मेडिकल स्टोर से दवाएं ख़रीदते समय अक्सर हम लापरवाही बरतते हैं, जो कई बार ख़तरनाक भी साबित हो सकती है. दवाई लेते समय हम उसकी…
मेडिकल स्टोर से दवाएं ख़रीदते समय अक्सर हम लापरवाही बरतते हैं, जो कई बार ख़तरनाक भी साबित हो सकती है. दवाई लेते समय हम उसकी एक्सपायरी डेट और कीमत तो देखते हैं, लेकिन कई ज़रूरी बातों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जो बड़ी हेल्थ प्रॉब्लम की वजह बन सकता है. इसलिए ज़रूरी है कुछ एहतियात बरतना, ताकि दवाएं आपको बीमारी से राहत दें, ना कि आपकी हेल्थ प्रॉब्लम्स की वजह बनें.
जानें दवा के रैपर पर बने निशान का मत
दवा के रैपर पर बने निशान दवा के बारे में महत्वपूर्ण कई जानकारी देते हैं और बताते हैं कि कहीं वो दवाएं नशीली तो नहीं हैं. आइए दवा के रैपर पर बने ऐसे ही कुछ निशानों के बारे में जानते हैं, ताकि अगली बार आप कोई दवा खरीदने जाएं, तो इन निशानों को देखें, उसका मतलब समझें और तभी वो दवा खरीदें.
XRx का निशान: आमतौर पर मेंटल डिस्ऑर्डर्स के इलाज में जो मेडिसिन उपयोग हाती हैं, उन पर XRx लिखा होता है. ये दवाएं नशीली होती हैं. ध्यान रखें कि बिना प्रिस्क्रिप्शन के कोई भी मेडिकल स्टोर ये दवाएं नहीं बेच सकता है. साथ ही दवा बेचने पर उसे प्रिस्क्रिप्शन की कॉपी दो साल तक संभालकर रखनी होती है. इसलिए आपका केमिस्ट आपको इस निशान वाली कोई दवा पकड़ाए, तो सावधान रहें.
NRx का निशान: ये दवाएं डिप्रेशन, एंजाइटी या किसी बुरी लत को दूर करने के ट्रीटमेंट में इस्तेमाल होती हैं. ये दवाएं बिना डॉक्टर के सलाह के ना ली जा सकती हैं और ना ही बिना प्रिस्क्रिप्शन के बेची जा सकती हैं. तो ऐसी दवाओं से भी बचें.
Rx का निशान: ये दवाएं भी डॉक्टर की सलाह से ही लेनी चाहिए. हालांकि ये सामान्य दवाएं होती हैं, लेकिन डॉक्टरी सलाह के बिना इस दवा का सेवन ख़तरनाक हो सकता है.
रेड लाइन: रैपर पर बनी रेड लाइन यानी लाल रंग की पट्टी वाली दवाएं भी डॉक्टर की सलाह से ही लें. आमतौर पर यह पट्टी एंटीबायोटिक दवाइयों पर होती है. इन्हें खरीदने से पहले भी डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें.
जब मंगवाएं ऑनलाइन दवाएं
आजकल ऑनलाइन दवाएं भी उपलब्ध हैं, जो घर बैठे आपको दवाएं मुहैया कराते हैं. ऑनलाइन दवाएं मंगवाने पर डिस्काउंट इतना ज़्यादा ऑफर किया जाता है कि लोग बिना ज़्यादा सोचे-समझे दवाएं ऑर्डर कर देते हैं, लेकिन ऑनलाइन दवाएं मंगवाते समय भी कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है.
दवा खरीदते समय इन बातों का भी रखें ख्याल
एक हेल्थ रिपोर्ट के अनुसार, हमारे देश में आज भी 46 प्रतिशत लोग बिना डाक्टरी सलाह के ओवर द काउंटर मेडिसिन्स लेते हैं. ये या तो स्वयं चिकित्सा करते हैं या केमिस्ट को अपनी हेल्थ प्रॉब्लम बताकर उसकी सलाह पर ही दवाएं ले लेते हैं. इतना ही नहीं 30 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जो डॉक्टर को दिखाते तो हैं, लेकिन वे पूरा कोर्स नहीं करते हैं और दोबारा वही तकलीफ होने पर पहले वाली दवा से ही काम चला लेते हैं. लेकिन हेल्थ और दवाओं को लेकर ये लापरवाही ठीक नहीं. बेहतर होगा कि दवा ख़रीदते या लेते समय कुछ बातों को ध्यान रखें.
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