कहानी- परिवार 3 (Story Series- Pariwaar 3)

अचानक विनय को एहसास हुआ कि वह तो बाप है, फिर भी पांच महीने के बेटे से पांच दिन की दूरी उससे सही नहीं जा रही है. लेकिन दीप्ति तो मां है. पांच बरस जिस बेटे को उसने सीने से लगाकर पाला-पोसा, उससे इतने महीनों वह किस तरह अलग रह पाई होगी? सचमुच वह कितना निर्दयी और छोटे दिल का है, जो एक मासूम को उसकी मां से जुदा कर दिया. यदि दीप्ति नन्हें को लेकर हमेशा के लिए चली गई तो? कैसे जी पाएगा वह अपने जान से प्यारे बेटे के बिना और फिर दीप्ति कैसे जी रही होगी अब तक अंकुर के बिना. कितना दर्द सहा होगा उसने. विनय की आंखें भर आईं. वह दीप्ति को अपना मान सकता है, तो उससे उत्पन्न अंश को अपना क्यों नहीं मान सकता? कैसे वह इतना छोटे मन का, स्वार्थी हो गया? उसे पश्‍चाताप होने लगा.

दीप्ति ख़ुशी-ख़ुशी नन्हें को लेकर मां के घर आ गई. नन्हें को सारा दिन मां-पिताजी संभाल लेते. दीप्ति पूरा समय अंकुर की देखभाल में बिताती. उसे नहलाना-धुलाना, खाना खिलाना सब वह करती. महीनों बाद अंकुर रातभर उससे लिपटकर सोया. वह उसे नई-नई कहानियां सुनाती. दीप्ति बहुत ख़ुश थी और उसकी ममता भी पूर्ण रूप से संतुष्ट थी.

दीप्ति के जाने के बाद विनय जब शाम को घर आता, तो घर उसे काटने को दौड़ने लगता. उसे दीप्ति और नन्हें की बहुत याद आ रही थी. देर रात तक वह टीवी देखकर मन बहलाता रहता. रात में सोता, तो उसे नींद में भी लगता कि जैसे नन्हा रो रहा है या कुनमुना रहा है और वह चौंककर जाग जाता. उसे न घर में, न ही ऑफ़िस में चैन आ रहा था. ऑफ़िस में उसका मन काम में नहीं लगता और घर का सन्नाटा उसे खल रहा था.

अचानक विनय को एहसास हुआ कि वह तो बाप है, फिर भी पांच महीने के बेटे से पांच दिन की दूरी उससे सही नहीं जा रही है. लेकिन दीप्ति तो मां है. पांच बरस जिस बेटे को उसने सीने से लगाकर पाला-पोसा, उससे इतने महीनों वह किस तरह अलग रह पाई होगी? सचमुच वह कितना निर्दयी और छोटे दिल का है, जो एक मासूम को उसकी मां से जुदा कर दिया. यदि दीप्ति नन्हें को लेकर हमेशा के लिए चली गई तो? कैसे जी पाएगा वह अपने जान से प्यारे बेटे के बिना और फिर दीप्ति कैसे जी रही होगी अब तक अंकुर के बिना. कितना दर्द सहा होगा उसने. विनय की आंखें भर आईं. वह दीप्ति को अपना मान सकता है, तो उससे उत्पन्न अंश को अपना क्यों नहीं मान सकता? कैसे वह इतना छोटे मन का, स्वार्थी हो गया? उसे पश्‍चाताप होने लगा.

अगले ही दिन विनय दीप्ति के घर जा पहुंचा. नन्हें को गोद में लिए दीप्ति अंकुर को मान-मनुहार करके खाना खिला रही थी. उसके चेहरे पर ममत्व की एक अलग ही चमक झिलमिला रही थी. विनय ने उसे इतना प्रसन्न कभी नहीं देखा था. वह

मुग्ध होकर दीप्ति को देखता ही रह गया. आज तक उसने एक मां से यह गौरवमयी आंतरिक प्रसन्नता छीन रखी थी. वह ग्लानि से भर उठा.

विनय पर नज़र पड़ते ही दीप्ति का चेहरा बुझ-सा गया और अंकुर ने भी सहमकर उसका आंचल पकड़ लिया. विनय ने मुस्कुराकर अंकुर के सिर पर हाथ फेरा, तो वह दीप्ति से सटकर खड़ा हो गया.

“तुम्हारे बिना घर बहुत सूना-सूना लग रहा है. अब तो नन्हें की तबियत भी ठीक है. चलो, घर चलें.” विनय ने दीप्ति से कहा.

“आप मां को ले जा रहे हैं?” अंकुर की आंखों में आंसू भर आए.

“केवल मां को ही नहीं बेटा, आपको भी घर ले जाने आया हूं. अब से आप भी मां के साथ ही रहेंगे.” विनय ने प्यार से कहा.

“सच अंकल?” अंकुर प्रसन्न हो गया. “अंकल नहीं, पापा बोलो बेटा. मैं तुम्हारा पापा हूं.” विनय ने उसे गोद में उठाकर प्यार से कहा. दीप्ति आश्‍चर्य से विनय की ओर देख रही थी.

यह भी पढ़ेदीपावली 2018: लक्ष्मी पूजन विधि और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय (Diwali 2018: Best Ways To Please Goddess Lakshmi)

“मुझे माफ़ कर दो दीप्ति. मैं बहुत स्वार्थी था. आज तक मैंने मां-बच्चे को एक-दूसरे से अलग रखा. मैं तुम्हारा अपराधी हूं. नन्हें से अलग होकर मुझे अपने बच्चे से दूर रहने के दर्द का एहसास हुआ. मैं अपने दोनों बेटों को घर ले जाना चाहता हूं. नन्हें के बिना मैं चार रात नहीं रह सका, तुम अंकुर के बिना सालभर तक कैसे रह पाई होगी. बस, अब तुम्हें और तकलीफ़ नहीं दूंगा.” विनय के स्वर में क्षमायाचना थी.

दीप्ति इस अप्रत्याशित ख़ुशी को पाकर रो ही पड़ी.

“मैंने कहा था ना बेटी, एक दिन सब ठीक हो जाएगा.” मां और पिताजी कमरे में आते हुए बोले.

अंकुर विनय के गले से लिपट गया. नन्हें को सीने से लगाए दीप्ति यह दृश्य देखकर भावविभोर हो गई. आज उसे लग रहा था उसका परिवार पूरा हो गया.

डॉ. विनीता राहुरीकर

अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORIES

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

कहानी- इस्ला 4 (Story Series- Isla 4)

“इस्ला! इस्ला का क्या अर्थ है?” इस प्रश्न के बाद मिवान ने सभी को अपनी…

March 2, 2023

कहानी- इस्ला 3 (Story Series- Isla 3)

  "इस विषय में सच और मिथ्या के बीच एक झीनी दीवार है. इसे तुम…

March 1, 2023

कहानी- इस्ला 2 (Story Series- Isla 2)

  “रहमत भाई, मैं स्त्री को डायन घोषित कर उसे अपमानित करने के इस प्राचीन…

February 28, 2023

कहानी- इस्ला 1 (Story Series- Isla 1)

  प्यारे इसी जंगल के बारे में बताने लगा. बोला, “कहते हैं कि कुछ लोग…

February 27, 2023

कहानी- अपराजिता 5 (Story Series- Aparajita 5)

  नागाधिराज की अनुभवी आंखों ने भांप लिया था कि यह त्रुटि, त्रुटि न होकर…

February 10, 2023

कहानी- अपराजिता 4 (Story Series- Aparajita 4)

  ‘‘आचार्य, मेरे कारण आप पर इतनी बड़ी विपत्ति आई है. मैं अपराधिन हूं आपकी.…

February 9, 2023
© Merisaheli