जिऊंगा जब तलक तेरे फ़साने याद आएंगे
कसक बनकर मुहब्बत के तराने याद आएंगे…
सच! प्यार की दीवानगी तो कुछ ऐसी ही होती है. ताउम्र यह एहसास जहां दिलों को रोमानी करता है, तो कभी ग़मगीन भी कर देता है. फिर भी प्यार तो प्यार ही होता है. प्यार जीने का सबब होता है.. प्यार रिश्तों को ख़ूबसूरत बनाता है.. प्यार दिलों को जोड़ता है.. प्यार जो हर किसी को कभी न कभी होता है… प्यार पर न जाने कितनी सारी बातें कही, लिखी और महसूस की गई हैं. फिर भी इसकी व्याख्या कभी पूरी नहीं हो पाती. ये ऐसे होते है, जिन्हें हम चाहते हैं, पर उसे कोई नाम नहीं दे पाते हैं. जिनमें केवल एहसास होता है, एक-दूसरे के साथ और प्यार का वजूद रहता है, बस नाम नहीं रहता. लेकिन यह किसी इबादत और किसी दुआ से भी कम नहीं होता. एक ख़ूबसूरत एहसास होता है. एक ऐसा एहसास, जो ज़िंदगी को ख़ुशनुमा बना देता है. जो उनके ख़्याल से दिल को कभी हंसा देता है, तो कभी रुला भी देता है. एक अजीब-सी ख़ुशी, सिहरन, रोमांच होता है इस प्यार में.. इस प्यार में कोई अपेक्षा नहीं होती है और ना ही उपेक्षा ही होती है. बस प्यार होता है.. अपने प्यार को ख़ुश देखने की चाहत रहती है..
कह सकते हैं, ज़माने में कई रिश्ते ऐसे होते हैं, जहां पर लोग एक-दूसरे को बस शिद्दत से चाहते हैं, पर उसे रिश्ते के दायरे में बांधते नहीं. उसे कोई नाम नहीं देते. जहां तक हमारा समाज और दुनिया है, वहां पर हमेशा एक दौड़ या जंग सी ज़रूर लगी रहती है अपने प्यार को पाने और बंधन में बांधने की.
माना आपको हर रिश्ते का एक नाम देना ही होगा, लेकिन प्यार, मोहब्बत, इश्क़, चाहत, लव ये ऐसे एहसास हैं जिसे महसूस कर दीवानगी की हद तक जिया जा सकता है, पर बांधा नहीं जा सकता. यहां पर सरहद नहीं होती, यहां पर कोई पहरेदारी नहीं होती और ख़ासकर जब अपने ख़्वाबों की दुनिया में आपने उस प्यार की दुनिया बसा ली हो, एक घर बसा लिया हो, तब तो रिश्तों की भी कहां कोई ज़रूरत होती है.
वह शख़्स अपने प्यार की दुनिया में ही ख़ुश रहता है. हर पल जब भी ज़रूरत होती है, उस प्यार की दुनिया में अपनी ख़ुशियों को सजा लेता है. यह कहना कि प्यार को कोई रिश्ते में जोड़ा जाए या फिर आप शादी के बंधन में बंध गए हो, तभी आपका प्यार सार्थक होगा, सही नहीं है. कुछ तो रहे तेरे-मेरे दरमियां, जो अनकहा रहे, अनसुलझा रहे… यही तो कुछ ख़्यालात होते हैं दो प्यार करनेवालों के जो प्यार को प्यार ही रहने देते हैं, कोई नाम नहीं देते…
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प्यार कोई सबूत नहीं मांगता.. प्यार कोई रिश्तो की लेनदेन नहीं चाहता.. प्यार तो बस प्यार ही चाहता है..
एक आम ज़िंदगी में प्यार के काफ़ी मायने होते हैं. प्यार संघर्ष करने का हौसला देता है. ये दिल के रिश्ते बेहद महफ़ूज़ होते हैं. कुछ शख़्स ऐसे होते हैं, जिनका आपकी ज़िंदगी में वजूद होने के बावजूद दुनिया की नज़र में कुछ नहीं रहता, क्योंकि आपने उसे नाम जो नहीं दिया. वे तो बस उसके एहसास से ही ख़ुश रहते हैं. वह एहसास, जो पूरी ज़िंदगी जीने की एक वजह दे देता है. वह एहसास जो बताता है, जो समझाता है कि प्यार के लिए रिश्तों का कोई होना ज़रूरी नहीं. प्यार तो बस प्यार है, वो एहसास अंतर्मन में गुनगुनाती कविता सा है, जो इंसान को बहुत ख़ूबसूरत बना देता है. मोहब्बत से इस कदर भर देता कि वहां नफ़रत के लिए कहीं कोई जगह नहीं होती. इंसान हर पल एक रोमांच का अनुभव करता है. ज़िंदगी जीने के लिए कोई आपको शिद्दत से चाहता है, ख़्याल रखता है, कोई आपकी ख़ुशी-गम में हमेशा शरीक रहता है, तब यह नहीं लगता कि वो क़रीब है या दूर है.
क्या यही प्यार है…
प्यार को लेकर मज़ेदार धारणाएं भी रही हैं, कुछ ऐसे-
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मोहब्बत पर शायर-लेखकों ने बहुत कुछ कहा है. इसकी बहुत व्याख्या अपने-अपने तरीक़े से की है-
हमने देखी है उन आंखों की महकती ख़ुशबू
हाथ से छू के इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो
सिर्फ़ एहसास है ये रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो…
गुलज़ार साहब के लिखे इस गीत में इन शब्दों ने बहुत कुछ कह दिया है. यूं लग रहा है जैसे प्यार पर एक पूरी दुनिया इन शब्दों में सिमट आई हो. कितनी ख़ूबसूरती से उन्होंने कहा कि इसे रिश्तों का इल्ज़ाम ना दो यानी प्यार वह ख़ूबसूरत एहसास है, जिसे बंधन मुक्त रहकर हम कई मायने में जी सकते है. अपने एहसास में, अपनी सोच में, अपने ख़्वाबों की दुनिया में… प्यार हमेशा हमें मदहोशी की दुनिया में ले जाता है, जहां पर बस प्यार ही होता है और कुछ नहीं. ना किसी चीज़ की लेनदेन, ना उम्मीद बस प्यार ही प्यार…
लेकिन इसे हम आज के दृष्टिकोण से देखें, तो थोड़ी-सी मुश्किलें ज़रूर आती हैं. आज की युवापीढ़ी और कपल्स के लिए प्यार की परिभाषा अलग है. प्यार को वे अपेक्षाओं से भर देते हैं. कहीं अपनी इच्छाओं की पूर्ति का ज़रिया बना देते हैं. और जब यह सब होता है, तब ही कई शिकायतें और नाकामियां जन्म लेती हैं. तब प्यार अपने ख़ूबसूरत वजूद से हटकर स्वार्थ बन जाता है. वह कुछ ऐसा हो जाता है जैसे कोई सौदागिरी. प्यार के अस्तित्व को डांवाडोल कर देता है. फिर भी प्यार तो होता ही है यह और बात है इसके एहसास जुदा होते हैं.
तमाम ऐसे शेरो-शायरियां प्यार पर लिखी गई हैं, जो हमें एक अजीब-सी ख़ुशी से सराबोर कर देती हैं. हम उस एहसास को जीने से लगते हैं. तब लगता है कि यही वह ख़ुशी है, जो हम ताउम्र ढूंढ़ते हैं, पर किसी को मिल जाती है और कोई यूं ही खाली रह जाता है. कुछ ऐसे ही चुनिंदा शेरो-शायरी को भी देखते हैं और उन शब्दों को, उन एहसास को जीते हैं…
कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी
चैन से जीने की सूरत ना हुई
जिसको चाहा उसे अपना ना सके
जो मिला उससे मुहब्बत ना हुई
आख़री हिचकी तेरे ज़ानूं पे आए
मौत भी मैं शायराना चाहता हूं
जब भी आता है मेरा नाम तेरे नाम के साथ
जाने क्यूं लोग मेरे नाम से जल जाते हैं..
थक गया मैं करते-करते याद तुझको
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूं
कुछ दिलजलों के एहसास ऐसे भी हैं…
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
अपनी तबाहियों का मुझे कोई ग़म नहीं
तुम ने किसी के साथ मोहब्बत निभा तो दी
ज़माने ने तो अक्सर प्यार की खिलाफ़त की है. इसकी गहराई और सच्चाई को बहुत कम लोगों ने समझा है. प्यार अगर कामयाब बनाता है, तो प्यार कभी-कभी ग़मगीन ज़िंदगी जीने पर मजबूर. भी कर देता है. इसलिए कहते हैं ना कि प्यार को समझना बहुत मुश्किल भी है. किसी के लिए प्यार ज़िंदगीभर की ज़रूरत है, तो किसी के लिए प्यार बस एक इच्छापूर्ति का माध्यम. क्यों ना एक नई शुरुआत करें. प्यार को एक नए नज़रिए से देखें. इसमें प्यार को लेकर कोई भ्रम, धारणा या कोई पूर्वानुमान ना हो, बस एक ऐसी अनुभूति हो कि जिसे हम ईमानदारी से स्वीकार करें. उसमें कोई बनावट ना हो. उसमें कोई दिखावा ना हो. बस दिल से हो और जब दिल से कोई बात होती है, तो दिलों तक पहुंचती भी है.
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प्यार में हार्मोंस का कॉकटेल…
लेखिका हेलन फिशर का मानना है कि हमारे शरीर के हार्मोंस के कारण प्रेम अलग-अलग रूपों में हमसे जुड़ता है और यह काफ़ी मज़ेदार है, जैसे-
सेक्स के लिए टेस्टोस्टेरॉन और एस्ट्रोजन की अहम भूमिका रहती है, तो मन की चाहत, जहां हर पल अपने प्यार के बारे में सोचते रहने में न्यूरोट्रांसमीटर और मोनोअमीनस की. उनके अलावा डोपामाइन, नाॅरइपीनेफ्रिन, सेरोटोनिन, ऑक्सीटोसिन, वैसोप्रैसिनस जैसे हार्मोंस भी प्यार को लेकर शरीर में होनेवाले हलचलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं. इनसे शरीर के अंदर हार्मोंस का अजीबोगरीब कॉकटेल बनता रहता है यानी प्यार के कारण भूख-प्यास ना लगना, आकर्षण, दीवानगी आदि.
इस बार वैलेंटाइन डे पर हर प्यार करनेवाले यह कोशिश करें कि अपने प्यार को प्यार के एहसास से ही देखे-समझे, ना उसे हैसियत-ख़ूबसूरती से. तब जीने का फ़लसफ़ा भी ख़ूबसूरत हो जाता है और यही बोल दिल से निकलते हैं-
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए…
– ऊषा गुप्ता
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