क्या आप जानते हैं कि 108 हिंदू का पवित्र अंक माना जाता है. यह अंक दरअसल सूर्य और पृथ्वी के…
ब्रह्म मुहूर्त का क्या है महत्व? अक्सर हम सुनते हैं कि ब्रह्म मुहूर्त सबसे बेहतरीन होता है, चाहे उठकर योग करना हो या ध्यान लगाना हो. दरअसल, ब्रह्ममुहूर्त के समय वातावरण सबसे शुद्ध होता है और वायु में ऑक्सीजन का स्तर सर्वाधिक (41%) होता है. यही वजह है किउस समय यदि आप टहलने भी जाएं, तो फेफड़ों को शुद्ध हवा मिलेगी और आप स्वस्थ रहेंगे. संस्कृत है एक वैज्ञानिक भाषा... संस्कृत को सबसे साइंटिफिक भाषा माना गया है. संस्कृत की ख़ूबी को समझते हुए जर्मनी में भी 14 से अधिकयूनीवर्सिटीज़ में संस्कृत पढ़ाई जाती है. संस्कृत में मंत्रोच्चार होता है, तो उन अक्षरों के वायब्रेशन से चक्र जागृत होते हैं और ऊर्जा उत्पन्न करते हैं. नासा केशोधकर्ताओं के अनुसार- संस्कृत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषम क्षेत्रों के लिए सबसे फिट भाषा है. योग क्या है? योग का इतिहास दस हज़ार साल से भी पुराना है. योग का अर्थ है व्यक्तिगत चेतना या आत्मिक चेतना और सजगता. यहमात्र शारीरिक व्यायाम ही नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक क्षमता का विस्तार करनेवाला विज्ञान हैं, इसमें ध्यान, मुद्राऔर मंत्रों का भी समावेश है. योग सम्पूर्ण जीवनशैली है. ज्ञान मुद्रा है सबसे महत्वपूर्ण - ज्ञान मुद्रा सबसे महत्वपूर्ण मुद्रा मानी जाती है, जिसे हज़ारों वर्षों से मेडिटेशन यानी ध्यान के दौरान किया जाता रहा है, क्योंकि यह मन-मस्तिष्क के आध्यात्मिक विकास व शांति को बढ़ाती है. यह चक्रों को जागृत करती है. कई रोगों में कारगर है ज्ञान मुद्रा…
वैदिक काल से ही वायुमंडल का शुद्धीकरण करता आ रहा है कपूर पूजा के दौरान या आरती के समय घरों में भी कपूर जलाने का चलन वैदिक काल से चला आ रहा है. इसके पीछे वैज्ञानिकतथ्य यही है कि कपूर जलाने से वायुमंडल शुद्ध होता है, क्योंकि वो हानिकारक संक्रामक बैक्टीरिया को नष्ट करके भीनी-भीनी शुद्ध ख़ुशबू से वातावरण को महका देता है. बीज मंत्र क्या होते हैं? बीज मंत्र किसी भी मंत्र का लघु रूप होते हैं, जो काफ़ी प्रभावी होते हैं. ये मात्र एक अक्षर के होते हैं, लेकिन इनका प्रभावइतना गहरा होता है कि स्वास्थ्य की कुंजी इनमें छुपी होती है. भजन को भी एक प्रकार का मंत्र माना है कीर्तन, प्रार्थना या भजन को भी एक प्रकार का मंत्र ही माना गया है, क्योंकि एक निश्चित लय, ताल व समयावधि में इन्हेंगाने पर आपका संपर्क भीतर की आध्यात्मिक ऊर्जा से होता है व सारे टॉक्सिन्स दूर हो जाते हैं. मेडिटेशन करता है कई मानसिक रोगों को कंट्रोल रिसर्च कहते हैं कि मेडिटेशन घबराहट को कम करके कई तरह के मानसिक रोगों को भी नियंत्रित करने में सक्षम है. यहफोबिया, लत, विकृत सोच, ऑबसेसिव कंपलसिव डिसऑर्डर आदि में भी फ़ायदेमंद है. मेडिटेशन डिप्रेशन और स्ट्रेस पैदा…
पूजनीय है गंगा, साथ ही औषधीय गुणों से भरपूर भी... गंगा नदी को हम मां मानते हैं, इसके पीछे का विज्ञान यह है कि गंगा जल औषधीय गुणों से भरपूर है. वैज्ञानिकों का कहनाहै कि गोमुख से निकलकर मैदानों में आने तक नदी कई प्राकृतिक स्थानों, वनस्पतियों से होकर गुज़रती है, जिससे उसकेपानी में बैक्टीरिया को मारने की शक्ति होती है. स्वास्थ्य का ख़ज़ाना है बेलपत्र... शिवजी की पूजा में बेलपत्र बेहद शुभ व उनके प्रिय माने जाते हैं, लेकिन बेलपत्र के हेल्थ बेनीफिट्स भी हैं- इसका काढ़ाबुखार व श्वास रोग में, हृदय को स्वस्थ रखने में कारगर है. मुंह में छाले होने पर इसके पत्ते को चबाएं. यह शरीर की गर्मी वपेट की बीमारियों को भी दूर करता है. माथे भस्म लगाने के फ़ायदे यज्ञ के बाद भस्म वा विभूति को माथे पर लगाना शुभ माना जाता है. इसके वैज्ञानिक कारण हैं. आज्ञा चक्र पर भस्म लगानेसे शरीर के चक्र जागृत हो जाते हैं, जिससे निगेटिव एनर्जी अंदर नहीं आ पाती और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी बेहतरहोता है. भस्म शरीर में मौजूद अतिरिक्त नमी को सोख लेती है और आपको सर्दी से बचाती है. रुद्राक्ष पहनने से ब्रेन-हार्ट होते हैं स्ट्रॉन्ग रुद्राक्ष की माला पहनने से न सिर्फ ब्रेन और हार्ट स्ट्रॉन्ग होते हैं, बल्कि ब्लड प्रेशर भी नॉर्मल बना रहता है, क्योंकि रुद्राक्ष मेंमेडिसिनल प्रॉपर्टीज़ होती हैं, इसी वजह से यह हिंदू धर्म में पूजनीय है. यह एंटैसिड और एंटी-इंफ्लेमेटरी भी है. जादू की झप्पी होती है हेल्दी रिचर्स बताते हैं कि गले मिलने से हैप्पी व हेल्दी हार्मोंस रिलीज़ होते हैं. दरअसल गले मिलने से ऑक्सिटोसिन हार्मोंस कास्तर तुरंत बढ़ता है, जो अकेलापन, तनाव और ग़ुस्से जैसी नकारात्मक भावनाओं को ख़त्म करता है. यह भी पढ़ें: कृष्ण की माखनचोरी हो, गर्भावस्था में मंत्रों…
महामृत्युंजय जाप का विज्ञान इसमें अक्षरों का संयोजन इस प्रकार से है कि इसके नियमित जाप से सूर्य व चंद्र नाड़ियों में कंपन होता है और शरीर केसातों चक्रों में ऊर्जा का संचार होता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है और शरीर निरोगी रहता है. स्फटिक माला का स्वास्थ्य लाभ इसकी प्रकृति ठंडी होती है, इसलिए यह बुखार में बेहद लाभदायक है, क्योंकि यह शरीर की गर्मी यानी बढ़े हुए तापमानको नीचे लाने में कारगर है. यदि किसी को बुखार है, तो स्फटिक की माला को धोकर व्यक्ति के नाभि स्थान पर रख दें. इससे काफ़ी लाभ मिलेगा. इसी तरह से यदि कोई यह माला धारण करता है, तो उसे सिरदर्द की समस्या नहीं होता वउसका मन शांत रहता है. श्रावण में शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का वैज्ञानिक कारण...इस माह दूध व उससे बने पदार्थ विष के समान होते हैं, क्योंकि ऋतु परिवर्तन से ये सब वात को बढ़ाते हैं. शिवजी विषों को पीकर हमारी रक्षा करते हैं, यही वजह है कि आयुर्वेद में भी श्रावण में शिवजी को दूध चढ़ाने का प्रावधान है, क्योंकि वह दूध हेल्दी नहीं होता. इस दौरान गाय-भैंस भी जो चारा खाती हैं, उसके ज़रिए कुछ कीटाणु शरीर में चले जाते हैं, जिससे उनका दूध दूषित हो जाता है. शास्त्रों में ग़ुस्से से दूर रहने पर इतना ज़ोर क्यों दिया जाता है? दरअसल, ग़ुस्सा मानव का नेचुरल इमोशन है और ग़ुस्साआना बुरी बात नहीं है, लेकिन उसका बेक़ाबू हो जाना ज़रूर बुरा है. अधिक ग़ुस्सा करने से हमारे नर्वस सिस्टम पर बुराअसर पड़ता है, जिससे हार्ट डिसीज़, ब्लड प्रेशर जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए अगर तंदुरुस्त रहना है तो ग़ुस्सेपर अंकुश लगाना होगा. क्या आप जानते नवरात्रि में उपवास क्यों रखे जाते हैं? इसका वैज्ञानिक पहलू यह है कि उस दौरान मौसम बदलता है औरइस वजह से हल्का-पाचक भोजन करने पर ज़ोर दिया जाता है, ताकि पाचन क्रिया ठीक से रहे और शरीर ऊर्जावान बनारहे. यही वजह है कि वर्ष में दो बार मौसम परिवर्तन के दौरान ही नवरात्रि आती है. बच्चों के स्वास्थ्य में भी लाभदायक है ॐ का उच्चारण! ॐ को सबसे शक्तिशाली मंत्र माना गया है. इसकी सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि आपका बच्चा भी इसका आसानी सेजाप कर सकता है. ॐ का जाप बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए बेहद लाभदायक है और यह उसे सकारात्मक ऊर्जा सेभर देगा. गाय के गोबर को क्यों पवित्र माना जाता है? पूजा व यज्ञ में गोबर व उसके उपलों का बेहद महत्व है, क्योंकि गोबर में हैजे य टीबी के कीटाणुओं को ख़त्म करने कीक्षमता है. यही वजह है कि गोबर में लक्ष्मी का वास भी माना जाता है. यह भी पढ़ें: कृष्ण की माखनचोरी…