कहानी- किटी पार्टी 1 (Story Series- Kitty Party 1)

 

“आंटी माने… तुम्हारी सास आई है क्या?” अरुणिमा ने कल्पना की ओर देखा, तो वह त्योरियां चढ़ाते हुए बोली, “पागल है क्या… भला सास कब इतनी उदार होने लगी? मम्मी आई हैं, तो भेज दिया. सास हो, तो बुरा ही मान जाए कि लो जी हम तो आए इनके घर और बहूरानी चल दी किटी पार्टी में…” कल्पना ने लगे हाथ सास पर तंज कस दिया और हंस दी.

 

 

 

 

“आज किटी पार्टी में सब इतना शांत क्यों बैठे हैं…” सुधा ने कॉफी की ट्रे मेज पर रखते हुए कहा, तो अरुणिमा भी बोल पड़ी, “हां यार! कुछ मिसिंग तो है… सुनीता-कल्पना आएं, तो कुछ मज़ा आए. देखो, आज अपनी सास का कौन-सा नायाब क़िस्सा निकालकर लाती है…”
“यार बहुत हुआ सास और ससुराली चुगलियां. कितना कुछ देश-दुनिया में हो रहा है. हम उस पर क्यों बात नहीं करते.” अनुभा खीजभरे स्वर में बोली, तो आंखें मूंदें दोनों हाथ ऊपर उठाए स्वांगजनित दार्शनिक अंदाज़ में सुधा बोली, “देश-दुनिया की बातों में वो रस कहां, जो ससुरालवालों की निंदा में है.” ठहाकों की गूंज के बीच सुनीता और कल्पना ने भी प्रवेश किया.
“क्या हुआ? हमने क्या मिस किया?” आंखें नचाती सुनीता के प्रश्न पर सुधा ने प्रतिप्रश्न किया.

 

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“पहले ये बताओ, कहां लगा दी इतनी देर..? यह सुनकर सुनीता कल्पना की ओर इशारा करते हुए बोली, “अरे, इसके चक्कर में देर हुई. ये तो आने को राज़ी ही नहीं थी. आंटी आई हुई है न… उन्होंने ही इसे ज़बर्दस्ती ये कहकर भेजा कि अपना प्रोग्राम मेरी वजह से ख़राब मत करो.”
“आंटी माने… तुम्हारी सास आई है क्या?” अरुणिमा ने कल्पना की ओर देखा, तो वह त्योरियां चढ़ाते हुए बोली, “पागल है क्या… भला सास कब इतनी उदार होने लगी? मम्मी आई हैं, तो भेज दिया. सास हो, तो बुरा ही मान जाए कि लो जी हम तो आए इनके घर और बहूरानी चल दी किटी पार्टी में…” कल्पना ने लगे हाथ सास पर तंज कस दिया और हंस दी.

 

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“कब तक रुकेंगी आंटीजी..?” अरुणिमा के पूछने पर वह सहसा गंभीर हो गई और ठंडी सांस भरकर बोली, “कुछ कह नहीं सकती… बताया था न, भाई-भाभी से कुछ प्रॉब्लम चल रही है. वो रखना नहीं चाहते है… सो मैंने बुला लिया…”

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें…

मीनू त्रिपाठी

 

 

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Photo Courtesy: Freepik

 

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