बीच में भी हो सकते हैं. यह भी सामान्य बात है. इन्हें उखाड़कर निकालना ख़तरनाक हो सकता है. ऐसा करने से इंफेक्शन भी हो सकता है. इन्हें निकालने के लिए वैक्सिंग, हेयर रिमूविंग क्रीम या लेज़र का प्रयोग करें.
ब्रेस्ट में मसल्स नहीं होती, इसलिए इन्हें टोन नहीं किया जा सकता, परंतु ब्रेस्ट के चारों ओर मसल्स होती हैं. एक्सरसाइज़ करके इनमें कसाव लाया जा सकता है. इसके लिए चेस्ट प्रेस, डंबलफ्लाय, पुशअप जैसी एक्सरसाइज़ करें.
2. क्या ब्रेस्ट इम्प्लांट के बाद बच्चे को स्तनपान कराया जा सकता है?
अधिकांशतः ब्रेस्ट इम्प्लांट में आसानी से स्तनपान कराया जा सकता है. 20% केसेस में इम्प्लांट को पहले वर्ष में सर्जरी से पुनः एडजस्ट करना पड़ता है. 30% केसेस में इम्प्लांट 10 वर्ष बाद टूट जाता है और पुनः कराना पड़ता है. पहली बार इम्प्लांट के बाद स्तनपान कराने में कोई दिक्क़त नहीं आती, लेकिन जितनी ज़्यादा बार सर्जरी कराई जाती है, ब्रेस्ट के लिगामेंट को उतना ही ज़्यादा नुक़सान पहुंचता है. इसके कारण मिल्क डक्ट (दूध की नलियां) क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिससे स्तनपान कराना मुश्किल हो जाता है. अतः ब्रेस्ट इम्प्लांट कराने से पहले डॉक्टर से इसके रिस्क फैक्टर्स के बारे में ज़रूर पूछ लें.
3. क्या ब्रेस्ट इम्प्लांट कराने के बाद ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाना मुश्किल हो जाता है?
डॉक्टर द्वारा दिए गए शारीरिक परीक्षण में ब्रेस्ट में गांठ का पता नहीं चलता, इसलिए इस परीक्षण को अंतिम नहीं माना जाता. मेमोग्राम और एम.आर.आई. करवाना आवश्यक होता है. इससे ब्रेस्ट कैंसर का पता चल जाता है.
4. प्रेग्नेंसी न होते हुए भी निप्पल से डिस्चार्ज (स्राव) होना क्या रिस्की होता है?
6. पीरियड्स के पहले और पीरियड्स के दौरान ब्रेस्ट में दर्द क्यों होता है?
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