तुमने मुझे लिखामैंने तुमकोआपस में कविताएं बदलकर भीहम स्वयं को पढ़ सकते हैं अधूरे तुम भी रहेपूरा मैं भी कहां…
मेरी पलकों पर कुछ बूंदें टिकी हैं क्या गुज़रे हुए लम्हों से गुज़र रहा हूंकहीं ऐसा तो नहीं अपनी ज़िंदगी में ख़ुद के…
मेरा उससे वादा था कि जब सूरज और सागर का मिलन होगा और रक्ताभ हो उठेंगे सूरज के गाल तो…
पानी-पानी समां है, बूंदों सा बिखर जाना एक तेरा छा जाना, एक मेरा बरस जाना बस एक यही तो मौसम…
कश्मकश में थी कि कहूं कैसे मैं मन के जज़्बात को पढ़ा तुमको जब, कि मन मेरा भी बेनकाब हो…
तुम मिल जाओगी किसी गली में तो कमाल हो जाएगा मगर पता है कि आज भी इस बात पर बवाल…
हे नारी! तू अबला नारी है क्यों हर युग में रही बेचारी है क्यों कभी रावण द्वारा चुराई गई फिर…
जगमग जगमग दीप जलाओ शुभ दीपावली आई है सब मिलजुल ख़ुशी मनाओ संग कितनी ख़ुशियां लाई है पाँच दिनों का…
वो तुम्हारी आंखों में खोजती हैं पिता तुम्हारी हथेलियों में भाई तुम्हारे कांधे पे सखा जिनके सामने सीने में जमा…