Relationship & Romance

रिश्तों की बीमारियां, रिश्तों के टॉनिक (Relationship Toxins And Tonics We Must Know)

रिश्ते (Relationships) जीने के आधार हैं… मुहब्बत की शीतल बयार हैं, पर जब इन्हीं रिश्तों में शक, ईर्ष्या, अविश्‍वास की बीमारियां फैलने लगती हैं, तब जीना दूभर हो जाता है. तो क्यों न प्यार, विश्‍वास, समझदारी जैसे टॉनिक से इन बीमारियों को दूर किया जाए और रिश्तों में मुहब्बत की मिठास घोली जाए.

आज जहां एक ओर दुनिया सिमट रही है, वहीं दूसरी ओर रिश्ते और परिवार टूट रहे हैं. एक-दूसरे के प्रति हमारी संवेदनाएं कम होती जा रही हैं. हमारी व्यस्तताएं, हमारे अवसादों की छाया हमारे रिश्तों पर दिखने लगी है. नतीज़तन रिश्ते अपना औचित्य, अपनी गरिमा खोते जा रहे हैं. इन सबके बीच हम यह भूल जाते हैं कि स्वस्थ रिश्ते एक परिपक्व समाज की दरक़ार हैं. इसलिए सबसे ज़रूरी यह है कि हम यह जानें कि हमारे रिश्ते किन बीमारियों से जूझ रहे हैं यानी वे कौन-सी भावनात्मक बीमारियां हैं, जो रिश्तों को खोखला कर रही हैं. साथ ही रिश्तों से जुड़े उन पहलुओं के बारे में भी जानें, जो रिश्तों की इन बीमारियों को दूर करने में टॉनिक का काम करती हैं.

रिश्तों की बीमारियां

शक और अविश्‍वास

जी हां, रिश्ते की सबसे बड़ी व भयंकर बीमारी है शक. किसी भी रिश्ते में ख़ासकर पति-पत्नी के रिश्ते में अगर शक पनपने लगे, तो समझ लीजिए कि आपके रिश्ते को आई.सी.यू. की ज़रूरत है. शक या संशय के साथ किसी भी रिश्ते को ़ज़्यादा दिनों तक नहीं निभाया जा सकता. आप जिस व्यक्ति या रिश्ते पर शक कर रहे हैं, उससे आप कभी प्रेम या जुड़ाव नहीं कर पाएंगे. यदि आप किसी रिश्ते से बंधे हैं, तो आपको चाहिए कि उसे पूरे दिल से स्वीकार करें. यदि आपको किसी पर अविश्‍वास है, तो इसका मतलब है कि आपके रिश्ते में खटास है और उस रिश्ते को आपने पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया है. अविश्‍वास किसी भी रिश्ते के लिए घातक है. फिर चाहे बात मां-बेटी की होे, सास-बहू की या फिर ननद-भाभी की.

द्वेष या जलन

किसी से द्वेष या जलन की भावना जहां एक ओर आपको आपके प्रियजनों से दूर करती है, वहीं दूसरी ओर आपके व्यक्तित्व को भी ख़राब करती है. किसी से द्वेष या जलन की भावना बीमारी होने से ज़्यादा बुरी है. यह आदत आपके किसी एक रिश्ते को नहीं, बल्कि सारे रिश्तों को बीमार कर सकती है. आप किसी एक से जलना शुरू करेंगे और फिर धीरे-धीरे आप हर किसी से जलने लगेंगे.

बेवफ़ाई

किसी भी रिश्ते में बेवफ़ाई या बेईमानी उस रिश्ते की ज़ड़ों को ही खोखला कर देती है. किसी के विश्‍वास और प्रेम को ठेस पहुंचाकर कोई रिश्ता नहीं निभाया जा सकता.

क्रोध

क्रोध रिश्तों की उम‘ को कम करता है. क्रोध से रिश्तों में दूरियां आती हैं. क्रोधित व्यक्ति अक्सर ग़ुस्से में रिश्तों की मान-मर्यादाओं को भूल जाता है.

अभिमान या ईगो

हमेशा याद रखें कि आत्मसम्मान और ईगो दो अलग-अलग चीज़ें हैं, इसलिए रिश्ते निभाने में किसी भी ज़िम्मेदारी को ईगो या झूठी प्रतिष्ठा से न जोड़ें, जैसे- “हमेशा मैं ही क्यों फ़ोन करूं, वह क्यों नहीं फ़ोन करता या करती.” “हमेशा मैं ही क्यों माफ़ी मांगू.” आदि.

अपेक्षाएं

रिश्तों में अपेक्षाओं का होना स्वाभाविक है और रिश्ते को ज़िंदा रखने के लिए कुछ हद तक ये ज़रूरी भी है. लेकिन अपेक्षाएं जब हद से ़ज़्यादा बढ़ जाएं तो यह किसी बीमारी से कम नहीं. अपेक्षाओं का बोझ बढ़ने से रिश्ते दम तोड़ देते हैं.

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रिश्तों के टॉनिक

प्रेम

जिस रिश्ते में निःस्वार्थ व निश्छल प्रेम है, उस रिश्ते को किसी और टॉनिक की ज़रूरत ही नहीं. जिस रिश्ते में प्रेम है, उस रिश्ते की उम‘ अपने आप बढ़ जाती है. प्रेम हर रिश्ते को ख़ुशनुमा व तरोताज़ा बनाए रखता है.

समय

रिश्तों को समय देना बहुत ज़रूरी है. आप अपने रिश्तों को कितना समय देते हैं, उससे यह तय होता है कि वह रिश्ता आपके लिए कितना मायने रखता है. एक-दूसरे के साथ, परिवार के साथ समय बिताने से रिश्तों में प्रेम व विश्‍वास बढ़ता है.

विश्‍वास

एक समृद्ध रिश्ते के लिए आपसी विश्‍वास होना बेहद ज़रूरी है. विश्‍वास दोनों तरफ़ से होना चाहिए. रिश्तों में विश्‍वास होने का मतलब है कि आपका कोई भी रिश्ता फल-फूल
रहा है.

संयम

रिश्तों को कभी-कभी विषम परिस्थितियों से भी गुज़रना पड़ता है, ऐसे में संयम बरतें. यदि कोई एक अपना विवेक खोता भी है, तो दूसरा अपना संयम बनाए रखे, ताकि आपके रिश्ते में दरार न प़ड़े.

समझदारी

किसी भी रिश्ते को निभाने के लिए परिपक्व विचारों की आवश्यकता होती है. एक-दूसरे की भावनाओं और परिस्थितियों को समझने की कोशिश करें. हर साझेदारी को पूरी समझदारी से निभाएं. इस तरह रिश्ते की हर छोटी-मोटी समस्या को आप समझदारी से सुलझा सकते हैं.

स्पेस

कुछ समय पहले तक शायद इस टॉनिक की ज़रूरत रिश्तों को नहीं थी, पर आज के बदलते परिवेश में इसकी ज़रूरत हर रिश्ते में है. हर रिश्ते में एक-दूसरे के स्पेस का हमें आदर करना चाहिए. एक-दूसरे के मामलों में ज़्यादा हस्तक्षेप न करें. आज हर किसी को ख़ुद के लिए कुछ स्पेस की ज़रूरत है और इसमें कुछ ग़लत नहीं है. आप अपने रिश्ते को जितनी स्पेस देंगे, उतनी ही उनमें घुटन कम होगी.

इन सबसे ़ज़्यादा ज़रूरी है कि आप में किसी रिश्ते को निभाने की दृढ़ इच्छाशक्ति होनी चाहिए, ताकि आप उन रिश्तों को पूरी ईमानदारी से निभाने का प्रयत्न कर सकें. आप जिनके साथ रिश्ता बांट रहे हैं, उनका आदर, उनकी भावनाओं का आदर, उनके व्यक्तित्व का आदर करें. किसी भी रिश्ते को  टूटने न दें, क्योंकि हर रिश्ता अनमोल है.

– विजया कठाले निंबधे

यह भी पढ़ें: क्या होता है जब प्रेमिका बनती है पत्नी? (After Effects Of Love Cum Arrange Marriage)

Aneeta Singh

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