बात है तो पुरानी लेकिन पहले प्यार की महक मन में हमेशा बसी रहती है. गर्मियों की छुट्टियों में अपनी एक नज़दीकी रिश्तेदारी की शादीमें शरीक होने गया था. पहली शाम घर के आंगन में बैठ सभी लोग गपशप कर रहे थे कि तभी एक ख़ुशबू फैली… देखा एक ट्रे में पानी के ग्लास के साथ लहंगा-ओढ़नी पहने वह आई, सभी के आसपास होते हुए भी मैंने हिम्मत की और जैसे ही वो मेरे पास आई तो मैंने नज़रभर उसको निहारा… सांवला निश्छल रूप, लंबी लहराती एक चोटी और छोटी में मोगरा की वेली गुंधी हुई थी. जाने क्या हुआ पर पहली हीनज़र में मेरा मन जैसे महक उठा. समय बीता, फिर यूं ही बातचीत में पता चला कि वो हॉस्टल में रह कर पढ़ रही है. मैं भी अपनी पढ़ाई में व्यस्त था. लेकिन रह-रहकरउसका ख़याल और मोगरे की ख़ुशबू मुझे तरोताज़ा कर जाती. ख़ैर, पढ़ाई पूरी हुई तो नौकरी लगी, पिता स्वर्गवासी हो चुके थे. बड़े भाई ने विवाह पर दबाव डाला, कुछ रिश्ते सुझाए, तो मैं चुप रहा. सबने पूछा कि क्या बात है? मैंने अपनी पसंद बताई, तो पता चला किसी स्थानीय स्कूल में अध्यापिका है. विवाह नहीं हुआ है., लेकिन मन में एक सवाल था कि क्या वो भी मेरे लिए ऐसा ही महसूस करती होगीजैसा मैं? कहीं शादी के लिए मना कर दिया तो? बड़े भैया का संपर्क काम आया और पता चला उसने शादी के लिए फ़ौरन हां कह दिया. सब जाकर मेरे जीवन में असली मोगरा महका और मेरा पहला प्यार मुकम्मल हुआ. शादी के बाद एक कमरे की गृहस्थी में मुझे डर था न जाने ये एडजस्ट कर पाएगी या नहीं. घर में प्रवेश करते ही मेरे भांजे के हाथ से तेलकी बोतल थी छूट गई और तेल फैल गया. कांच की बोतल भी टूट गई. दरवाज़े से भीतर तक तेल व कांच बिखरा पड़ा था. नई-नवेली दुल्हन, मेहंदी लगे हाथों से ही उसने जल्दी से झाडू मांगी, इस बीच जल्दी से अपने कपड़े बदले और सफ़ाई में जुट गई. सबउसकी तारीफ़ करने लगे. उसने मेरा घर ऐसे सम्भाला कि हम सोच भी नहीं सकते थे. कभी माथे पर कोई शिकन नहीं और ज़ुबान पर कोई शिकायत नहीं. उससे पूछा कि आते ही तुमको सब सम्भालना पड़ा, कितने सपनेहोंगे तुम्हारे, मैं ज़रूर पूरा करूंगा. उसने कहा कि मेरा एक ही सपना था और वो पूरा हो गया. आपका साथ ज़िंदगीभर के लिए मिला है और क्या चाहिए. उसकी बातों ने मेरे दिल में उसके लिए प्यार ही नहीं सम्मान भी बढ़ा दिया था. मैने यहां-वहां नज़र घुमाई, कहीं फूल न थे, पर जीवन मेंउस पल जो मोगरा महका, आज तक महक रहा है. किरन नाथ
पति-पत्नी के बीच जितना प्यार होता है, तकरार भी उतनी ही ज़्यादा होती है. और झूठ... इसकी तो कोई सीमा…
ख़ुशहाल शादीशुदा ज़िंदगी का लुत्फ़ उठाने के लिए ज़रूरी है पति-पत्नी का एक-दूसरे को समझना, एक-दूसरी का ख़्याल रखना आदि,…
एक-दूसरे से अलग होते हुए भी स्त्री और पुरुष साथ चलते हैं, परिवार और रिश्ते निभाते हैं, मगर उनकी चाहतें…
शायद ही कोई दिल हो जिसमें मोहब्बत के फूल न खिले हों. प्यार का मौसम सभी को मोहब्बत की बरसात…
करियर को बेहतर बनाने के लिए जिस तरह आपको एडवाइज़ की ज़रूरत पड़ती है, उसी तरह पति-पत्नी के रिश्ते में…
कहते हैं प्यार में सब कुछ जायज़ है लेकिन सुमित की सोच कुछ अलग ही थी... आज सुमित को एक अरसे बाद देखा वोभी अपने पति की ऑफ़िस पार्टी में. बालों में हल्की सफ़ेदी झलक रही थी पर व्यक्तित्व उतना ही आकर्षक और शालीन... दिल पुरानी यादों में डूब गया. मुझे याद है एक-एक लम्हा जो सुमित की बाहों में बीता था, कितना हसीन हुआ करता थातब सब कुछ. सुमित और मैं साथ ही पढ़ते थे और उसका घर हमारे घर से कुछ ही दूरी पर था. वो बस कुछ ही वक़्त पहलेयहां शिफ़्ट हुआ था. कॉलेज का आख़िरी साल था और सुमित ने भी मेरे ही कॉलेज में एडमिशन ले किया था. आते-जातेपहले आंखें मिलीं और फिर साथ पढ़ते-पढ़ते दोस्ती हो गई. सुमित काफ़ी समझदार था और मैं उसकी इसी समझदारी की क़ायल थी. मैंने उसे अपने दिल की बात कहने में देर नहींलगाई और उसने भी अपनी भावनाओं का इज़हार कर दिया. पढ़ाई पूरी हुई और घर में मेरी शादी की बातें भी होने लगीं. एक रोज़ पापा ने ऐलान कर दिया कि लड़केवाले आ रहे हैं देखने. मैं घबरा गई और भागकर सुमित के पास गई. उसेबताया तो उसने कहा कि मैं घरवालों को बता दूं और कल वो भी आकर पापा से बात करेगा. मैंने हिम्मत जुटाकर मम्मी-पापा को अपने प्यार का सच बता दिया. पापा ने भी कहा ठीक है सुमित को आने दो कल, तभीबात करेंगे पर फ़िलहाल जो लोग देखने आ रहे हैं उस पर ध्यान दो. लड़केवाले तो आकर चले गए पर मुझे कल का इंतज़ार था. सुमित आया और पापा ने मुझे भी बुलाया. पापा बोले- मुझेलव मैरिज से कोई प्रॉब्लम नहीं है, ये सुन मैं एक पल को खुश हो गई, पर पापा की आगे की बातें सुन मैंने उम्मीद छोड़ दी. “सुमित अगर तुम हमारे समाज के होते तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होती क्योंकि तुम होनहार हो, समझदार हो लेकिन मैंअपने समाज के विरुद्ध जाकर रचना की शादी नहीं कर सकता. मुझे भी नाते-रिश्तेदारों को जवाब देना है. मैं तुम दोनों कोभ्रम में नहीं रखना चाहता इसलिए साफ़-साफ़ कह दिया.” मेरे सारे सपने बिखरते नज़र आए मुझे... रात के एक बज रहे थे... “अरे रचना, इतनी रात तुम मेरे यहां? सब ठीक तो है?” “सुमित चलो भाग चलते हैं, हम अपने प्यार को ऐसे हारते देख नहीं सकते. शादी कर लेंगे तो पापा ज़रूर माफ़ कर देंगे.” “रचना, मैं अपने प्यार को ऐसे कलंकित नहीं कर सकता, यूं चोरी-छिपे शादी करना ठीक नहीं, तुम्हारे घरवालों की औरतुम्हारी भी बदनामी होगी. मैं तुम्हें बदनाम कैसे कर सकता हूं, सिर्फ़ अपने स्वार्थ के लिए? प्यार का अर्थ पाना ही नहीं होताबल्कि खोना भी होता है. मुझे उम्मीद है तुम हमारे प्यार की लाज रखोगी और अपनी शादी को दिल से निभाओगी! मेरीख़ातिर... चलो तुम्हें घर छोड़ दूं.” मैं आंसुओं के सैलाब में डूब गई और चुपचाप शादी भी कर ली. पापा ने विदाई के समय कहा था, “मुझे माफ़ कर देनाबेटा, मैं कायर निकला!” मेरे पति अरुण काफ़ी अच्छे और नेकदिल थे, लेकिन सुमित की कमी हमेशा ही खली! “अरे रचना, इनसे मिलो, ये सुमित हैं, कुछ ही दिन पहले इनका यहां ट्रांसफ़र हुआ है.” मेरे पति ने सुमित से मिलवाया और मैं बीते वक्त से वर्तमान में लौट आई. मौक़ा पाते ही मैंने सुमित से उसका नंबर ले लिया. हिम्मत जुटाकर फ़ोन लगाया. हालचाल पूछा, पत्नी-परिवार के बारे मेंपूछा. “रचना, मैंने शादी नहीं की. किसी और से शादी करके मैं उसके साथ अन्याय नहीं करना चाहता था. मेरा प्यार तो तुम होऔर हमेशा रहोगी.” मैं समय निकालकर सुमित के घर जा पहुंची... “रचना तुम्हें इस तरह नहीं आना चाहिए था, किसी को पता चलेगा तोतुम्हारे लिए परेशानी हो जाएगी” “मैं खुद को रोक नहीं पाई और अब जब हम एक ही शहर में हैं तो मिल तो सकते ही हैं ना...” ख़ैर कुछ देर रुककर मैं घर लौट आई. ऐसा लगा ज़िंदगी फिर मुझे सुमित के क़रीब रहने का मौक़ा देना चाहती है... …
बिग बॉस 9 के विनर रह चुके टीवी एक्टर प्रिंस नरूला ने अपना 30वां जन्मदिन बर्थडे अपनी वाइफ युविका चौधरी…
तुम मुझे अब पहले की तरह प्यार नहीं करते, तुम्हें अब मेरी परवाह कहां रहती है, तुम्हें तो मुझमें सिर्फ…
“आई एम सॉरी” आप जितनी आसानी से ये शब्द अपने पार्टनर को कह देती हैं, क्या वो भी उतनी ही…
मनचाहा जीवनसाथी, मनचाहा प्रोफेशन, मनचाही ख़ुशियां... यदि ये सब हासिल हो जाएं तो ज़िंदगी से और क्या चाहिए? टेलीवुड के…
ऑफ़िस में पहला दिन था. सहमी-सहमी सी थी मैं. खुद को यहां साबित करना है, आगे बढ़ना है... अपनी मेहनत औरइरादों के बूते. इतने में ही ऑफ़िस बॉय आया और कहने लगा सर ने आपको बुलाया है. मैं नॉक करके अंदर गई- सो मिस शक्ति, वेल्कम! आपका स्वागत है इस कम्पनी में. उम्मीद है आप जैसी होनहार लड़कीबहुत जल्द आगे बढ़ेगी. मैं उनको थैंक यू कहकर बाहर आई तो अलग ही ऊर्जा महसूस कर रही थी. कितने अच्छे बॉस मिलें हैं मुझे, इतना हौसलादेनेवाले और ज़िंदादिल. मैं अपने काम में जुट गई और फिर धीरे-धीरे बॉस के दिल में अपने काम से अलग जगह भी हासिल कर ली. वो मुझपर भरोसा करते थे इसलिए बड़ी ज़िम्मेदारी मुझे ही देते. उनके साथ काम करते करते कब मैं उनके इतने क़रीब आगई ख़ुद मैं भी नहीं जान पाई. आजकल ना जाने क्या हो गया था, वो बोलते रहते और मैं बस उनको देखती रह जाती. गुड लुकिंग तो वो थे ही, हमउम्र भीथे. उनकी ग़ैरहाज़िरी में उनके टेबल पर रखी चीजों को छूकर उनका एहसास, उनकी ख़ुशबू अपने अंदर समेट लेती. जब भी वो पास से गुज़रते या मैं उनके क़रीब रहती तो उनकी वो भीनी-भीनी ख़ुशबू मुझे मदहोश कर देती. मन में कई हसीनऔर रंगीन ख़्वाब पलने लगे थे. अगले ऑफ़िस जाने का इंतज़ार रात से ही रहता. ख़ुद को कई बार आइने में निहारती औरफिर यही सोचती कि उनको तो मैं पसंद ही हूं... लेकिन पता नहीं अब तक प्रपोज़ क्यों नहीं किया... एक रोज़ पता चला उनकी पोस्टिंग दूसरे शहर हो गई है, मन आहत हुआ, मैंने सोचा उनसे अपने दिल की बात मैं ही कह दूं. उनके कैबिन में गई तो कोई और भी था. उन्होंने कहा कि आ जाओ सब अपने ही हैं, कोई पराया नहीं. फिर उन्होंने मेरापरिचय करवाया- शीतल, यही है शक्ति, जिनकी तारीफ़ों के पुल मैं अक्सर तुम्हारे सामने बांधता था और तुम कहती थीकभी मिलवाओ भी अपनी शक्ति से. यह सुन मैं शर्म से लाल हो गई... धड़कनें तेज़ थीं क्योंकि मुझे लगा कि विनोद सर भी मेरे बारे में वही सोचते हैं जो मैं, तभीतो सबको बता रखा है. अरे शक्ति, कहां खो गई? तुम्हारा तो परिचय करवा दिया पर तुम भी इनसे मिल लो, ye है रितु, मेरी मंगेतर, मेरी जान! ये सुनते ही मेरे होश उड़ गए, ऐसा कैसे हो सकता है? मुझे प्यार के ख़्वाब दिखाकर... किसी और के साथ... अरे तुम फिर खो गई कहीं... क्या बात है शक्ति? तुम ठीक हो ना? सॉरी शक्ति मैं अपनी पोस्टिंग की बात तुम्हें कल बतानहीं पाया. मैं तुम्हें मिस करुंगा. तुम्हारे बिना काम करने की आदत नहीं. तुम जैसी होनहार लड़की और कॉलीग मिलनामुश्किल है. मैं तुम्हें बहुत एडमायर करता हूं, यक़ीन ना हो तो रितु से पूछ लो... विनोद सर बोलते जा रहे थे और मैं किसीतरह अपने आंसू रोकने की कोशिश में थी. इतने में रितु ने कहा- हां शक्ति, विनोद अक्सर तुम्हारे टैलेंट और मेहनत का ज़िक्र करते रहते हैं. कल कह रहे थे कि शक्तिके बिना नई जगह खुद को अधूरा महसूस करुंगा. तुम बहुत आगे जाओगी अपने करीयर में, क्योंकि विनोद इतनी जल्दीकिसी से इम्प्रेस नहीं होते. मैंने उन दोनों को शुभकामनाएँ दीं और घर आकर ख़ूब रोई. जब मन का सारा कड़वापन धुल गया तब सब कुछ साफ़ नज़रआया. सच तो है, सर ने तो हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया था, मेरे काम और करीयर से जुड़ी ही बातें करते थे वो तो मैं ही थी जोउनकी तरफ़ खिंचती गई और उनके बड़प्पन को ग़लत नज़रिए से देखने लगी. कितना साफ़ दिल है उनका. अपनी मंगेतर केसामने भी कितनी साफ़गोई से मेरे हुनर को सराह रहे थे. और रितु भी उतनी ही साफ़ दिल की है जो बिना किसी परेशानी के मुझे ही हौसला दे रही थी. सच में बहुत प्यारी जोड़ी थीदोनों की. मेड फ़ॉर ईच अदर! मुझे अब उनसे और भी गहरा प्यार हो गया था, पर इस प्यार में शारीरिक आकर्षण नहीं, ख़ालिस मोहब्बत थी, इज़्ज़त थी, स्नेह था और ढेर सारी दुआएं... इस पाक मुहब्बत पर नाज़ था अब मुझे और अपनी पसंद पर भी. …