Kavya

काव्य- स्त्री हूं… (Kavya- Stri Hoon…)

मैं पीतल नहीं सोना हूं और चमकूंगी सितम की आंधियां कितनी चला लोगे? स्त्री हूं दीया हिम्मत का जलाए रखूंगी…

December 30, 2018

ग़ज़ल- बहार का तो महज़… (Gazal- Bahar Ka To Mahaz…)

बहार का तो महज़ एक बहाना होता है तुम्हारे आने से मौसम सुहाना होता है   वाइज़ हमें भी कभी…

August 19, 2018

काव्य- वो निगाह मेरी है… (Kavya- Wo Nigah Meri Hai…)

  कुछ तो मिलता है सोच कर तुझको हर उड़ान की जद में आसमां नहीं होता   दिल अगर आंख,…

July 22, 2018

काव्य- बोल रहे लोग… (Kavya- Bol Rahe Log…)

बोल रहे लोग कि दुनिया बदल गई! कहां बदली दुनिया? औरत तो एक गठरी तले दब गई..   गठरी हो…

April 13, 2018

शायरी: निदा फ़ाज़ली की उम्दा ग़ज़लें (Shayari: Nida Fazli Special)

ग़ज़ल 1 गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया इक इश्क़…

March 25, 2018

ग़ज़ल- रेत पे लिखती रही, मिटाती रही, वो तेरा नाम था (Gazal- Ret Pe Likhti Rahi, Mitati Rahi, Woh Tera Naam Tha…)

रेत पे लिखती रही, मिटाती रही, वो तेरा नाम था रातभर जिसे दिल गुनगुनाता रहा, वो तेरा नाम था... रूह…

January 3, 2018
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