मैं पीतल नहीं सोना हूं और चमकूंगी सितम की आंधियां कितनी चला लोगे? स्त्री हूं दीया हिम्मत का जलाए रखूंगी…
बहार का तो महज़ एक बहाना होता है तुम्हारे आने से मौसम सुहाना होता है वाइज़ हमें भी कभी…
कुछ तो मिलता है सोच कर तुझको हर उड़ान की जद में आसमां नहीं होता दिल अगर आंख,…
बोल रहे लोग कि दुनिया बदल गई! कहां बदली दुनिया? औरत तो एक गठरी तले दब गई.. गठरी हो…
ग़ज़ल 1 गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया इक इश्क़…
रेत पे लिखती रही, मिटाती रही, वो तेरा नाम था रातभर जिसे दिल गुनगुनाता रहा, वो तेरा नाम था... रूह…