कहानी- टाइगर सिंह का न्याय (Kids Story- Tiger Sinah Ka Nyay)

‘‘आप ठीक कह रहे हैं. इन दोनों को सज़ा ज़रूर मिलनी चाहिए.’’ टाइगर सिंह ने सिर हिलाया और आंख बंद करके सोचने लगे कि इन्हें क्या सज़ा दी जाए.
अब तो कालू और डिंपी की हालत ख़राब हो गई. दोनों हाथ जोड़ कर माफ़ी के लिए गिड़गिड़ाने लगे.
‘‘तुम दोनों को माफ़ी नहीं मिल सकती.’’ टाइगर सिंह ने दोनों को डपटा.
‘‘लेकिन महाराज…’’ कालू ने कुछ कहना चाहा.
‘‘ख़ामोश!’’ टाइगर सिंह ज़ोर से दहाड़े, तो पूरे दरबार में सन्नाटा खिंच गया. कालू और डिंपी की तो सांस ही अटक गई.

महाराज टाइगर सिंह ने पांच साल पहले सुंदर वन की बागडोर संभाली थी. इतने कम समय में ही उन्होंने सुंदर वन को स्मार्ट फारेस्ट बना दिया था. पूरे जंगल में जगह-जगह सीसी टीवी कैमरे लग गए थे, जो कंट्रोल रूम में लगे मानीटरों से जुड़े थे. वहां बैठे कर्मचारी इन कैमरों के माध्यम से जंगल के चप्पे-चप्पे पर दृष्टि रखते थे. महाराज टाइगर सिंह स्वयं दिन में दो बार इन कैमरों के माध्यम से अपने राज्य की निगरानी करते थे. अगर कहीं भी कोई गड़बड़ी दिखती या कोई जानवर मुसीबत में होता, तो वे फौरन मदद भेज देते.
उन्होंने पूरे सुंदर वन को 6 सेक्टर में बांट दिया था. हर सेक्टर में एक-एक अस्पताल, बच्चों और बड़ों के लिए स्कूल और स्पोटर्स स्टेडियम बनवा दिए थे. थोड़ी-थोड़ी दूर पर साइबर कैफे, जन-सुविधा केन्द्र और सुलभ शौचालय भी खुल गए थे. इन सुविधाओं से सुंदर वन के निवासी बहुत ख़ुश थे.
एक दिन महाराज टाइगर सिंह कंट्रोल रूम में लगे मानीटरों को देख रहे थे. प्रधान मंत्री हाथी दादा भी उनके साथ थे. अचानक एक स्क्रीन पर दिख रहे सुनहरे रंग के धब्बे को देख वे चौंक पड़े. उन्होंने कहा, ‘‘मंत्रीजी, इस मानीटर के स्क्रीन को ज़ूम करवाइए.’’
हाथी दादा के इशारे पर उस मानीटर के सामने बैठे कर्मचारी ने स्क्रीन जू़म किया, तो सभी लोग चौंक पड़े. सेक्टर 4 में मुख्य चौराहे से क़रीब 50 मीटर की दूरी पर भयंकर आग लगी हुई थी. कई मकान धूं-धूं करके जल रहे थे और उनमें रहनेवाले जानवर मदद की गुहार लगा रहे थे.
‘‘सेनापति चीता सिंह जी, सेक्टर 4 में भयंकर आग लगी हुई है. आप फायर ब्रिगेड की पांच गाड़ियां फौरन वहां भेजिए.’’ महाराज टाइगर सिंह ने कंट्रोल रूम में लगे मार्डन आडियो सिस्टम से आदेश दिया.
‘‘महाराज, आप चिंता मत करिए. हर दो सेक्टरों के बीच एक फायर स्टेशन बना हुआ है. चार-पांच मिनट में फायर ब्रिगेड की गाड़ियां वहां पहुंच जाएगीं. मैं स्वयं भी वहां जाकर इस अग्निकांड के कारण का पता लगाता हूं.’’ सेनापति चीता सिंह की आवाज़ आई.
‘‘मुझे एक घंटे के भीतर पूरी रिपोर्ट चाहिए. मैं दरबार में आपका इंतज़ार करूंगा.’’ महाराज टाइगर सिंह ने गंभीर स्वर में कहा.
इस बीच मंत्री हाथी दादा ने सभी अस्पतालों को अलर्ट भेज दिया था, ताकि अग्निकांड में जलनेवाले जानवरों का फौरन इलाज किया जा सके.
फायर ब्रिगेड की गाड़ियों ने थोड़ी ही देर में आग पर काबू पा लिया. सेनापति चीता सिंह भी अपने सैनिकों के साथ वहां पहुंच गए थे. उन्होंने वहां रहनेवालों से पूछताछ की. फिर एक घंटे के भीतर पूरी रिपोर्ट लेकर दरबार आ गए. उनके साथ कालू भालू, डिंपी बारहसिंहा और जिन जानवरों के घर जले थे वे भी थे. अपने सिंहासन पर बैठे महाराज टाइगर सिंह उन्हीं का इंतज़ार कर रहे थे. सारे मंत्री भी इस समय दरबार में उपस्थित थे.


‘‘महाराज, यह आग डिंपी की लापरवाही से लगी थी.’’ सेनापति चीता सिंह ने बताया.
‘‘तुमने यह आग क्यों लगाई?’’ महराज ने डिंपी को घूरा.
‘‘महाराज, मेरी कोई ग़लती नहीं है. कालू ने अपने घर का ढेर सारा कूड़ा मेरे घर के सामने डाल दिया था. वह बहुत बदबू कर रहा था. उससे बचने के लिए मैंने कूड़े को जला दिया था, तभी तेज़ हवा चलने लगी और आग भड़क गई.’’ डिंपी ने हाथ जोड़ते हुए बताया.
‘‘कालू, तुमने डिंपी के घर के आगे कूड़ा क्यों फेंका?’’ महाराज ने डिंपी की ओर देखा.
‘‘महाराज, ग़लती हो गई. अब दोबारा ऐसा नहीं होगा. मैं कूड़ा अपने घर के सामने ही फेंका करूंगा.’’ कालू ने हाथ जोड़े.


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‘‘जंगल में स्वच्छता रखने के लिए मैंने हर सेक्टर में ग्रीन वैन चलवाई हैं. तुम कूड़ा उसमें क्यों नहीं फेंकते?’’ टाइगर सिंह ने कड़कते हुए कहा.
कालू को कोई जवाब नहीं सूझा, तो वह चुप हो गया. यह देख हाथी दादा ने डपटा, ‘‘क्या तुम्हें ग्रीन वैन के बारे में मालूम नहीं है?’’
‘‘जी, वो… वो… मालूम तो है लेकिन…’’
‘‘लेकिन क्या?’’
‘‘ग्रीन-वैन सुबह-सुबह आ जाती है. मेरी देर तक सोने की आदत है, इसलिए उसमें कूड़ा नहीं फेंक पाता.’’ कालू ने बताया.
‘‘वाह, बहुत अच्छी आदत है तुम्हारी. एक तरफ़ तो देर तक सो कर अपना स्वास्थ्य ख़राब कर रहे हो, दूसरी तरफ़ कूड़ा फेंककर जंगल में प्रदूषण फैला रहे हो. आज दोपहर तक हमारे जंगल का एयर क्वालिटी इंडेक्स 40 था, लेकिन इस अग्निकांड के कारण यह इंडेक्स 90 हो गया है. अगर ऐसी लापरवाहियां होती रहीं, तो शहरों के तरह हमारे जंगल का भी वातावरण रहने लायक नहीं रह जाएगा.’’ इतना कहकर महाराज टाइगर सिंह पल भर के लिए रूके फिर वहां जमा जानवरों की ओर देख गहरी सांस भरते हुए बोले, ‘‘दो दिनों बाद पूरा देश ‘नेशनल पोल्यूशन कंट्रोल डे’ अर्थात ‘राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस’ मनाएगा. सोचा था कि जंगल में जागरूकता लाने के लिए मैं भी उस दिन कई कार्यक्रम आयोजित करवाऊंगा, लेकिन तुम लोगों के चलते सब चौपट हो गया.’’
‘‘महाराज, आपने हमारी भलाई के लिए बहुत से कार्य किए हैं. पूरा जंगल आपकी जय-जयकार करता है, लेकिन यह ‘एयर क्वालिटी इंडेक्स’ और ‘नेशनल पोल्यूशन कंट्रोल डे’ क्या होता है? हम लोग इसके बारे में कुछ नहीं जानते.’’ बंटी लंगूर ने हाथ जोड़ते हुए कहा. इस अग्निकांड में उसका घर भी जल गया था, इसलिए वह सेनापति के साथ दरबार आया था.


‘‘बंटी, बहुत अच्छा प्रश्न पूछा है तुमने. इस सब बातों की जानकारी सभी जंगलवासियों को होनी चाहिए, तभी हमारे जंगल का वातावरण स्वच्छ रह सकेगा.’’ टाइगर सिंह ने चीकू की ओर प्रशंसात्मक दृष्टि से देखा, फिर बोले, ‘‘हर चीज़ को नापने का एक पैमाना होता है.’’
‘‘जैसे वज़न नापने के लिये ग्राम-किलोग्राम और लंबाई तथा दूरी को नापने के लिए मीटर और किलोमीटर होते हैं.’’ बंटी ने फौरन कहा.
‘‘बिल्कुल ठीक’’ महाराज ने बंटी को शाबाशी दी. फिर बोले, ‘‘वायु में प्रदूषण नापने का पैमाना ए.क्यू.आई. अर्थात एयर क्वालिटी इंडेक्स होता है. शून्य से 50 तक का ए.क्यू.आई. अच्छा होता है, 51 से 100 तक का ए.क्यू.आई. मध्यम, 101 से 150 तक का ए.क्यू.आई. संवेदनशील लोगों के लिए ख़राब, 151 से 200 तक अस्वास्थकारी, 200 से 300 तक का ए.क्यू.आई. बहुत अस्वास्थकारी तथा 301 से 500 तक का ए.क्यू.आई. बहुत ख़तरनाक माना जाता है. तुम लोगों ने समाचारों में देखा-सुना होगा कि हमारे देश की राजधानी दिल्ली का ए.क्यू.आई. कई बार 400 को पार कर जाता है.’’
‘‘400 से ऊपर! यह तो बहुत ख़तरनाक हुआ महाराज! ऐसे में तो राजधानी वालों का हवा में सांस लेना मुश्किल हो जाता होगा.’’ टीटू ऊदबिलाव ने कहा.
‘‘हां, बहुत मुश्किल हो जाती है. कई बार तो लोगों को घर से मास्क लगा कर निकलना पड़ता है. धुंध के चलते कई-कई दिनों तक सूरज नहीं निकल पाता है और स्कूलों में छुट्टियां तक करनी पड़ जाती हैं.’’ टाइगर सिंह ने गंभीर स्वर में बताया.
‘‘महाराज, यह तो बहुत गंभीर समस्या हुई.’’ टीटू ने कहा. उसे यह सब बातें बहुत आश्चर्यजनक लग रही थीं.
‘‘हां, समस्या इतनी गंभीर हो चुकी है कि वायु प्रदूषण के कारण अपने देश में हर तीन मिनट में एक बच्चे की मृत्यु हो जाती है और साल भर में 20 लाख से अधिक मनुष्यों की मौत हो जाती है.’’ टाइगर सिंह ने बताया.
‘‘20 लाख मौतें!’’ आंकड़ा सुन कालू चौंक पड़ा और घबराए स्वर में बोला, ‘‘महाराज, इसका मतलब अगर प्रदूषण नहीं रोका गया, तो एक दिन यह पृथ्वी जीने लायक नहीं रह जाएगी.’’


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‘‘हां, यह एक खौफनाक सत्य है.’’ महाराज टाइगर सिंह का चेहरा गंभीर हो गया. उन्होंने अपनी आंखें बंद करके कुछ सोचा फिर बोले, ‘‘इसीलिए मैंने अपने जंगल में बैटरी वाली गाड़ियां चलवाई हैं और पराली जलाने पर रोक लगाई है. क्योंकि सबसे ज़्यादा प्रदूषण मोटर गाड़ियों के धुंए और पराली जलाने से होता है.’’
‘‘महाराज, मैं समझता था कि पेट्रोल और डीजल वाली गाड़ियों के चलने से शोर बहुत होता है, इसलिए आपने बैटरी वाली गाड़ियां चलवाई हैं.’’ चिम्पू बंदर ने अपना सिर खुजलाते हुए कहा. उसकी बात सुन कई जानवर हंसने लगे. उन्हें चिम्पू की बात बहुत बचकानी लगी थी.
‘‘आप लोग हंसिए मत. चिम्पू बिल्कुल ठीक कह रहा है. पेट्रोल और डीजल की गाड़ियों से वायु प्रदूषण के साथ-साथ ध्वनि प्रदूषण भी होता है. ध्वनि प्रदूषण डेसिबेल में नापा जाता है. 60 डेसिबेल से ज़्यादा की ध्वनि कानों के लिए हानिकारक होती है और 140 डेसीबेल से ज़्यादा की ध्वनि से कानों के पर्दे ख़राब हो जाते हैं. इसलिए वायु प्रदूषण के साथ-साथ ध्वनि प्रदूषण पर भी नियंत्रण रखना आवश्यक होता है. किंतु मनुष्य इन सब चीज़ों को समझने के लिए तैयार नहीं है. अतः हम जानवरों को जागरूक होना पड़ेगा.’’ टाइगर सिंह ने समझाया.
चीकू खरगोश अब तक चुपचाप खड़ा सारी बातें सुन रहा था. महाराज की बात सुन वह सामने आया और बोला, ‘‘महाराज, आपकी बातें सुन-सुन कर जंगल के जानवर काफ़ी जागरूक हो गए हैं. सभी ने पराली को जलाने की बजाय उसकी कम्पोस्ट खाद बनाना शुरू कर दिया है. इससे फसल की पैदावर काफ़ी बढ़ गई है. मेरे खेतों में इस बार इतने लाल-लाल गाजर उगे है कि देख कर मन प्रसन्न हो जाता है.’’


‘‘हां महाराज, पराली की खाद डालने से मेरे यहां भी गन्नों की फसल बहुत अच्छी हुई है.’’ हाथी दादा ने बताया.
‘‘मंत्री जी, आप खेती भी कर लेते हैं यह बात मुझे मालूम न थी’’ टाइगर सिंह मुस्कुराए.
‘‘महाराज, मेरे पास खेती करने की फ़ुर्सत कहां? मेरे घर के पिछले हिस्से में थोड़ी-सी ज़मीन खाली पड़ी है, उसी में गन्ने बो देता हूं.’’ हाथी दादा ने बताया.
‘‘यह तो बहुत अच्छी बात है. बाकी लोगों को भी खाली पड़ी ज़मीन में फल और सब्ज़ियां उगानी चाहिए.’’ टाइगर सिंह ने राय दी.
कालू और डिंपी, महाराज टाइगर सिंह की बातें तो सुन रहे थे, लेकिन अंदर ही अंदर काफ़ी घबराए हुए थे. उन्हें लग रहा था कि इस अग्निकांड के लिए महाराज उन्हें सज़ा ज़रूर देगें. जितना समय बातों में बीत रहा था, उतनी ही उनकी घबराहट बढ़ती जा रही थी. दोनों ने आंखों ही आंखों में कुछ तय किया फिर टाइगर सिंह को ख़ुश करने की नियत से कालू ने कहा, ‘‘महाराज, हम लोग प्रदूषण से होने वाले ख़तरे को समझ गए हैं. आज के बाद हम लोग न तो कोई गंदगी करेंगे और न ही ऐसा कोई काम करेंग, जिससे प्रदूषण बढ़े.’’
‘‘और महाराज, आप ‘नेशनल पोल्यूशन कंट्रोल डे’ की बात कर रहे थे. अगर उसके बारे में कुछ बता दीजिए, तो हम लोगों की जानकारी और बढ़ जाएगी.’’ डिंपी ने भी हाथ जोड़ खुशामद भरे स्वर में कहा.
‘‘तुम लोगों में से किसी को भोपाल गैस कांड के बारे में कोई जानकारी है?’’ टाइगर सिंह ने कुछ बताने की बजाय प्रश्न किया.
‘‘हां महाराज, मैनें कोर्स की किताबों में पढ़ा है. वहां किसी फैक्ट्री से कोई गैस लीक हुई थी, जिससे हज़ारों लोगों की जान चली गई थी.’’ चीकू खरगोश ने हाथ खड़ा करते हुए बताया.
‘‘हां, यह दुनिया की सबसे बड़ी आद्यौगिक दुर्घटना थी. 2 दिसंबर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से ख़तरनाक रसायन मिथाइल आइसोसाइनेट लीक कर गई थी. इससे 3787 लोगों की तो उसी दिन मौत हो गई थी. उस समय भोपाल की आबादी 8,94,539 थी. इसमें से क़रीब 5 लाख लोग इस गैस कांड से प्रभावित हुए थे. अगले कुछ समय में उनमें से क़रीब 15-20 हज़ार लोगों की और मृत्यु हो गई थी तथा अनेक लोग हमेशा-हमेशा के लिए अपंग हो गए थे. इस घटना की याद में ही प्रत्येक वर्ष 2 दिसंबर को ‘नेशनल पोल्यूशन कंट्रोल डे’ मनाया जाता है, ताकि लोगों को वायु प्रदूषण के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए बनाए गए क़ानूनों की जानकारी दी जा सके. साथ ही आद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय भी किए जा सकें.’’
‘‘महाराज, यह सब बहुत डरावना लग रहा है. मुझे तो सुन कर ही घबराहट होने लगी है, जिन लोगों पर यह सब बीती होगी, उनकी क्या हालत हुई होगी.’’ रिंकी हिरण ने कहा. आज घर में लगी आग को बुझाने में उसके हाथ जल गए थे, इसलिए उसे मालूम था कि घायल होने पर कितना दर्द होता है.
‘‘हां रिंकी, यह सब बहुत डरावना है, इसीलिए बहुत सावधानी बरतने की ज़रूरत है. अगर हमने प्रदुषण फैलाना कम नहीं किया, तो हमारा स्वास्थ्य तो ख़राब होगा ही आने वाली पीढ़ी हमें कभी माफ़ नहीं करेगी. हो सकता है कि सांस लेने के लिए उन्हें पीठ पर आक्सीजन का सिलेंडर बांध कर चलना पड़े.’’ टाइगर सिंह ने कहा. उनका स्वर चिंता में डूबा हुआ था.


‘‘महाराज, तब तो हम खरगोशों और छोटे बच्चों को बहुत दिक़्क़त होगी. सिलेंडर बांध कर तो हम लोग ठीक से चल भी नहीं पाएंगे.’’ चीकू भविष्य की कल्पना कर घबरा उठा
‘‘महाराज, फिर हम बंदरों का क्या होगा? पीठ पर सिलेंडर बंधा होने से हम लोग एक डाल से दूसरी डाल पर छलांग लगा ही नहीं पाएंगे.’’ पिंटू बंदर की भी हालत ख़राब हो उठी.
‘‘और महाराज, हम भालूओं के शरीर पर तो इतने बाल होते हैं कि अगर सिलेंडर बांधा गया, तो हमारे तो आधे बाल ही उखड़ जाएंगे.’’ कालू भालू भी बुरी तरह डर गया.
‘‘कालू भाई, इसीलिए तो कहता हूं कि अपनी आदत बदल डालो. मैंने आप लोगों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए ही सुंदर वन को स्मार्ट सिटी बनाया है. अब आप लोग भी स्मार्ट बन जाइए और खुले में कूड़ा डालने या शौच जाने की आदत छोड़ दीजिए. बैटरी वाली गाड़ियों पर चलिए, बच्चों को स्कूल पढ़ने भेजिए और जमकर प्लांटेशन करिए फिर देखिएगा हमारा जंगल हमेशा हरा-भरा और ख़ुशहाल रहेगा.’’ टाइगर सिंह ने समझाया.


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‘‘महाराज, आपकी आज्ञा सिर आंखों पर लेकिन कालू और डिंपी की ग़लती से हमारा घर जल गया है उसका क्या होगा? इतनी जल्दी हम दूसरा घर नहीं बनवा सकते.’’ नन्हीं ट्विंकल गिलहरी ने हाथ जोड़ते हुए कहा. दुख के कारण उसका स्वर भर्रा उठा था और आंखों से आंसू गिरने लगे थे.
“ट्विंकल, रोना किसी समस्या का हल नहीं होता है. हिम्मत से काम लो, सब ठीक हो जाएगा.’’ टाइगर सिंह ने ट्विंकल को समझाया. फिर हाथी दादा की ओर मुड़ते हुए बोले, ‘‘मंत्री जी, जितने जानवरों के घर आज जल गए है उनके घर सरकारी खज़ाने से बनवा दीजिए.’’


‘‘जो आज्ञा महाराज. मैं कल से ही सभी के नए घर बनवाना शुरू कर दूंगा लेकिन…’’
‘‘लेकिन क्या?’’
‘‘लेकिन कालू और डिंपी को सज़ा ज़रूर मिलनी चाहिए, ताकि न्याय पूरा हो सके और दूसरे जानवरों को भी सबक मिल सके.’’ भालू दादा ने सुझाव दिया.
‘‘आप ठीक कह रहे हैं. इन दोनों को सज़ा ज़रूर मिलनी चाहिए.’’ टाइगर सिंह ने सिर हिलाया और आंख बंद करके सोचने लगे कि इन्हें क्या सज़ा दी जाए.
अब तो कालू और डिंपी की हालत ख़राब हो गई. दोनों हाथ जोड़ कर माफ़ी के लिए गिड़गिड़ाने लगे.
‘‘तुम दोनों को माफ़ी नहीं मिल सकती.’’ टाइगर सिंह ने दोनों को डपटा.
‘‘लेकिन महाराज…’’ कालू ने कुछ कहना चाहा.
‘‘ख़ामोश!’’ टाइगर सिंह ज़ोर से दहाड़े, तो पूरे दरबार में सन्नाटा खिंच गया. कालू और डिंपी की तो सांस ही अटक गई.
‘‘तुम दोनों की सज़ा यह है कि जितने लोगों के घर जले हैं तुम उनके नए घर के सामने एक-एक पेड़ लगाओगे. इससे हमारे जंगल में हरियाली तो बनी रहेगी और इन पेड़ों से मिलने वाली आक्सीजन से प्रदूषण का स्तर भी कुछ कम हा सकेगा.’’ टाइगर सिंह ने सज़ा सुनाई.
‘‘महाराज, हम दोनों एक नहीं, दो-दो पेड़ लगाएंगे.’’ कालू और डिंपी एक साथ बोल पड़े. सज़ा सुनकर दोनों की अटकी हुई सांस वापस आ गई थी.
‘‘भई वाह, यह दुनिया का पहला उदाहरण होगा, जहां दोषी ख़ुद अपनी मर्ज़ी से डबल सज़ा भुगतना चाहते हैं. मैं तुम दोनों महारथियों का नाम गिनीज बुक्स ऑफ रिकार्ड्स में शामिल करने के लिए भेजूंगा.’’ टाइगर सिंह मुस्कुराए फिर हंसते हुए बोले, ‘‘तुम दोनों ख़ुद ही डबल सज़ा भुगतने को राजी हो, तो मैं भी तुम्हारी सज़ा डबल किए दे रहा हूं.’’
‘‘कैसी सज़ा महाराज?’’ डिंपी घबरा उठा.
‘‘2 दिसंबर को मैं सुंदर वन के वासियों की विशाल सभा बुला रहा हूं. उसमें तुम दोनों को ‘नेशनल पोल्यूशन कंट्रोल डे’ के ऊपर भाषण देना होगा और प्रदूषण रोकने के लिए बनाए गए क़ानूनों की जानकारी देनी होगी.’’ टाइगर सिंह ने नई सज़ा सुनाई.
‘‘लेकिन… लेकिन… महाराज, हमें तो इन क़ानूनों के बारे में कुछ भी मालूम नहीं.’’ कालू हड़बड़ा उठा.
‘‘और महाराज, हमें भाषण देना भी नहीं आता. हम लोग तो कभी मंच पर चढ़े तक नहीं.’’ डिंपी की भी हालत ख़राब हो गई.
यह सुन हाथी दादा मुस्कुराए, ‘‘तुम लोगों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं. महाराज ने बहुत बड़ी लाइब्रेरी बनवाई है. वहां क़िस्से-कहानियों की किताबों के साथ-साथ क़ानून की सभी किताबें उपलब्ध हैं. कल सुबह मेरे पास आ जाना, मैं तुम लोगों को क़ानून की किताबें दिलवा दूंगा. साथ ही भाषण देना भी सिखला दूंगा.’’
इसी के साथ महाराज टाइगर सिंह दरबार की कार्यवाई समाप्त करने का इशारा किया. सभी उनके न्याय की प्रशंसा करते हुए वापस लौट पड़े.

संजीव जायसवाल ‘संजय’

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Usha Gupta

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