काव्य

कविता- इंद्रधनुष सी ज़िंदगी (Poem- Indradhanush Si Zindagi)

बहुत ख़ूबसूरत है यह ज़िंदगीहर रंग चुराया इसका मैंने जीने के लिएउम्मीद का दामन पकड़े रही हमेशाज़िंदगी के जाम का…

April 5, 2024

काव्य- मन के रेगिस्तान (Kavay- Mann Ke Registan)

याद है तुम्हें?सागर के झालरदार तट परघूमना?पानी की तेज़ आती लहर मेंहाथ कस के पकड़ लेनाभीग जाना अंतर्मन तक सफलता…

March 14, 2024

काव्य- बहाव के विपरीत बह कर भी ज़िंदा हूं…‌ (Poetry- Bahav Ke Viprit Bah Kar Bhi Zinda Hun…)

बहाव के विपरीत बहती हूंइसीलिए ज़िंदा हूंचुनौती देता है जो पुरज़ोर हवाओं कोखुले गगन में उड़ता वो बेबाक़ परिंदा हूं..…

March 3, 2024

काव्य- शूल (Poem- Shool)

हर रात देर तकमैं अपने मन में गड़े शूल चुनती हूंएक-एक और एक करकेऔर हर दिन वहां नए शूल उग…

February 12, 2024

कविता- बेटे के नाम (Poetry- Bete Ke Naam)

स्मृति पट परआज भी चित्रित है वह दिनजब तुम किन्हीअनजाने, अनदेखे लोक से उतरमेरी गोद में आए थे.. और मुझे…

February 5, 2024

काव्य- तुम्हें आज़ाद होना है… (Poetry- Tumhe Azad Hona Hai…)

मैं तुम्हें  इश्क़ के मुहाने तक लेकर आया  और तुम लौट गए उस मोड़ पर भी तुम  आगे बढ़ने का …

January 30, 2024

कविता- मेरे राम…(Poetry- Mere Ram…)

संवरे सारे बिगड़े काम विपदा का हो काम तमाम संशय हटे तब मन का सारा प्रभु राम का लें जब…

January 21, 2024

कविता- चलो, सीख लें अब ज़रा इत्मीनान होना…‌ (Poetry- Chalo, Seekh len Ab Zara Itminaan Hona…)

फकत उलझे रहे ताउम्र हम उलझनों में हीइतना भी मुश्किल नहीं था आसान होना रहा अनदेखियों में अब तक अपना…

December 11, 2023

कविता- इश्क़ का एहसास (Poetry- Ishq Ka Ehsaas)

तुम्हारे भीतर  जब मैं गुजरता हूं तुम ख़ुद  तुम कहां होते हो यह बात तुम जानते नहीं कि  जिस पल …

October 11, 2023

काव्य- वसुधैव कुटुंबकम… (Poetry- Vasudhaiva Kutumbakam)

वैश्विक धरातल परभारत की उपस्थितिवसुधैव कुटुंबकम की स्वीकृतिधरा के संरक्षण की संस्तुतिसांस्कृतिक विरासत कीअद्भुत सुवासयह G20 समेटे हुए हैगौरव की…

September 11, 2023

काव्य- प्रेम का समर्पण (Poetry- Prem Ka Samarpan)

मनौती के धागे नहीं  धूपदीपपुष्प भी नहीं कुछ पाने की प्रार्थना नहींआरतीपाठ मंत्र भी नहीं सुवासित जल भी नहीं रोली अक्षत चंदन भी नहींप्रेम के मंदिरमें तुम रीते…

July 2, 2023

अपने-अपने क्षितिज… (Poem- Apne Apne Kshitij…)

तुमने मुझे लिखामैंने तुमकोआपस में कविताएं बदलकर भीहम स्वयं को पढ़ सकते हैं अधूरे तुम भी रहेपूरा मैं भी कहां…

June 6, 2023
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