मम्मी को लैपटॉप पर ऑफिस कार्य में व्यस्त देख किंशु ने आज फिर होमवर्क दादाजी की मदद से ही करने का निर्णय किया. दादाजी का कहानी की तरह हर बात समझाने का रोचक तरीक़ा सात वर्षीय किंशु को वैसे भी बहुत लुभाता था. किंशु को अपना होमवर्क लेकर पास आते देख दादाजी ने अख़बार एक ओर रख दिया.
“हूं… कोरोना के बारे में जानना और लिखना है?”
“जी दादाजी! वैसे तो इंटरनेट पर इस बारे में सारी जानकारी है, पर मुझे इस बारे में लोगों के व्यक्तिगत अनुभव चाहिए.”
“बहुत सही! यह तो तुमने पढ़ ही लिया होगा कि यह भयानक बीमारी चीन के वुहान प्रांत से शुरू हुई थी. हमारे भारत में इसका प्रकोप मार्च, 2020 से सामने आया. कोरोना एक वायरस था और इससे जनित बीमारी कोविड-19. 19 इसलिए क्योंकि इसका पहला मरीज़ 2019 में सामने आया था.”
“बहुत भयंकर संक्रामक रोग था बेटा! आग की तरह फैला था. छूने से, खांसने से, छींकने से… हर तरह से सब असुरक्षित थे. नकाबपोश डाकू की तरह हर आदमी उन दिनों मास्क लगाए घूमता था. थोड़ी-थोड़ी देर में साबुन और सेनीटाइज़र से हाथ साफ़ करता था.” “सेनीटाइज़र से याद आया, भोपालवाली मीना दादी याद है तुझे? सेनीटाइज़र लगे हाथों से उन्होंने गैस जला दी थी.. पूरा हाथ झुलस-सा गया था उनका!” दादी ने बताया, तो किंशु चौंक गया, “ऐसा क्यों?”
“अल्कोहल होता है न उसमें और अल्कोहल तो आग पकड़ता ही है. चीन से फैली इस बीमारी ने इटली, स्पेन, फ्रांस, अमरीका, रूस, जापान जैसे बड़े-बड़े विकसित देशों को इतनी तेजी से अपने चंगुल में दबोचा कि लोगों को संभलने, कोई रणनीति बनाने या अपनाने का वक़्त ही नहीं मिला. राजा से लेकर रंक तक इस बीमारी के सम्मुख ताश के पत्तों की तरह ढहते चले गए. बड़े-बड़े नेता, सेलेब्रिटीज़ इसके शिकार बन गए. ब्रिटेन के युवराज प्रिंस चार्लस का नाम सुना होगा तुमने? वे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य सचिव, भारत की सिंगर कनिका कपूर सब इसकी चपेट में आ गए थे. स्पेन की राजकुमारी की तो मौत ही हो गई थी.”
“क्यूं दादा? डॉक्टर्स इलाज नहीं कर रहे थे?”
“इलाज होता तो करते न बेटा. न तो तब तक इससे बचने का वैक्सीन ईजाद हुआ था और न कोई दवा. जिनकी इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी थी वे बच गए. इसीलिए तो तुमसे कहता हूं दादा-दादी के साथ रोज़ योग किया करो, हरी सब्ज़ी, दूध-फल खाया करो. ताक़तवर हो जाओगे, तो छोटी-मोटी बीमारियां तो तुम्हें छू भी नहीं पाएंगी.” अपनी कॉल समाप्त कर अब तक किंशु के पापा भी उनके पास आकर बैठ गए थे.
संगीता माथुर
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