शादी सिर्फ़ दो लोगों या दो दिलों का संगम ही नहीं होता, बल्कि ये दो परिवार के एक होने का खूबसूरत सफ़र है. सिर्फ़लड़का लड़की ही नहीं, बल्कि दोनों के परिवार भी शादी के बाद एक हो चुके होते हैं. लेकिन अक्सर इस धारणा को जानतेहुए भी मानते और निभाते बहुत कम लोग ही हैं, क्योंकि लड़की को लगता है कि ससुरालवाले उसके पति के रिश्तेदार हैंऔर लड़कों को तो दामाद होने का टैग मिलने के बाद वो खुद को किसी राजा से कम नहीं समझते और पत्नी के परिवारको पूरी तरह अपना पाते. लड़के के घरवालों को भी यही लगता है कि लड़की के परिवार की ही सब जिम्मेदारियां होती हैं, ऐसे में लड़की के घरवालों की समस्याओं से उन्हें क्या लेना-देना…
लेकिन शादी का असली मतलब तो यही होता है जब ये दो परिवार एक होकर एक-दूसरे का मान-सम्मान करें औरमुश्किल वक़्त में एक-दूसरे के साथ खड़े रहें!
आमतौर पर शादी के बाद लड़कियों को नए घर में एडजेस्ट करना होता है, लेकिन इन दिनों ऐसी सोच ज़्यादा हो गई है किलड़कियां एडजेस्टमेंट के लिए तैयार नहीं होती और उनके लिए शादी की परिभाषा सिर्फ़ पति तक ही सीमित होकर रहजाती है और इसीलिए समस्या आती है… बेहतर होगा कि पति को ही नहीं, परिवार को अपनाएं… तभी आपका भविष्यसुरक्षित और जीवन खुशहाल रहेगा…
ससुराल में ऐसे बनें सबकी फ़ेवरेट…
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