कहानी- अजूबा 5 (Story Series- Ajooba 5)

 

आंखों से नींद कोसों दूर थी. जब से हरि काका ने डैडीजी के वाइरल फीवर के बारे में बताया था. मैं और पूजा ख़ुद को कोस रहे थे कि हमने कैसी नादानी कर दी.
“डैडी को कुछ हो गया, तो मैं ख़ुद को कभी माफ़ नहीं कर पाऊंगी.” पूजा सिसकने लगी. उसे ढाढ़स बंधाते मैंने लाउडस्पीकर ऑन कर डैडीजी को फोन लगा दिया. उधर से उनका चहकता स्वर और सम्मिलित ठहाका सुनाई दिया, तो हमें अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ.

 

 

 

 

… उधर बाबूजी को जब नौकरों से पता चला कि सिन्हा साहब वाइरल फीवर से ग्रसित होने के कारण दो दिनों से ऑफिस भी नहीं जा पा रहे, तो उनका मन आत्मग्लानि से भर उठा.
‘धिक्कार है मुझे! बच्चे चले गए, तो क्या हुआ, मुझे सिन्हा साहब की देखभाल करनी थी. वे बी.पी. और हार्ट के मरीज़ हैं, बहू उनके खाने-पीने, आराम का कितना ख़्याल रखती है. उसे पता चलेगा, तो क्या सोचेगी? उनकी सेहत और शिव की नौकरी के मद्देनजर बच्चों का उनके पास रहना सर्वथा जायज़ है. वैसे भी आजकल खेती-बाड़ी में किसकी रूचि रह गई है? मुझे तो सिन्हा साहब का एहसान मानना चाहिए.’

 

यह भी पढ़ें: कृष्ण की माखनचोरी हो, गर्भावस्था में मंत्रों का प्रभाव या पीपल के पेड़ की पूजा… जानें ऐसी 10 मान्यताओं के पीछे क्या हैं हेल्थ व विज्ञान से जुड़े कारण! (10 Amazing Scientific Reasons Behind Hindu Traditions)

 

 

बाबूजी लपककर डैडीजी के कमरे में गए और बेहद आत्मीयता से उनका हालचाल पूछने लगे. उनकी आत्मीयता से डैडीजी और भी पिघलकर अपराधबोध से ग्रस्त हो उठे.
“आइए, आपको थोड़ी देर बाहर ताज़ी हवा का सेवन करवाकर लाता हूं.” बाबूजी डैडीजी को लेकर बाहर लॉन में लगे झूले पर आ बैठे. गरम-गरम चाय की चुस्कियों के साथ दोनों अनायास ही अपने बिछुड़े हमसफ़र की यादें शेयर करने लगे. ज़िंदगी के जिस मोड़ पर उनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी, वहां उनकी अनुपस्थिति उन्हें कितना तोड़ देती है दोनों इस पर एकमत थे. अपने ज़माने की बातें… वे अपने बड़ों से कितना डरते थे… दोनों का बचपन कितना अभावों भरा था और कैसे वे सेल्फमेड इंसान बने! दुख साझा हुए तो फिर सुख भी साझा होने लगे. दोनों बच्चे शिव और पूजा ज़माने को देखते हुए कितने विनम्र हैं, उनका कितना सम्मान करते हैं और ख़्याल रखते हैं.
“चौधरी साहब, एक शिकायत है आपसे! आपने आनेवाले बच्चे सहित अपने पूरे परिवार को गांव आने का न्यौता दिया, लेकिन मुझे भूल गए. मेरी कब से गांव देखने की इच्छा है!”
“अरे सिन्हा साहब, आप तो उस परिवार के मुखिया हैं. सबको लेकर आप ही तो आएंगे.” दोनों ठठाकर हंस पड़े.
घर के नौकर अंदर से झांक-झांककर यह अजूबा देख रहे थे.
फाइव स्टार होटल के आलीशान सुइट में भी मेरी और पूजा की आंखों से नींद कोसों दूर थी. जब से हरि काका ने डैडीजी के वाइरल फीवर के बारे में बताया था. मैं और पूजा ख़ुद को कोस रहे थे कि हमने कैसी नादानी कर दी.
“डैडी को कुछ हो गया, तो मैं ख़ुद को कभी माफ़ नहीं कर पाऊंगी.” पूजा सिसकने लगी. उसे ढाढ़स बंधाते मैंने लाउडस्पीकर ऑन कर डैडीजी को फोन लगा दिया. उधर से उनका चहकता स्वर और सम्मिलित ठहाका सुनाई दिया, तो हमें अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ.
“मैं बिल्कुल ठीक हूं. बुखार? वो तो कब का फुर्र हो चुका. अभी तो तुम्हारे बाबूजी मुझे एसी से निकालकर बगीचे की ताज़ी हवा खिला रहे हैं. और हां पूजा बेटी, मेरी चिंता मत करना. आराम से ख़ूब घूमकर आना. मैं और तेरे बाबूजी हैं एक-दूसरे का ख़्याल रखने के लिए.”

 

यह भी पढ़ें: क्यों मुस्कुराने में भी कंजूसी करते हैं लोग? (Why Don’t Some People Smile)

 

फोन कट चुका था. मैं और पूजा निःशब्द, आंखें फाड़े एक-दूसरे को ताक रहे थे. इस अजूबे पर कोई कैसे यक़ीन कर सकता था!

संगीता माथुर

 

 

 

 

अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES

 

 

 

 

 

डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z और रु. 999 में हमारे सब्सक्रिप्शन प्लान का लाभ उठाएं व पाएं रु. 2600 का फ्री गिफ्ट.

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

कहानी- इस्ला 4 (Story Series- Isla 4)

“इस्ला! इस्ला का क्या अर्थ है?” इस प्रश्न के बाद मिवान ने सभी को अपनी…

March 2, 2023

कहानी- इस्ला 3 (Story Series- Isla 3)

  "इस विषय में सच और मिथ्या के बीच एक झीनी दीवार है. इसे तुम…

March 1, 2023

कहानी- इस्ला 2 (Story Series- Isla 2)

  “रहमत भाई, मैं स्त्री को डायन घोषित कर उसे अपमानित करने के इस प्राचीन…

February 28, 2023

कहानी- इस्ला 1 (Story Series- Isla 1)

  प्यारे इसी जंगल के बारे में बताने लगा. बोला, “कहते हैं कि कुछ लोग…

February 27, 2023

कहानी- अपराजिता 5 (Story Series- Aparajita 5)

  नागाधिराज की अनुभवी आंखों ने भांप लिया था कि यह त्रुटि, त्रुटि न होकर…

February 10, 2023

कहानी- अपराजिता 4 (Story Series- Aparajita 4)

  ‘‘आचार्य, मेरे कारण आप पर इतनी बड़ी विपत्ति आई है. मैं अपराधिन हूं आपकी.…

February 9, 2023
© Merisaheli