… चाय पीने सब साथ बैठते तो भी कभी सोसाइटी में तो कभी दोस्तों, रिश्तेदारों में हुए कोरोना की बातें आम होतीं. जान-पहचान तो क्या अपरिचितों में पसरी त्रासदी की छिड़ी बातें भी मन में भय का गोला उठाती.
ऑनलाइन ऑक्सीमीटर मंगवा कर तो नई मुसीबत मोल ले ली गई. ऑक्सीमीटर से नव्या ने जब-तब सबकी जांच करनी शुरू कर दी. अति सावधानी इसीलिए रखी जा रही थी कि कोरोना से बचाव हो, पर उस डर से बचाव कैसे हो, जो हर किसी का ऑक्सीजन लेवल कम कर रहा था…
“मां, ग्लास ले जाऊं क्या?” यामिनी का स्वर सुनकर गोदावरी सोच-विचार के घेरे से बाहर आई.
“मां, नव्या में कितना चेंज आया है न… उसकी वजह से घर मे पॉजिटिविटी आ गई है…” बहू की बात पर गोदावरी मुस्कुरा दी.
वह चली गई, तो गोदावरी ने पत्रिका हाथ में लेकर पढ़ने की कोशिश की, पर मन पत्रिका में न लगकर कुछ माह पीछे चला गया, तो पत्रिका रखकर आंखें मूंदी, तो विगत के कुछ प्रसंग कौंध गए…
उस दिन नव्या समाचार देख रही थी. कोरोना की विभीषिका और ऑक्सीजन के लिए त्राहि-त्राहि देखकर उसे लगा उसका ऑक्सीजन लेवल कम हो गया है… नापा तो वाकई छियानवे था, जो अमूमन निन्यानबे रहता है. इस वजह से सब बहुत परेशान रहे.
रात को यामिनी दूध का ग्लास रखने आई, तो उन्होंने पूछा.
“मां, अभी ठीक है निन्यानबे निकला है. न्यूज़ बन्द करवाकर कॉमेडी शो लगा दिया. वह हंस रही थी, तो लगा यही समय ठीक है.”
“तो अब से तब देखना जब वह रिलैक्स हो. दोपहर से रात तक समाचार आते रहते हैं. दहशत की ख़बरों में तो प्राणवायु वैसे ही रुक जाती है.”
“हां मां… फिर नव्या है भी तो संवेदनशील…”
गोदावरी खोई-खोई सी बोलीं, “कहां से कहां ये आपदा आई है विश्व में… अपने देश की आबादी भी तो देखो… ऊपर से हम जो ना समझने को राजी और न ही नियमों को मानने को तैयार.”
“हम तो नियमों को मानते है मां… आज दो महीने हो गए है कोई घर से निकला नहीं… निकलना भी पड़े, तो बिना मास्क कोई बाहर नही निकलता.. सामान भी ऑनलाइन मंगवा रहे है…”
“तो फिर हम इतना क्यों डर रहे हैं… नव्या को तो देखो… कल दोपहर को खाना खाते समय भी अच्छा-ख़ासा तमाशा किया…”
अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें…
मीनू त्रिपाठी
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