घर से ऑफिस तक के रास्ते में मेरा स्कूल, मेरे बचपन का स्कूल बीच में आता था. मैं रोज़ स्कूल देखता, तो अपने स्कूल के वो मस्ती भरे दिन दिलो-दिमाग़ पर छा जाते. सच कुछ देर के लिए ही सही, किंतु जीवन की सभी परेशानियों को भूल कर हृदय सुकून और चेहरा मुस्कुराहट से भर जाता था.
ऑफिस जाने के लिए घर से निकला ही था कि कुछ दूर जाकर स्कूल के सामने गाड़ी ख़राब हो गई. ड्राइवर गाड़ी ठीक करने लगा और मैं वही स्कूल गेट के सामने बने चबूतरे पर बैठ गया. सामने स्कूल के बच्चों की भीड़ ख़ूब हो-हल्ला करते हुए एक-दूसरे की कमीज़ पर कुछ लिख रहे थे.
‘लगता है आज बारहवीं कक्षा के बच्चों का स्क्रिबलिंग डे है.’ उन्हें यूं एक-दूसरे की कमीज़ पर स्क्रिबल करते देख मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई. मन-मस्तिष्क पर यादों के बादल छा गए और तुम और तुम्हारी वो झुकी नज़रें उन बादलों की रिमझिम बारिश में मुझे भिगोने लगीं और तुम मुझे याद आने लगीं.
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मुझे याद है वो ग्यारहवीं कक्षा का प्रथम दिन था. मैं अपने दोस्तों के साथ बातों में मशगूल था कि तभी ‘मे आई कम इन मैम.’ की मीठी सी मासूम आवाज़ ने बातों का सिलसिला तोड़ा. तुम क्लास के दरवाज़े पर खड़ी मैम से पूछ रही थीं. तुम्हें देखकर मैं अपने आपको भूल गया था. तुम्हारा मासूम और ख़ूबसूरत चेहरा पहली ही नज़र में मेरे दिल में उतर गया था.
मैंने तुम्हें दोस्त बनाने का भरसक प्रयत्न किया, किंतु तुम सिर्फ़ एक सहपाठी की सीमा में रही. बारहवीं तक आते-आते शायद इतना तो तुम्हें पता चल गया था कि मैं तुम्हें पसंद करता हूं, पर तुम जान-बूझकर इस बात से अनजान बनी रही.
समय के साथ हम बारहवीं कक्षा के अंतिम दिन तक पहुंच गए. उस दिन स्क्रिबलिंग डे था. स्क्रिबलिंग डे बारहवीं कक्षा के बच्चों के लिए जीवन का सबसे यादगार और अनमोल दिन… ऐसा दिन जिसमें सभी मित्र एक-दूसरे की कमीज़ पर अपनी अमिट छाप छोड़ते हैं. एक-दूसरे के लिए संदेश लिखते हैं कुछ आने वाली बोर्ड की परीक्षाओं के लिए गुड लक संदेश लिखते हैं… कुछ भावी जीवन के लिए शुभकामनाएं संदेश लिखते हैं… कुछ सदैव मित्रता निभाने के लिए और कोई अपने प्रियतम के लिए प्रेम संदेश.
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सभी बच्चे उत्साहित भी थे और दुखी भी. उत्साहित इसलिए, क्योंकि सभी अपने जीवन का नया अध्याय आरंभ करने वाले थे और दुखी इसलिए कि ये मस्ती भरी स्कूल लाइफ को विराम लग गया था और सभी एक-दूसरे से बिछड़ रहे थे.
सभी एक-दूसरे की कमीज़ पर संदेश लिख रहे थे, पर मेरी निगाहें तो बस तुम पर थीं. मैं सबसे पहले तुमसे संदेश लिखवाना चाहता था. मैं तुम्हारे पास गया और झिझकते हुए कहा, “प्लीज़ मेरी कमीज़ पर भी लिख दो…”
तुम बाजू पर लिखने लगी थी, तो मैंने कहा, “यहां नहीं, ऊपर दिल पर…” ये सुनते ही पहली बार तुम्हारी नज़रें शर्म से झुकी थीं और तुम भावी जीवन के लिए शुभकामनाएं लिख कर वहां से चली गईं.
वक़्त के साथ हम सभी अपने-अपने जीवन में मशगूल हो गए, पर मेरा पहला प्यार और तुम्हारी वो झुकी नज़रें आज भी मेरे हृदय में सुरक्षित हैं क्यूंकि पहला प्यार तो अमिट होता है.
– कीर्ति जैन
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