बच्चों के हेल्दी ग्रोथ के लिए ज़रूरी है कि बचपन से ही उनके पोषण पर ध्यान दिया जाए, बच्चों को इन्फ़ेक्शंस से बचाने और स्वस्थरखने के लिए ज़रूरी है कि उनका इम्यून सिस्टम मज़बूत रहे, जिसके लिए उन्हें ऐसा भोजन दिया जाए जो इम्युनिटी के लिए बेस्ट हो. यहां हम ऐसे ही फ़ूड की बात कर रहे हैं जो बच्चों की इम्युनिटी को बेहतर करेंगे और उनको हमेशा हेल्दी रखेंगे. यहां आपको एक और बात का भी ध्यान रखना है कि बच्चे इतनी आसानी से हेल्दी फ़ूड नहीं खाते, इसलिए आपको क्रिएटिव ढंग सेउनके खाने में उनको शामिल करना होगा, प्रेजेंटेशन बेहतर करके और टेस्ट बढ़ाकर उनको ये ख़ाना खिलाएं, जैसे- आप सूप, स्मूदी, सलाद, परांठे, वेजीटेबल नूडल्स, सैंडविच आदि में उनको शामिल कर सकते हैं. ग्रीन वेजीटेबल्स: विटामिन ए, सी और के, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और पोटैशियम से भरपूर हरी पत्तेदार सब्ज़ियों में कईपोषक तत्त्व होते हैं. ग्रीन वेजीटेबल्स में बीटा-कैरोटीन सहित ऐसे अनेक एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो बच्चों के इम्युन सिस्टम कोस्ट्रॉन्ग बनाते हैं. आयरन प्रचुर मात्रा में होने से यह शरीर में वाइट ब्लड सेल्स और एंडीबॉडीज़ का प्रोडक्शन बढ़ाता है. दही: दही नेचुरल प्रोबायोटिक्स है यानी इसमें गुड बैक्टीरिया होते हैं, जो इम्युनिटी और गट को स्ट्रॉन्ग और हेल्दी रखते हैं. रिसर्चबताते हैं कि जो बच्चे दही खाते हैं, उन्हें कफ-कोल्ड और ईयर व थ्रोट इन्फेक्शन होने की संभावना कम होती है. सिट्रस फ्रूट्स: संतरा, आंवला, अमरूद, नींबू जैसे खट्टे फलों में काफ़ी मात्रा में विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट होता है, जोइम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं. ब्रोकोली: इसे सुपर फूड भी कहते हैं. ब्रोकोली में मौजूद मिनरल्स, विटामिन्स (ए, सी व ई), एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीइनफ्लेमेट्री औरडिटॉक्सिफाइंग कंपोनेंट इम्युनिटी को स्ट्रॉन्ग करते हैं. अंडा: अंडा विटामिन और प्रोटीन का सबसे बेहतरीन स्रोत है. यह भी एक सुपर फूड है. एग योक में ज़िंक, सेलेनियम औरमिनरल्स होते हैं, जो बच्चों के मस्तिष्क का विकास और आंखों की रोशनी को भी तेज़ करते हैं. ड्राई फ्रूट्स, नट्स और सीड्स: विटामिन ई से भरपूर ड्राई फ्रूट्स और सीड्स एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं और इम्यूनिटी बढ़ातेहैं. काजू, बादाम, अखरोट, पिस्ता, मूंगफली और सीड्स में विटामिन, मिनरल्स, प्रोटीन, हैल्दी फैट, फाइबर होते हैं, इसलिएबच्चों के डाइट में कद्दू के बीज, तिल व अलसी के बीज, चिया सीड्स शामिल करें. नट्स में प्रोटीन व फाइबर प्रचुर मात्रा में होतेहैं. नट्स में रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ानेवाले ज़िंक, आयरन, मिनरल्स और विटामिन्स भी होते हैं. दालें, बीन्स और चना: दालों में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है और बिना नॉन वेज के प्रोटीन पाने का ये सबसे आसान तरीका है. इसके अलावा बींस और दालों में फाइबर, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फोलेट, जिंक और पोटैशियम काफ़ी मात्रा में होताहै. दालों में फाइटोकेमिल भी होते हैं जो गंभीर बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं. बीन्स और दालों में फाइबर और अघुलनशीलस्टार्च प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो पेट को स्ट्रॉन्ग बनानेवाले गुड बैक्टीरिया का निर्माण करते हैं, जिससे पाचन तंत्र और इम्युनसिस्टम मज़बूत होता है. हल्दी: हल्दी नेचुरल पेनकिलर है और इन्फ़ेक्शंस से लड़ने में बेहद कारगर भी. इसमें करक्यूमिन नामक तत्व होता है जिसमेंएंटीमाइक्रोबियल, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेट्री गुण होते हैं, को इम्युनिटी को बूस्ट करते हैं और कई बीमारियों से लड़ने मेंभी मदद करते हैं. लहसुन: लहसुन को इम्युनिटी बूस्टर फूड भी कहा जाता है. इसमें सेलेनियम होता है, जो शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव, सूजन कोकम करता है और इम्युनिटी बढ़ाता है. इसमें ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो इम्युनिटी सेल्स में होनेवाले इंफेक्शन से लड़ने मेंसहायता करते हैं. यह बच्चों के शरीर में मौजूद सल्फर को नियंत्रित करता है, ताकि उनके शरीर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स कीएक्टिविटीज़ तेज़ हो सके. केला: यह इम्युनिटी बढ़ाने वाला बेस्ट फूड है, क्योंकि इसमें विटामिन बी6 होता है. बॉडी में विटामिन बी6 की कमी की वजह सेइम्यून सिस्टम पर नकारात्मक असर होता है, इसलिए केले को बच्चों की डाइट में ज़रूर शामिल करें. बेरीज: सभी कलर की बेरीज़- रेड, ब्लू, पर्पल विटामिन सी से भरपूर होती हैं. इनमें एंथोसायनिन्स की मात्रा बहुत अधिक है, जोएक पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट होता है. यह कई बीमारियों से बच्चों की रक्षा करता है. बेरीज़ इम्युनिटी को मज़बूत बनाने केसाथ-साथ बच्चों में इन्फ़ेक्शंस के ख़तरे को भी कम करती हैं. टमाटर: इनमें विटामिन सी और बीटा-कैरोटीन नामक एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होता है, जो इम्यून सिस्टम में होनेवालेइन्फ़ेक्शंस से बच्चों की रक्षा करता है. टमाटर एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं, जो बच्चों में फ्री रैडिकल्स से होनेवाले डेमैज कोरोकते हैं और उनकी इम्युनिटी बढ़ाते हैं. कलरफुल वेजीटेबल्स: रंग-बिरंगी सब्ज़ियां सब्ज़ियों में कलरफुल कंपोनेंट केरोटेनाइड्स (जैसे- बीटा कैरोटीन) नामकएंटीऑक्सीडेंट्स होता है, जो बच्चों की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. लाल शिमला मिर्च में बीटा कैरोटीन और विटामिन सीबहुत अधिक मात्रा में होता है, जो बच्चों की आंख और त्वचा को हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है. इसी तरह गाजर मेंविटामिन्स ए, बी, सी और जी, पोटैशियम और सोडियम बहुत अधिक मात्रा में होते हैं, जो आंखों की रोशनी, पाचन तंत्र और दांतोंके लिए फ़ायदेमंद होते हैं. सालमन: सी फ़ूड और फिश में सालमन ओमेगा 3 फैटी एसिड का सबसे बेस्ट सोर्स है. इसमें मौजूद फैट्स बच्चों के मानसिकविकास और इम्युनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाने में मदद करता है. शकरकंद: यह विटामिन बी6 का अच्छा सोर्स होता है, जो इम्युनिटी के लिए बहुत ज़रूरी है. इसके अलावा, इसमें विटामिन ए, प्रोटीन, फ़ाइबर और पोटेशियम भी होता है.
बच्चे बहुत जल्द बदलते मौसम से प्रभावित होते हैं, इसके अलावा वो खानपान को लेकर भी काफ़ी चूज़ी और थोड़े ज़िद्दी होते हैं, जिससेअक्सर उनको खांसी की समस्या जब-तब होती रहती है. वहीं नवजात शिशु भी अक्सर खांसी की चपेट में आ जाते हैं, ऐसे में उन्हें कुछआसान घरेलू उपायों द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है. 👉🏻 सावधानियां ➡️ ध्यान रहे कि ये होम रेमेडीज़ सामान्य खांसी के लिए है. ➡️ अगर बच्चे की खांसी बढ़ रही है और उसे राहत नहीं मिल रही तो फ़ौरन डॉक्टर के पास ले जाएं. ➡️ इसके अलावा बच्चों को इम्युनिटी बूस्टर फ़ूड खिलाएं. ➡️ उनको सर्दी से बचाएं. ➡️ उनका रूटीन हेल्दी बनाएं, हाइजीन की आदत और महत्व समझाएं. ➡️ खाना खाने से पहले, खांसने-छींकने के बाद, टॉयलेट यूज़ करने के बाद साबुन से हाथ धोने की आदत विकसित करें. 👉🏻 होम रेमेडीज़… शहद चटाएं. शहद में औषधीय गुण होते हैं, जो खांसी में काफ़ी लाभदायक हैं. स्वीट होने के कारण बच्चे इसे आसानी से ले भीलेते हैं. विटामिन सी युक्त चीज़ें खिलाएं-पिलाएं. एक कप पानी में नींबू का रस और थोड़ा-सा शहद मिलाकर दें. अगर बच्चा थोड़ा बड़ा है तो गरारा करवाएं. गुनगुने पानी में नमक या हल्दी डालकर गार्गल करें. गले में ड्राइनेस न बढ़ने दें, इसलिए बच्चे को ज़्यादा से ज़्यादा लिक्विड यानी तरल पदार्थ दें, जैसे- जूस, सूप, पानी. जंक और ऑयली फ़ूड से बचाएं. अदरक का रस शहद के साथ रात को सोते समय दें. 2 साल से कम उम्र के बच्चे के तकिए पर नीलगिरि के तेल की कुछ बूंदें डाल दें. एक चम्मच तुलसी का रस, एक चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन बार दें. मिश्री का टुकड़ा दें. ये काफ़ी फ़ायदा करेगा. अंजीर खिलाएं. इससे छाती में जमा बलगम निकल जाता है और खांसी से छुटकारा मिलता है. बड़ी इलायची का पाउडर थोड़ा-थोड़ा दिन में तीन बार पानी के साथ दें.…
कहा जाता है बच्चे गीली मिट्टी की तरह होते हैं, उनको जिस सांचे में ढालोगे वो ढल जाएंगे. वैसे भी आजकल हम ये महसूस कर रहे हैंकि बच्चों में काफ़ी बदलाव आ गया है, उनकी मासूमियत कम हो रही है और वो परिवार व अपनेपन की भावना से दूर हो रहे हैं.ऐसे मेंउन्हें अपने परिवार, अपनी संस्कृति से रूबरू कराना बेहद ज़रूरी है और इसमें सबसे अहम भूमिका निभा सकते हैं हमारे त्योहार. ऐसा भी देखा गया है कि बच्चों के लिए त्योहारों का भी अर्थ बदल सा गया है, वो त्योहारों के पीछे छिपे असली अर्थ को न समझते हुएबस इतना ही जान पाते हैं कि होली में हड़दंग मचाना है और दिवाली में पटाखे फोड़ना व खाना-पीना. इसीलिए ये और भी ज़रूरी होजाता है कि हम उनको अपने त्योहारों का असली मतलब बताएं और उनको बेहतर इंसान बनाएं. क्या है त्योहारों के असली मायने? अपने बच्चों को हर त्योहार के पीछे छिपे धार्मिक, सामाजिक, पारिवारिक व वैज्ञानिक महत्व और मायने बताएं. हर त्योहार को मनाने कीख़ास वजह होती है, चाहे वो ऋतु परिर्वतन हो या फिर कोई सामाजिक सीख व शिक्षा- इससे अपने बच्चों को वाक़िफ़ करवाएं. सिर्फ़कर्म-कांड ही नहीं उनके पीछे के वैज्ञानिक पहलुओं के बारे में समझाएं. उनसे जुड़ी कहानियां व कहानियों की सीख के बारे में बताएं. स्वास्थ्य से इनका क्या कनेक्शन है ये भी बताएं, ताकि बच्चे भी उत्सुक होकर त्योहारों को उत्साह के साथ मनाएं. अपनेपन का सबब होते हैं त्योहार… आजकल माइक्रो फ़ैमिली हो गई है. सिंगल फ़ैमिली कल्चर बहुत बढ़ चुका है जिससे बच्चे अपने सभी परिवार के सदस्यों को न तोपहचानते हैं और न ही उनसे जुड़ाव महसूस करते हैं. यहां तक कि कोई नाते-रिश्तेदार आ भी जाएं तो बच्चों को बहुत अखरता है. वो न तोउनके साथ घुलना-मिलना चाहते हैं और न ही अपना कमरा व अपनी चीजें शेयर करना चाहते हैं, ऐसे में बच्चों को फ़ेस्टिवल के दौरानअपनों के साथ मेल-मिलाप बढ़ाने का मौक़ा मिलता है. आप बच्चों को रिश्तेदारों के यहां लेकर जाएं या उनको अपने यहां बुलाएं. इससेबच्चों का अकेलापन दूर होगा और उनको फ़ैमिली कल्चर का पता चलेगा. ऐसा भी किया जा सकता है कि आप बच्चों से कहें कि इसबार होली या दिवाली या फिर जन्माष्टमी गांवकी मनाएंगे और आप कहीं और हॉलिडे प्लान करने की बजाए गांव जाकर सभी के साथत्योहार का आनंद उठाएं. बच्चे भी जब अपने बड़ों और अपने कज़िन्स से मिलेंगे तो उनको ख़ुशी होगी और अपनेपन की भावना बढ़ेगी. मिल-जुलकर काम करने की भावना बढ़ाते हैं त्योहार… फ़ेस्टिवल टाइम में सारा परिवार मिल-जुलकर घर की साफ़-सफ़ाई, कुकिंग, शॉपिंग और अन्य प्लानिंग करते हैं. इसमें बच्चों को भीशामिल करें और कुछ कामों की ज़िम्मेदारी उनको भी सौंपें. इससे वो काम-काज में हाथ बंटाना सीखेंगे. वैसे भी रीसर्च कहता है कि घरका काम करने से बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है. बच्चों को भी ये एहसास होगा कि उनको भी घर की ज़िम्मेदारियों में हिस्सेदार बनायाजाता है तो उनमें ज़िम्मेदारी की भावना पनपेगी और त्योहारों के प्रति उनका उत्साह भी बढ़ेगा. आजकल फ़ेस्टिवल को लेकर को ठंडापनऔर दिखावे का कल्चर बढ़ रहा है इससे उनको बचाया जा सकता है. सिर्फ़ अपने ही नहीं, अन्य धर्मों के त्योहारों की भी जानकारी व महत्व समझाएं… बच्चों को हर धर्म का सम्मान करना सिखाएं. आजकल बच्चे दूसरे तो दूर की बात है अपने धर्म का भी सम्मान नहीं करते. उनको सब कुछढकोसला लगता है, लेकिन आप इंटरनेट और सोशल मीडिया की मदद से अपना भी ज्ञान बढ़ाएं और अपने बच्चों को भी अपने व अन्यधर्मों के त्योहारों का असली अर्थ समझाएं. त्योहारों से जागती है सुरक्षा, प्यार और माफ़ करने की भावना… फ़ेस्टिवल हमको क़रीब लाते हैं. अगर कोई दोस्त या रिश्तेदार लम्बे समय से नाराज़ है तो त्योहार इस नाराज़गी को दूर करने काबेहतरीन अवसर हमें देते हैं. ये बाद बच्चों को भी सिखाएं कि अगर कोई नाराज़ है तो उससे माफ़ी मांग लें और अगर कोई और माफ़ीमांगे तो उसको माफ़ कर दें. त्योहार हमें अपने बैर दूर करने का मौक़ा देते हैं. इसके अलावा वो अपनी भावनाएं व प्यार दर्शाने का भी अवसर देते हैं, हम इसी वजह से गिफ़्ट या मिठाई देते हैं. बच्चों को फ़ेस्टिवल केलिए अपने फ़ेवरेट रिश्तेदार या दोस्त के लिए हाथों से ग्रीटिंग कार्ड बनाने या पेंटिंग करने को कहें. क्वालिटी टाइम बिताने और ख़ुश रहने का बेहतरीन अवसर देते हैं त्योहार… भागदौड़ भरी जीवनशैली में त्योहार ही हैं जो हमको अपनों के साथ वक्त बिताने और वो भी क्वालिटी टाइम सपेंड करने का मौक़ा देते हैं. ये बात बच्चों को ज़रूर समझाएं कि किस तरह इन दिनों सभी लोग ख़ुश रहते हैं, उत्साह के साथ काम करते हैं, हंसी-मज़ाक़ करते हैं, अंताक्षरी खेलते हैं, एक साथ खाना खाते हैं… जिससे सारा स्ट्रेस दूर हो जाता है और हम रिफ़्रेश हो जाते हैं. आप कैसे अपने बचपन में उत्साह से त्योहार मनाया करते थे इस बारे में बताएं… अपने बचपन के अनुभव बच्चों को बताएं. आपके दिनों में कैसे ये त्योहार मनाए जाते थे इस बारे में बताएं. उस वक्त इंटरनेट और फ़ोननहीं हुआ करते थे लेकिन फिर भी लोगों के दिलों के तार ज़्यादा व बेहतर ढंग से कनेक्टेड थे इसके महत्व को बताएं. आज सब सुविधाएंहैं लेकिन समय नहीं और अपनापन भी कम है तो किस तरह त्योहार ही हमको क़रीब ला सकते हैं ये बताएं… संस्कृति-संस्कारों से जोड़ते हैं त्योहार और सभ्यता, इंसानियत का पाठ भी पढ़ाते हैं और शेयरिंग-केयरिंग की भावना भी बढ़ाते हैं… त्योहार हमें हमारी संस्कृति से जोड़ते भी हैं और उसके बारे में बताते भी हैं. बच्चों को बताएं कि यही वजह है हमको ये सिखाया जाता हैकि त्योहार के दिन न किसी के बारे में बुरा बोलना चाहिए, न बुरा सोचना और न बुरा करना चाहिए. ख़ुश व सकारात्मक रहना सिखाते हैंत्योहार. इंसानियत की सीख देते हैं. हम इस दिन अपनों के साथ तो क्या अंजनों के साथ भी मिल-जुलकर ख़ुशियां बांटते हैं. अपने हाथोंसे बना खाना-मिठाई व पकवान आस-पड़ोस में सभी के साथ शेयर करते हैं. यही शेयरिंग व केयरिंग की भावना का विस्तार करते हैंत्योहार और यही हैं हमारे सच्चे व असली संस्कार… गीता शर्मा
बॉलीवुड की बेबाक और बिंदास एक्ट्रेस कंगना रनौत (Kangana Ranaut) इन दिनों हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के मनाली (Manali) में…
किश्वर मर्चेंट और सुयश राय अब बन चुके हैं मम्मी-पापा, हाल ही में किश्वर ने बेटे को जन्म दिया और…
टीवी एक्ट्रेस और बिग बॉस कंटेस्टेंट रह चुकी किश्वर मर्चेंट ने बेटे को जन्म दिया है. किश्वर और सुयश ने…
करीना कपूर एक बार फिर मां बन गईं. पटौदी फैमिली में ख़ुशियां की बहार छा गई है. करीना ने एक…
विराट कोहली और अनुष्का शर्मा के घर आई नन्ही परी. विराट ने सोशल मीडिया पर बड़ी खुशी के साथ यह…
अमृता राव और आरजे अनमोल हाल ही में पैरेंट्स बने हैं और जिस वक़्त उन्होंने पैरेंट्स बनने की खबर दो…
यूं लग रहा है जैसे सितारों के माता-पिता बनने का मौसम आ गया है. अभी कल ही विराट कोहली और…
बच्चों से पेरफ़ेकशन की उम्मीद करना ग़लत है. कोई भी पेरेंट परफ़ेक्ट नहीं होता, इसी तरह कोई भी बच्चा भी…
रिश्तों का मनोविज्ञान (The Psychology Of Relationships) मेरी बेटी की उम्र 28 साल है. वो नौकरी करती है. पिछले कुछ…