"… अपना बढ़ा कद दिखाकर मैं उन्हें भावहीन नहीं करना चाहता था. पुरानी संजोई यादें और उन दिनों की मीठी…
यहांकोई भी व्याकरण नहीं होतीबारिश के गिरने कीन हीकोयल की कूक का कोई रागहवाओं के बहने का कोई नियम नहीं…
मेरी आहट से मां ने आंखें खोल दीं. मां से नज़रें मिलीं, तो ख़ुद को रोक नहीं पाया और ट्रे…
मेरे हाथ से केक का डिब्बा छूटते-छूटते बचा… मैंने महसूस किया, महक अभी भी थी… लेकिन मुझे डर नहीं लगा,…
किसी नवयुवती की तरह मेरी हथेलियां पसीने से भीग उठी थीं. अजीब सी ख़ुशी और उत्साह से मैं उसी समय…
अतीत की ओरकिवाड़मज़बूती से भेड़और विस्मृति की चादर ओढ़मैं तो लगभग सो ही चुकी थीओ भूली हुई यादोंतुमने क्योंफिर आकरमेरा…
"विनय, क्या हुआ है मनीषा को? तुमसे लड़ाई हुई है क्या?.. रस्में तो सब हो गईं, घूमने कब जा रहे…
हर किसी की भागीदारी होती उस उत्सव में, उन लम्हों में… वे लम्हें आगे चलकर खानदानी धरोहर बन जाते. ऐसी…
एक अशिक्षित, मगर समझदार रानी के कथन से मुझे लगा कि जैसे किसी ने मेरे पूरे शरीर को झकझोर कर…
"कैसे हो बॉबी?" फोन विनोद का था. दोनों ओर के हालचाल का आदान-प्रदान होने के बाद विनोद बोला, "रीमा भी…