एक किसान का गधा चरते-चरते एक पुराने सूखे कुएं के पास पहुंच गया और पांव फिसलने के कारण कुएं में गिर पड़ा. वह ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा, “ढेंचू ढेंचू…” किसान और गांव के कुछ अन्य लोग वहां पहुंच गए, परन्तु बहुत प्रयत्न करने पर भी गधे को बाहर निकालने में सफल न हुए. गधा वैसे भी अब बूढ़ा हो चुका था. किसान को लगा अब और मेहनत करना बेकार है.
गधे ने वर्षों किसान की सेवा की थी, तो वह उसे यूं भूख से तड़प-तड़प कर मरना भी नहीं देख सकता था और हर रोज़ उसके खाने का प्रबंध करना भी उसके वश में नहीं था.
अंत में सबने मिलकर फ़ैसला किया कि गधे को यहीं दफ़ना देते हैं.
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वहां इकट्ठा सब लोग मिट्टी भर-भरकर कुएं में डालने लगे. मिट्टी डालने से पहले तो गधा घबराया, पर उसने हिम्मत नहीं हारी. शीघ्र ही उसे एक युक्ति सूझी. मिट्टी गिरने पर गधा अपनी मिट्टी झाड़कर उसी मिट्टी पर चढ़ जाता. इस तरह चढ़ते-चढ़ते वह ऊपर तक आन पहुंचा और कूदकर बाहर आ गया.
मुसीबत किसी के जीवन में भी आ सकती है. इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बिना प्रयास के कभी हार न मानें. मुसीबत आने पर उसे झटक आगे बढ़ जाएं. विजय अवश्य मिलेगी.
याद रखें- गिरना हार जाना नहीं होता.
हम हारते तब हैं, जब मुसीबत में पड़ जाने पर बाहर निकलने की राह नहीं खोजते.
– उषा वधवा
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