कहानी- आंखें बोलती हैं… 4 (Story Series- Aankhen Bolti Hain… 4)

“मैडम, मैं सरस हूं. आपका नीलेश नहीं. और मैं रुहानी से मिलने आया था, पर रुहानी कहां रह गई.”

“लगता है बहुत बड़ी गड़बड़ हो गई. नीलेश ने मेरा वहां पर इंतज़ार किया होगा… और मैं तुम्हारी मोटरसाइकिल में बैठ गई. उसकी भी दाढ़ी है. तुम्हारे जैसा ही दिखता है.” शीना मायूसी से बोली.
“ओह!” सरस पस्त-सा बैठ गया, ”ग़लत लड़के के पीछे बैठी भी तो ऐसे कि मुझे कोई शक ही नहीं हुआ.

 

 

… “यही तो मैं भी कहनेवाला था कि मुझे भी सरकार कुछ बदले-बदले से नज़र आते हैं.”
“अरे, इतने महीनों में थोड़ी-बहुत शक्लें बदल सकती हैं, आवाज़ थोड़े ही… मुझे तो थोड़ा ज़ुकाम हो गया था, इसलिए गला ख़राब है… पर तुम्हारी आवाज़ इतनी अच्छी कैसे हो गई.” रुहानी फिर बोली.
“ज़ुकाम… अरे बाप रे… कहीं कोरोना तो नहीं… कहीं मरमरा गई तो…”
रुहानी ने उसकी पीठ पर ज़ोर का एक हाथ मारा. “अरे, क्या कर रही है… कहीं किसी पुलिसवाले ने देख लिया, तो कह दूंगा कि यह लड़की मुझे ज़बर्दस्ती भगा कर ले जा रही है…”
“अच्छा बेकार की बातें मत करो. पहले यह बताओ, हम कहां जा रहे हैं… हम काफ़ी दूर निकल आए हैं. यहीं कहीं मोटरसाइकिल खड़ी करके बैठ जाते हैं.”
सरस को भी यही ठीक लगा. आबादी काफ़ी पीछे रह गई थी. यहां वे आराम से बैठ सकते थे. उसने सड़क किनारे मोटरसाइकिल रोक दी और स्टैंड पर खड़ी करने लगा. इसी बीच, रुहानी सड़क के किनारे आकर थोड़ी-सी पहाड़ी उतर गई और एक अच्छी-सी जगह देखकर बैठने का उपक्रम करने लगी. थोड़ी देर में सरस भी आ गया.
पेड़ की छांव थी, आसपास झाड़ियों का झुरमुट था. सामने शिवालिक पहाड़ियां थीं. यहां से मसूरी सामने पहाड़ी पर दिख रहा था, मौसम व नज़ारा दोनों ही मनभावन था.
“हेलमेट और मास्क उतारकर तुम भी बैठ जाओ नीलेश…” कहते हुए रुहानी ने अपना दुपट्टा और मास्क चेहरे से हटा लिया.
“नीलेश… कौन नीलेश..? और तुम कौन हो..?” सरस भी अब तक हेलमेट और मास्क उतारकर लड़की को आश्चर्य से घूर रहा था. सरस की बात सुनकर लड़की ने भी उसकी तरफ़ देखा और बुरी तरह चौंक गई,
“तुम… तुम कौन हो..?”
“यही तो मैं भी पूछ रहा हूं कि तुम कौन हो?”
“मैं शीना हूं, लेकिन नीलेश. मैं नीलेश से मिलने आई थी… और तुम?”

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“मैडम, मैं सरस हूं. आपका नीलेश नहीं. और मैं रुहानी से मिलने आया था, पर रुहानी कहां रह गई.”
“लगता है बहुत बड़ी गड़बड़ हो गई. नीलेश ने मेरा वहां पर इंतज़ार किया होगा… और मैं तुम्हारी मोटरसाइकिल में बैठ गई. उसकी भी दाढ़ी है. तुम्हारे जैसा ही दिखता है.” शीना मायूसी से बोली.
“ओह!” सरस पस्त-सा बैठ गया, ”ग़लत लड़के के पीछे बैठी भी तो ऐसे कि मुझे कोई शक ही नहीं हुआ… रुहानी तो इतनी शक्की है कि अब तक उसे पता चल चुका होगा कि मेरी मोटर साइकिल में कोई और लड़की बैठी थी. बस, अब तो ब्रेकअप हुआ ही समझो…” सरस गर्दन हिलाता हुआ बोला, “अब क्या होगा?”

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें…


सुधा जुगरान

 

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