"पिछली बार ख़ूब मज़ा आया था जहां आप लेकर गए थे. कितने सारे बच्चे थे. उनके शूज़ भी नहीं थे. फिर मम्मा और आपने मेरे…
“पापा अगले महीने मैं 6 ईयरस् का हो जाऊंगा.”
ईशान के कथन मे छुपा प्रश्न अजय ने भांप लिया कि बेटा उसके जन्मदिन के लिए पापा क्या तैयारी कर रहे है और क्या तोहफ़ा देने की सोच रहे हैं.
मुस्कुराते हुए अजय ने पूछा, ‘बेटा, दो साल पहले तुम्हारे बर्थडे पर तुम्हे क्या गिफ्टस मिले थे?”
“मामा ने रिमोटवाली गाड़ी दी थी और चाची एक ड्रेस लाई थी और मेरे दोस्त भी लाए थे…”
“अब वो गिफ्टस् कहां है?”
“कार तो थोड़े दिन मे ही ख़राब हो गई थी और ड्रेस भी छोटी हो गई और…”
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“पिछले साल बर्थडे पर हम कहां गए थे?”
“पिछली बार ख़ूब मज़ा आया था जहां आप लेकर गए थे. कितने सारे बच्चे थे. उनके शूज़ भी नहीं थे. फिर मम्मा और आपने मेरे हाथ से सबको कलरफुल शूज़ दिलाए थे और सबको पाव भाजी भी खिलाई थी. केक काटते समय तो सबने कितने ज़ोर से हैप्पी बर्थडे सॉन्ग गाया था. एक बच्चे ने तो वही पर मुझे काग़ज़ से फूल बना कर दिया था. हम फिर वही चलेंगे.” ईशान ने चहकते हुए पूछा.
“नही इस बार हम आपको बहुत सारे बूढ़े अंकल के पास ले चलेंगे. उनको तुम झांसी की रानी वाली कविता सुनाना, जो तुम पूरे जोश में गाते हो. फिर हम देवांश को भी ले चलेंगे, वो गाना बहुत अच्छा गाता है.”
“हां… हां देवांश को भी और मोनिका को भी.”
“केक भी हम एक नही दो काटेंगे.” मम्मी ने दूध का ग्लास हाथ में थमाते ईशान से कहा.
“एक केक मैं ओवन में बनाऊंगी और दूसरा आटे गुड का हलवा, जो कटेगा भी और बंटेगा भी.”
ईशान के चेहरे पर दबे छुपे ही सही संतोष के भाव अजय ने पत्नी संग पढ़ लिए थे. देने की ख़ूशी का बेटे द्वारा आत्मसात होता ज्ञान दोनों महसूस कर पा रहे थे.
– संदीप पांडे
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