Kavya

काव्य- हे प्रभु… (Kavya- Hey Prabhu…)

हे प्रभु यदि तुम्हारे साथ भी मुझे कुछ कहने से पहले सोचना पड़े अर्थात अच्छे-बुरे सही-ग़लत का विचार करना पड़े…

December 15, 2020

काव्य- एक-दूसरे के मौन में… (Kavya- Ek-Dusare Ke Maun Mein…)

कभी-कभी मैं कुछ नहीं भी कहती हूं तुम तब भी सुन लेते हो.. कैसे! कभी-कभी मैं कुछ कहती हूं तुम…

October 29, 2020

काव्य- बारिश और मन (Kavya- Barish Aur Maan)

बारिश की बूंदों ने आज फिर दिल को गुदगुदाया है रिमझिम फुहारों ने मौसम को आशिक़ाना बनाया है ठंडी बयार…

October 9, 2020

काव्य- एक चुप होती हुई स्त्री… (Kavya- Ek Chup Hoti Hui Stri…)

एक चुप होती हुई स्त्री कहती है बहुत कुछ… तुलसी जताती है नाराज़गी नहीं बिखेरती वो मंजरी सारी फुलवारियां गुमसुम…

September 1, 2020

कविता- प्रेम पत्र… (Kavita- Prem Patra)

लिखा था धड़कते दिल से और दिया था कांपते हाथों से मैंने नजरें ज़मीन में ही गड़ा रखी थी फिर…

August 26, 2020

काव्य- हार गए तुम… (Kavya- Haar Gaye Tum…)

जिस दिन तमन्ना बड़ी और हौसला छोटा हो जाए समझना कि हार गए तुम जिस दिन राजनीति बड़ी और दोस्ती…

August 24, 2020

काव्य- मेरी हस्ती निसार हो जाए… (Kavya- Meri Hasti Nisar Ho Jaye…)

सांस, ख़ुशबू गुलाब की हो धड़कन ख़्वाब हो जाए उम्र तो ठहरी रहे हसरत जवान हो जाए बहार उतरे तो…

July 29, 2020

कविताएं (Poetry)

तेरी तस्वीर… मैं जहां में कुछ अनोखी चीज़ ढूंढ़ने निकला और शहर में मुझे सिर्फ़ आईना मिला जो मेरी बेबसी…

July 24, 2020

कविता- वह स्त्री… (Kavita- Vah Stree…)

वह स्त्री.. बचाए रखती है कुछ 'सिक्के' पुरानी गुल्लक में पता नहीं कब से कभी खोलती भी नहीं कभी-कभार देखकर…

July 20, 2020

काव्य- काश! एहसास के साथ… (Kavya- Kaash! Ehsaas Ke Sath…)

काश कि कभी तुमने अपने स्कूल के बस्ते को घर लौटते वक़्त मेरे कंधे पर रक्खा होता काश कि मैंने…

July 11, 2020

#विश्‍व पर्यावरण दिवस: कविता- वन संरक्षण (#WorldEnvironmentDay: Kavita- Van Sarakshan)

वृक्षों से ही वन बनते हैं, धरती हरी-भरी करते हैं। वर्षा के कारण हैं जंगल, जिससे होता सबका मंगल। वृक्षों…

June 5, 2020

कविता- सीमा (Kavita- Seema)

मेरे प्रेम की सीमा कितनी है, क्या है तुम्हें क्या पता है? बहुत छोटी हैं वो मन की रेखाएं नाराज़…

February 23, 2020
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