समुद्र की लहरों की तरह ज़िंदगी में भी सफलता-असफलता के रूप में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, ऐसे में जो डर जाते हैं वो तिनके की तरह बह जाते हैं, मगर जो डरते नहीं और साहिल की तरह अडिग रहते हैं वही क़ामयाबी के शिखर तक पहुंच पाते हैं. तो अब फैसाल आप पर है कि आप क्या बनना चाहते हैं तिनका या साहिल? हिम्मत न हार लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती... प्रसिद्ध कवि हरिवंशराय बच्चन की कविता की उक्त पंक्तियां जीवन के संदर्भ में भी बिल्कुल सटीक बैठती है. जो व्यक्ति एक बार-बार असफल होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारता और ज़िंदगी में आगे बढ़ता रहता है, देर से ही सहीं, मगर क़ामयाबी उसके क़दम अवश्य चूमती है. यक़ीन न हो तो अलबर्ट आइंस्टीन से लेकर हेलन केलर, अब्राहम लिंकन से लेकर नेल्डन मंडेला और हमारे देश के कई नामी उद्योगपतियों से लेकर अभिनेता अमिताभ बच्चन तक के जीवन पर नज़र डाल लीजिए. इन सबको असफलता के लंबे रास्ते पर चलने के बाद ही सफलता मिली है.दुगुनी मेहनत
जब आप किसी चीज़ चाहे वो पढ़ाई हो, नौकरी या ज़िंदगी का कोई अन्य क्षेत्र में फेल हो जाएं, तो हार का ग़म मनाने की बजाय पहले से दुुगुनी मेहनत करें और मन में विश्वास रखें कि इस बार आप ज़रूर सफल होंगे. दुनिया की सबसे बड़ी कार कंपनियों में से एक फोर्ड के मालिक हेनरी फोर्ड ने इस कार कंपनी की शरुआत से पहले 5 बिज़नेस किए और उसमें असफल रहे. इतना ही नहीं बिज़नेस में हुए नुक़सान के कारण वो कर्ज़ में डूब गए, मगर अपनी नाकामी से उन्होंने हार नहीं मानी. अपनी मेहनत और लगन के बल पर आज वो एक क़ामयाब बिज़नेस मैन बन गए. सबकी ज़िंदगी को बल्ब से रौशन करने वाले वैज्ञानिक थॉमस एडिसन की असफलताओं की फेहरिस्त भी बहुत लंबी है. बचपन में मंदबुद्धि कहे जाने वाले एडिसन को उनकी उटपटांग हरकतों की वजह से स्कूल से भी निकाल दिया गया था, मगर उन्होंने हार नहीं मानी. हर असफलता से सबक लेते हुए वो आगे बढ़ते गए और उनके नाम एक हज़ार से भी ज़्यादा अविष्कार दर्ज है. इन महान शख़्सियतों के संघर्ष से साफ़ ज़ाहिर होता है कि अपने काम के प्रति पूरी तरह समर्पित होकर उसे पूरा करने की दिशा किए गए प्रयासों से सफलता ज़रूर मिलती है.
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तक़दीर का रोना न रोएं
ये नौकरी भी नहीं मिली शायद मेरी किस्मत ही ख़राब है, बेटे ने पढ़ाई तो बहुत की थी मगर फिर भी अच्छे नंबर नहीं मिले शायद तक़दीर में यही लिखा था... अक्सर लोग किसी भी चीज़ में असफल होने पर भाग्य को दोष देने लगते हैं, मगर सच तो ये है कि असफला का कारण भाग्य नहीं, बल्कि हमारे प्रयासों में कमी होती है. हो सकता है इंटरव्यू के लिए आपके प्रतियोगी ने आपसे ज़्यादा तैयारी की हो इसलिए आपको नौकरी नहीं मिली, तो यहां ग़लती क़िस्मत की नहीं है. यदि आप वाक़ई ज़िंदगी की रेस में सबसे आगे निकलना चाहते हैं, तो भाग्य के भरोसे बैठे रहने की बजाय अपनी कमियों को दूर करें, ख़ुद को इतना मज़बूत बनाएं कि एक मौक़ा निकल जाने के बाद मायूस होने की बजाय आप अगली चुनौती के लिए अपने आप को तैयार कर सकें.
कोशिशें क़ामयाब होती हैं
आपने प्रतियोगी परिक्षा के लिए पूरे साल तैयारी की, मगर मन मुताबिक नतीजे नहीं आए, तो निराश मत होइए, बल्कि ये जानने की कोशिश करिए कि आख़िर कमी कहा रह गई, कहां और सुधार की गुंजाइश है? जो व्यक्ति अपनी हार से सबक सीखकर वर्तमान में की गई ग़लतियों को भविष्य में नहीं दोहरता और लगातार प्रयास करता रहता है, उसे जीत अवश्य मिलती है. किसी शायर ने सही कहा है, मंजिल मिल ही जाएगी भटकते ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकलते ही नहीं.
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