कहानी- अपनी-अपनी लक्ष्मण रेखा (Short Story- Apni Apni Laxman Rekha)

“मेघा, मुझे शाम को अपने यहां आने से मत रोको. कल सारी रात मैंने तुम्हारे बारे में सोचते-सोचते बिताई. पिछले कुछ दिनों से मैं तुम्हें बेहद चाहने लगा हूं. तुम तो जानती हो, जूही के साथ मैं कितनी नीरस, आधी-अधूरी-सी ज़िंदगी बिता रहा हूं, लेकिन तुम्हारे साथ बिताए कुछ घंटे भी मेरी ज़िंदगी को अर्थपूर्ण बना देते हैं.”
मेघा के मुंह से भी अनायास ही निकल पड़ा, “मैंने भी कल की रात आंखों ही आंखों में बिताई है तेजस. अगर मैं कहूं कि मैं तुम्हें, तुम्हारा साथ पसंद नहीं करती, तो यह ग़लत होगा, लेकिन ज़रा सोचो तेजस, एक-दूसरे के प्रति हमारी चाहत हमें कहां ले जाएगी?..”

मेघा आज बहुत ख़ुश थी. स्वतंत्र वकील के तौर पर आज उसने अपना पहला मुक़दमा जीता था. कई पेचीदगियों से भरा मुक़दमा था वह, लेकिन तेजस के कुशल मार्गदर्शन तथा स्वयं अपनी प्रतिभा के बूते पर वह उसे जीतने में सफल हो गई थी. काश! आज उसके पति करण ज़िंदा होते, तो कितने ख़ुश होते उसकी इस सफलता पर. अनायास ही उसने टेबल पर रखी करण की फोटो उठा ली और मन-ही-मन उससे बातें करने लगी, “करण, देख रहे हो न? तुम्हारी मेघा ने आज अपना पहला मुक़दमा किस शान से जीता है. ख़ुश तो हो ना, मेरी इस सफ़लता पर? आज तुम जीवित होते, तो मेरी ख़ुशी की इंतहा न होती.” करण की तस्वीर से यूं बातें करते-करते न जाने कब मेघा की आंखों की कोर गीली हो आई और वह सिसकियां भरने लगी.
करण को गुजरे दो वर्ष पूरे हो गए थे, लेकिन वह अभी तक इस शोक से पूरी तरह से उबर नहीं पाई थी. दोनों बच्चे पुलकित और प्रिया भी उसके शोक संतस हृदय पर सुकून का मरहम न लगा पाते.
रह-रहकर वह बस यही सोचती कि विधाता ने करण को उठा कर उसे क्यों ज़िंदगीभर तड़पने की सज़ा दे दी? दिन तो मुक़दमों की तैयारी और कचहरी की भागदौड़ में किसी तरह बीत भी जाता, लेकिन रात के अंधेरे में ज़िंदगी का सूनापन सहना असहनीय हो जाता उसके लिए. यह तो तेजस, उसके और करण के अंतरंग दोस्त की दोस्ती की मेहरबानी थी कि एलएलबी पास करने के पंद्रह वर्षों बाद भी उसने उसके मार्गदर्शन में वकालत शुरू कर दी और आज स्वतंत्र रूप से एक मुक़दमा जीत भी लिया था.
अंधेरा घिर आया था, लेकिन उठकर लाइट जलाने की सुध भी नहीं थी उसे. वह तो बस करण की तस्वीर को सीने से लगाए सिसकियां ही भर रही थी कि किसी की पदचाप कमरे में गूंजी और खट से कमरे में उजाला हो गया. उसके सामने तेजस खड़ा था.


“मेघा, क्या हुआ? आज तो ख़ुश होने का दिन है और तुम बैठी रो रही हो, बहुत ग़लत बात है.” उसके पास आते हुए तेजस ने उसे कुर्सी से उठाकर अपने सीने से लगा लिया था तथा उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा था, “मेघा प्लीज़, चुप हो जाओ, मैं तुम्हें रोता हुआ नहीं देख सकता.”
“तेजस, चुप होना मेरे बस में नहीं है. मैं करण को नहीं भुला सकती, कभी नहीं, मैंने उसे अपने आप से भी ज़्यादा चाहा है. उसके बिना कैसे जिऊं? मैं नहीं जी सकती अकेले.”
“तुम अकेली कहां हो, मैं हूं ना तुम्हारे साथ. चलो, आज का दिन यूं रोने का नहीं, सेलिब्रेट करने का है. आज तुमने अपनी ज़िंदगी का पहला मुक़दमा जीता है. चलो बच्चों को बुलाओ, होटल चलते हैं, वहां बढिय़ा खाना खाएंगे.”
“तेजस, क्यों न जूही और बच्चों को भी हम अपने साथ ले लें. वे भी चले चलेंगे हमारे साथ।”
जूही तेजस की पत्नी थी.

यह भी पढ़ें: स्त्रियों की 10 बातें, जिन्हें पुरुष कभी समझ नहीं पाते (10 Things Men Don’t Understand About Women)


“नहीं-नहीं मेघा, जूही यह बिल्कुल पसंद नहीं करेगी, तुमसे तो कुछ छिपा हुआ नहीं है. मैं तुम्हें शुरू से बताता आया हूं, करण की मौत के बाद से वह मुझे हमेशा तुम्हारे पास आने के लिए मना करती है. अगर मैं उससे कहता हूं कि तुम भी चलो, तो वह ख़ुद भी यहां नहीं आती, न जाने क्या दुश्मनी है उसकी तुमसे कि अब तो तुम्हारे नाम से भी खार खाती है. अब तुम ही बताओ, उसकी वजह से मैं तुम्हारे पास आना बंद तो नहीं कर सकता ना.” करण, तेजस और मेघा ने साथ-साथ एक ही कॉलेज से वकालत पास की थी तथा तेजस और करण दोनों शहर के प्रसिद्ध वकील थे.
कॉलेज की दोस्ती तीनों ने बाद तक निभाई थी. कोई दिन ऐसा नहीं जाता था, जिस दिन तेजस, करण और मेघा से न मिलता हो. करण और मेघा तो अपने विवाहित जीवन में इतने सुखी व संतुष्ट थे कि उन्हें अपनी ज़िंदगी में किसी तीसरे की ज़रूरत महसूस ही नहीं होती थी.
वे दोनों अपनी समान रुचियों, शौकों के चलते बहुत सुख-सुकून भरी व्यस्त ज़िंदगी बिता रहे थे, लेकिन पत्नी के मामले में तेजस करण जितना भाग्यशाली नहीं था.
तेजस की पत्नी जूही यूं तो सुशिक्षित, सुंदर व हर तरह से सलीकेदार थी, लेकिन उसकी दुनिया घर और बच्चों तक ही सीमित थी. तेजस जैसे बौद्धिक, बहुआयामी व्यक्तित्ववाले प्रतिभाशाली व्यक्ति से मानसिक तारतम्य बिठा पाने में वह सर्वदा असमर्थ थी. समान रुचि, शौक के चलते करण और मेघा जिस तरह ज़िंदगी का एक-एक पल ख़ुशी से बिताते, जूही तेजस के साथ वैसी मित्रता करने में असमर्थ थी. शायद इसीलिए तेजस करण और मेघा के सान्निध्य में अपनी मानसिक भूख मिटाता. तेजस को अपनी पत्नी का बेहद घरेलू होना बहुत अखरता तथा मन ही मन वह करण की तक़दीर से रश्क़ करता कि उसे कितनी योग्य व प्रतिभाशाली जीवनसंगिनी मिली है. कभी-कभी तो वह मेघा के सामने ही जूही को झिड़क दिया करता कि मेघा से कुछ सीखो. घर-गृहस्थी के सीमित दायरे से ऊपर उठकर कुछ बाहर की दुनिया में रुचि लो.


करण की मौत के बाद भी उसकी और मेघा की दोस्ती में कोई फर्क़ नहीं आया. उसी ने मेघा को वकालत शुरू करने के लिए प्रोत्साहित भी किया था. अब वह रोज़ शाम को करण के ऑफिस आकर मेघा को उसके मुक़दमों की तैयारी करवाता.
जूही को तेजस का मेघा के साथ समय बिताना फूटी आंखों नहीं सुहाता. वह लगभग रोज़ ही तेजस के साथ इस मुद्दे पर लड़ती, लेकिन तेजस जूही की इन बातों पर तनिक भी ध्यान न देता तथा मेघा को भरपूर सहयोग देता.
समय अपनी ही गति से बीत रहा था. करण की मौत को तीन वर्ष पूरे होने को आए थे. पिछले एक वर्ष में मेघा शहर की एक कुशल वकील के रूप में उभरी थी. करण के बिछोह के अलावा उसे और कोई दुख नहीं था. अकेलापन दूर करने के लिए तेजस का साथ था ही. रोज़ाना तीन-चार घंटे साथ बिताने से दोनों इतने अंतरंग हो गए थे कि दोनों ही एक-दूसरे की ज़रूरत बन बैठे थे.
करण की अनुपस्थिति में तेजस मेघा का भावनात्मक सहारा बन बैठा था. वैसे तो उन दोनों में अंतरंग मित्रता कॉलेज के ज़माने से ही थी, लेकिन अब करण की मौत के बाद दोनों एक अबूझ भावनात्मक रिश्ते में जकड़ते जा रहे थे. यदि कभी किसी ज़रूरी काम की वजह से तेजस मेघा से न मिल पाता, तो वो बैचेन हो उठता. किसी काम में उसका मन न लगता. दरअसल, वो मन ही मन मेघा को चाहने लगा था. इधर मेघा भी तेजस के आकर्षण से अछूती नहीं बची थी. तेजस के निरंतर सान्निध्य ने उसके मन में भी तेजस के प्रति चाहत की लौ जला दी.
उस दिन जूही का जन्मदिन था, उसने तेजस के साथ पिक्चर जाने का कार्यक्रम बनाया, लेकिन उसी दिन तेजस ने मेघा के साथ स्थानीय रंगमंच पर एक प्रसिद्ध अंग्रेज़ी नाटक देखने के लिए चार टिकटें मंगा रखी थीं. दोनों को नाटक देखने का बेहद शौक था. तेजस जूही से किसी ज़रूरी काम का बहाना बना मेघा और बच्चों को नाटक दिखाने ले जाने आया था.
तेजस और मेघा बच्चों के साथ नाटक देखने के लिए निकल ही रहे थे कि जूही मेघा के यहां आ धमकी तथा बोली, “मेघा, बहुत ग़लत बात है. मुक़दमों की तैयारी में तेजस तुम्हारी सहायता करता है, यह तो मान लिया, लेकिन जिस तरह तुम तेजस के साथ घूमने-फिरने, मौज-मस्ती के लिए जाती हो, क्या यह सही है? हर शाम तेजस तुम्हारे साथ बिताता है, तुम्हें यह भी तो सोचना चाहिए कि मुझे भी तेजस की ज़रूरत हो सकती है. मैं और बच्चे भी तो तेजस का साथ चाहते हैं. आज मेरा जन्मदिन है, तेजस को मेरे साथ तो पिक्चर जाने की फ़ुर्सत नहीं, लेकिन तुम्हारे साथ वह कितने मजे से बाहर जा रहा है. क्या टोटका कर दिया है तुमने उस पर जो वह हरदम तुम्हारे पल्लू से बंधा रहता है?”
जूही की ये बातें सुनकर मेघा बोली, “जूही, मानो या न मानो, लेकिन सारी ग़लती तो तुम्हारी ही है. तुम्हें तेजस को अपने पल्लू से बांधना ही नहीं आया. तुम जानती थी कि तेजस और मेरी दोस्ती कॉलेज के ज़माने से है और तेजस महज़ तुम्हारे कहने पर मेरे यहां आना हर्गिज बंद नहीं करेगा. लेकिन तुम हमेशा उसे मेरे यहां आने से रोकती रहीं. अब यदि तुम इस तरह उसे मेरे यहां आने से रोकोगी, तो वह तुमसे झूठ बोलेगा ही. आज तुम्हारा जन्मदिन है, इसलिए जन्मदिन की ढेरों मुबारकबाद. हां, एक बात और तेजस अब तुम मेरे घर रोज़ शाम को नहीं आओगे. जब भी मुझे किसी मुक़दमे में तुम्हारी सहायता की ज़रूरत पड़ेगी, मैं तुम्हारे घर आ जाऊंगी. मेरी भी ग़लती थी कि मैंने अपने स्वार्थ में यह कभी नहीं सोचा कि तुम्हारे खाली वक़्त पर जूही और बच्चों का अधिकार है. जूही, अब तुम्हें मेरी तरफ़ से कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए. हां, इतना ज़रूर बता दो, मैं तुम्हारे घर तो आ सकती हूं ना?”


“हां हां मेघा, क्यों नहीं? मेरे घर के दरवाज़े हमेशा तुम्हारे लिए खुले हैं. तुम जब चाहो आ सकती हो, तुम्हारा स्वागत है.”
अगले हफ़्ते पूरे सातों दिन तेजस अपने नियत वक़्त पर नहीं आया.
उस दिन रविवार था, कचहरी की छुट्टी थी. सारा दिन मेघा खाली थी. उस दिन उसे तेजस की शिद्दत से याद आ रही थी. उस दिन से पहले मेघा को यह अनुभव नहीं हुआ था कि वह मानसिक रूप से तेजस से हद से ज़्यादा जुड़ चुकी है. दो घंटे तक मेघा अपने कक्ष में एक मुक़दमे का विवरण अपने सामने रखे बैठी रही, लेकिन इन दो घंटों में उससे मुक़दमे से संबंधित एक शब्द भी पढ़ा नहीं गया. पूरे वक़्त तेजस का ख़्याल उसके दिमाग़ पर छाया रहा. वह यह सोचती रही कि तेजस से रोज़ न मिलकर अकेले मुक़दमों की तैयारी करना उसके लिए कितना दुश्कर होगा. करण की मौत के बाद वह तेजस से रूहानी तौर पर इतना जुड़ चुकी थी कि अब अकेले वक़्त काटना उसे दूभर लग रहा था. कुछ ही देर में तेजस से मिलने के लिए वह छटपटा उठी और उसे अनुभव होने लगा कि तेजस उसकी चाहत का केन्द्र बिन्दु बन चुका है.

यह भी पढ़ें: आख़िर क्यों बनते हैं अमर्यादित रिश्ते? (Why Do We Have Immoral Relationships In Our Society?)

पूरी रात मेघा ने तेजस के बारे में सोचते हुए आंखों ही आंखों में बिताई थी. लेकिन साथ ही साथ मेघा की अंतरात्मा ने उससे सवाल भी किया, ‘मेघा, तेरी और तेजस की एक-दूसरे के प्रति चाहत का भविष्य क्या होगा. एक हंसते-खेलते परिवार की बर्बादी ही न? एक शादीशुदा गैरमर्द के साथ संबंध रखने से समाज में तुझे सिर्फ़ लांछन और बदनामी ही मिलेगी. तेजस के साथ संबंधों की वजह से तू समाज में सिर उठाकर जी नहीं पाएगी. तेजस की चाहत उसके और उसके बच्चों के लिए महज़ एक गहरी दलदल होगी. क्या तू बेचारी जूही से उसके बिना किसी दोष के उसका पति और उसके बच्चों से उनका पिता छीन लेगी?’
नहीं… नहीं, वह एक निर्दोष परिवार की आह नहीं लेगी. जी कड़ा करके वह तेजस से अपने भावनात्मक लगाव को ख़त्म करके रहेगी. इसी में सबकी भलाई है. इस निश्चय से उसके विक्षुब्ध अंतर्मन को शांति मिली तथा रात एक-दो घंटे के लिए वह नींद के आगोश में समा गई.
अगली सुबह कचहरी जाने के लिए मेघा अपनी गाड़ी में बैठ ही रही थी कि अपने सामने तेजस को देखकर मन ही मन आत्मिक सुकून का अनुभव हुआ उसे. तेजस ने उससे कहा, “मैं भी तुम्हारे साथ कचहरी चलूंगा.” और वह भी उसकी गाड़ी में आ बैठा.
उसने मेघा से कहा, “मेघा, मुझे शाम को अपने यहां आने से मत रोको. कल सारी रात मैंने तुम्हारे बारे में सोचते-सोचते बिताई. पिछले कुछ दिनों से मैं तुम्हें बेहद चाहने लगा हूं. तुम तो जानती हो, जूही के साथ मैं कितनी नीरस, आधी-अधूरी-सी ज़िंदगी बिता रहा हूं, लेकिन तुम्हारे साथ बिताए कुछ घंटे भी मेरी ज़िंदगी को अर्थपूर्ण बना देते हैं.”
मेघा के मुंह से भी अनायास ही निकल पड़ा, “मैंने भी कल की रात आंखों ही आंखों में बिताई है तेजस. अगर मैं कहूं कि मैं तुम्हें, तुम्हारा साथ पसंद नहीं करती, तो यह ग़लत होगा, लेकिन ज़रा सोचो तेजस, एक-दूसरे के प्रति हमारी चाहत हमें कहां ले जाएगी? इस चाहत का कोई भविष्य नहीं है. निर्दोष जूही का जीवन बिना किसी दोष के बर्बाद हो जाएगा. मैं और तुम समाज में सिर उठाकर जी नहीं पाएंगे. हमारा रिश्ता बेनाम, नाजायज़ कहलाए… नहीं तेजस नहीं, हमें अपनी भावनाओं पर अंकुश लगाना होगा. यह बचकानापन छोड़ना होगा, वायदा करो कि कभी अकेले मेरे घर नहीं आओगे. जब भी आओगे, जूही के साथ आओगे या फिर मैं तुम्हारे घर आ जाया करूंगी. मैं जानती हूं, भावनाओं पर रोक लगाना आसान नहीं है, लेकिन हमें मन को कड़ा करके कोशिश करनी होगी. इसी में हम सबकी भलाई है.”
“बहुत बड़ी सज़ा दे रही हो मेघा, मुझे भी और अपने आपको भी. इतनी समझदारी की बातें क्यों करती हो तुम?”
“समझदारी में ही सबकी भलाई है.” यह कहकर एक दृढ़ निश्चय की चमक आंखों में लिए मेघा ने गाड़ी कचहरी की ओर दौड़ा दी.
इस बात को गुज़रे दस वर्ष बीत चुके हैं. अपनी मेहनत तथा तेजस के प्रोत्साहन से मेघा एक कर्मठ व योग्य वकील के रूप में जयपुर शहर में स्थापित हो चुकी है. पिछले 10 वर्षों में तेजस से उसका संबंध सिर्फ़ अंतरंग स्नेहिल मित्र का रहा है. तेजस ने कभी मेघा द्वारा खींची गई लक्ष्मण रेखा लांघने की कोशिश नहीं की. मधुर प्यार के रिश्ते में बंधे इन दो दिलों ने अपनी-अपनी लक्ष्मण रेखा में बंधे एक-दूसरे को जीवन जीने में भरपूर सहयोग दिया है.

रेणु गुप्ता

अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES

डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z और रु. 999 में हमारे सब्सक्रिप्शन प्लान का लाभ उठाएं व पाएं रु. 2600 का फ्री गिफ्ट.

Usha Gupta

Recent Posts

रणबीरची पत्नी म्हणून करिश्मा कपूरला पसंत होती ‘ही’ अभिनेत्री (karishma kapoor wants sonam kapoor to be wife of ranbir kapoor actress share her opinion in coffee with karan show)

सध्या बॉलिवूड अभिनेता रणबीर कपूर त्याच्या आगामी रामायण चित्रपटामुळे बऱ्यापैकी चर्चेत आहे. आपल्या अभिनयाने तो…

April 19, 2024

आई कुठे काय करते मालिका सेट कुठे माहितीये? अनिरुद्धनेच सांगून टाकलं ( Where Is Aai Kuthe Kay Karte Serial Set, Anirudhha Gives Ans)

आई कुठे काय करते मालिकेतील मिलिंद गवळी यांनी काही दिवसांपूर्वी शेअर केलेल्या पोस्टमधून त्यांच्या मालिकेची…

April 19, 2024

अजय देवगण आणि काजोलची लेक नीसा झाली २१ वर्षांची , अभिनेत्रीने शेअर केली भावूक पोस्ट  (Kajol Shares Adorable Post Ahead Of Daughter Nysa Birthday)

अजय देवगण आणि काजोलची मुलगी नीसा देवगणचा उद्या २१ वा वाढदिवस आहे. पण नीसाची आई…

April 19, 2024

जुन्या जमान्यातील अतिशय गाजलेल्या संगीत नाटकावर बनवलेल्या ‘संगीत मानापमान’ चित्रपटाचे पोस्टर प्रदर्शित (Poster Released Of Musical Film “Sangeet Manapman” : Film Based On Old Classic Marathi Play)

जिओ स्टुडिओज आणि सुबोध भावे यांचा बहुप्रतिक्षित संगीतमय चित्रपट "संगीत मानापमान"चे पहिले पोस्टर अलिकडेच प्रदर्शित…

April 19, 2024
© Merisaheli