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राष्ट्रीय एकता दिवस: सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती- प्रधानमंत्री मोदीजी व देश ने उन्हें याद किया..(Rashtriya Ekta Diwas: Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti- Prime Minister Modiji And The Nation Pay Tributes To Him)

आज सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में देशभर में मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने…

आज सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में देशभर में मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने इस मौक़े पर एक वीडीयो संदेश जारी किया. गुजरात के केवडिया में पटेलजी की प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर शानदार समारोह हो रहा है. गृह मंत्री अमित शाह ने कार्यक्रम में शामिल होकर सरदार पटेल को श्रद्धांजलि दी. एकता दिवस समारोह में एकता परेड भी निकाली गई. सरदार वल्लभ भाई पटेलजी को शत् शत् नमन! आज के दिन हमें उनके विचारों व दृढ़ता से प्रेरणा व सीख लेते हुए जीवन में उसे अपनाने की पुरज़ोर कोशिश करते रहना चाहिए.

  राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व गृहमंत्री अमित शाह ने पटेलजी को उनकी जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए, वहीं देशभर में रन फॉर यूनिटी का आयोजन हो रहा है. इस अवसर पर मोदीजी ने ख़ास वीडीयो संदेश जारी कर पटेल के विचारों को लोगों के सामने रखा.

आज सरदार पटेलजी के 146 वीं जयंती पर भारतभर में तमाम कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इनमें एकता की दौड़, परेड के साथ-साथ विचार-विमर्श से जुड़े भी कई कार्यक्रम हैं.


प्रधानमंत्री मोदीजी ने पटेलजी को याद करते हुए कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल के विचारों में देश की एकता को हर शख़्स महसूस कर सकता है.

इस मौक़े पर सरदार पटेल से जुड़ी ख़ास बातें…

लौह पुरुष…

* सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 में गुजरात के नडियाद में हुआ था.

* उनका पूरा नाम वल्लभभाई झावेरभाई पटेल था, पर वे सरदार पटेल के नाम से विख्यात हुए.

* उन्हें लौह पुरुष व आयरन मैन के रूप में जाना जाता है.

* उनकी पत्नी का नाम झावेरबा पटेल था.

* पटेलजी अपने साहसिक निर्णय के लिए जाने जाते थे.

* इसमें कोई दो राय नहीं कि वे एक कुशल राजनीतिज्ञ और बेहतरीन व्यक्ति थे.

* उनके विचार आज के संदर्भ में भी उतने ही सार्थक व तर्कपूर्ण हैं.

* तमाम विरोधों व अवरोधों के बावजूद वे सत्य पर अडिग रहे और देश की एकता व अखंडता से कभी भी समझौता नहीं किया. इसी कारण उनकी लौह पुरुष की छवि बनीं.

विशेष: आज ही के दिन लद्दाख व जम्मू-कश्मीर नए केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं.

– ऊषा गुप्त

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मीति और मधुर बचपन से एक ही स्कूल में पढते थे, लेकिन मधुर के पिता का अचानक निधन हो गया और उसे मीति का स्कूल छोड़ सरकारी स्कूल में दाख़िला लेना पड़ा. लेकिन आते-जाते अक्सर दोनों के रास्ते मिल ही जाते थे और उनकी नज़रें मिल जातीं, तो दोनों केचेहरे  पर अनायास मुस्कुराहट आ जाती. स्कूल ख़त्म हुआ तो दोनों ने कॉलेज में एडमिशन ले लिया था. दोनों उम्र की उस दहलीज़ पर खड़े थे जहां आंखों में हसीन सपने पलने लगते हैं. मधुर भी एक बेहद आकर्षक व्यक्तित्व में ढल चुका थाऔर उसके व्यक्तित्व के आकर्षण में मीति खोती जा रही थी. कई बार मधुर ने उसे आगाह भी किया था कि मीति तुम एक रईस पिता की बेटी हो, मैं तो बिल्कुल साधारण परिवार से हूं, जहां मुश्किल से गुज़र-बसर होती है, लेकिन मीति तो मधुर के प्यार में डूब चुकी थी. वहकब मधुर के ख्यालों में भी बस गई थी वह यह जान ही नहीं पाया. मीति कभी नोट्स, तो कभी असाइनमेंट के बहाने उसके पास आ जाती, फिर कभी कॉफी, तो कभी  आइसक्रीम, ये सब तो उसका मधुरके साथ नज़दीकियां बढ़ाने का बहाना था.   अब मीति और मधुर क़ा इश्क कॉलेज में भी किसी से छिपा नहीं रह गया था. करोड़पति परिवार की इकलौती लाडली मीति कोपूरा विश्वास था कि मध्यवर्गीय परिवार के मधुर के कैंपस सेलेक्शन के बाद वह पापा को अपने प्यार से मिलवायेगी. मल्टीनेशनल कंपनी के ऊंचे पैकेज का मेल मिलते ही मधुर ने मीति को अपनी आगोश में ले लिया ऒर वह भावुक हो उठा, ”मीति, तुम तो मेरे जीवन मेंकी चांदनी हो, जो शीतलता भी देती है और चारों ओर रोशनी की जगमगाहट भी फैला देती है. जब हंसती हो तो मेरे दिल में न जानेकितनी कलियां खिल उठती हैं. बस अब मेरी जिंदगी में आकर मेरे सपनों में रंग भर दो.” मीति मधुर के प्यार भरे शब्दों में खो गई और लजाते हुए उसने अपनी पलकें झुका लीं और मधुर ने झट से उसकी पलकों को चूम  लिया था. इस मीठी-सी छुअन से उसका पोर-पोर खिल उठा. वह छुई मुई सी अपने में सिमट गई. लेकिन इसी बीच मीति के पापा ने उसकी ख्वाहिश को एक पल में नकार दिया और मधुर को इससे दूर रहने का फरमान सुना दिया. मधुर उदास पराजित-सा होकर दूर चला गया. दोनों के सतरंगी सपनों का रंग बदरंग कर दिया गया था. मधुर ने अपना फ़ोन नंबर भी बदल दिया था और अपनी परिस्थिति को समझतेहुए मीति से सारे संबंध तोड़ लिये थे.  मीति के करोड़पति पापा ने धूमधाम और बाजे-गाजे के साथ उसे मिसेज़ मेहुल पोद्दार बना दिया. उसका अप्रतिम सौंदर्य पति मेहुल केलिए गर्व  का विषय था. समय के साथ वह जुड़वां बच्चों की स्मार्ट मां बन गई थी. पोद्दार परिवार की बहू बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमतीऔर अपने चेहरे पर खिलखिलाहट व मुस्कान का मुखौटा लगाए हुए अपने होने के एहसास और वजूद को हर क्षण तलाशती-सी रहती. उसे किसी भी रिश्ते में उस मीठी-सी छुअन का एहसास न हो पाता और वह तड़प उठती. सब कुछ होने के बाद भी वह खोई-खोई-सी…

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