Relationship & Romance

शादीशुदा ज़िंदगी में बढ़ता अकेलापन…! (Why Do People Feel Lonely In Their Marriage?)

शादी (Marriage) का मतलब (Meaning) ही होता है कंपैनियनशिप यानी एक साथी, जो सुख-दुख में साथ दे, जिसके साथ शेयरिंग हो, जो केयरिंग हो, व़क्त आने पर न स़िर्फ रोने के लिए कंधा दे, बल्कि हमारे आंसू भी पोंछे… जो हमेशा यह कोशिश करे कि ज़िंदगी का सफ़र उसके साथ हसीन लगे, रास्ते आसान हो जाएं और मुश्किलों से लड़ने का हौसला मिले… लेकिन अगर इंसान अकेला ही है, तो वो अकेले लड़ना सीख जाता है, पर किसी के साथ रहकर अकेलापन जब हो, तो वहां मुश्किलें और सवाल उठने लाज़िमी हैं.

जी हां, एक शोध से यह बात सामने आई है कि कम से कम 20% शादीशुदा लोग अपनी शादी में भी अकेलापन महसूस करते हैं. यह बेहद गंभीर बात है, क्योंकि रिश्तों में पनपता अकेलापन आपको कई मानसिक व शारीरिक समस्याएं भी दे सकता है.

क्या हैं वजहें?

–  आजकल लाइफस्टाइल बदल गई है, कपल्स वर्किंग होते हैं और उनका अधिकांश समय ऑफिस में कलीग्स के साथ ही बीतता है. ऐसे में पार्टनर के लिए समय कम होता जाता है.

–   काम का तनाव इतना बढ़ गया है कि कम्यूनिकेशन कम हो गया है.

–   घर पर भी दोनों अपने-अपने कामों में ही व्यस्त रहते हैं.

–   सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने इस बढ़ते अकेलेपन को और हवा दी है, क्योंकि वहां हमें नए दोस्त मिलते हैं, जो ज़्यादा आकर्षित करते हैं. ऐसे में कब हम पार्टनर को इग्नोर करने लगते हैं, पता ही नहीं चलता.

–   साथ में बैठकर बातें करना, एक-दूसरे की तकलीफ़ों को समझना तो जैसे अब समय की बर्बादी लगती है.

–   बात जब हद से ज़्यादा बढ़ जाती है, तब यह एहसास होता है कि हम कितने तन्हा हैं एक रिश्ते में होते हुए भी.

–   अब तो पार्टनर्स को यह भी नहीं पता होता कि हमारा साथी इन दिनों क्या महसूस कर रहा है या किन तकलीफ़ों से गुज़र रहा है.

–  इस बढ़ते अकेलेपन का असर सेक्स लाइफ पर भी पड़ता है, साथ ही कम होते सेक्सुअल रिलेशन भी अकेलेपन को बढ़ाते हैं यानी दोनों तरह से इसे देखा जा सकता है.

–   हर व़क्त पार्टनर्स अपने फोन या लैपटॉप में ही बिज़ी रहते हैं, चाहे डिनर का समय हो या बेड पर सोने का टाइम हो. यह वो समय होता है, जो पार्टनर्स एक-दूसरे के साथ प्यार और रोमांस में बिता सकते हैं, अपनी परेशानियां, अपने सुख-दुख शेयर कर सकते हैं, लेकिन वो आजकल ऐसा न करके अपनी-अपनी दुनिया में खोए रहते हैं. बाद में एहसास होता है कि एक-दूसरे से वो कितना दूर हो चुके हैं.

क्या आपके रिश्ते में भी पनप रहा है अकेलापन?

–   कुछ लक्षण हैं, जिन पर यदि आप ग़ौर करेंगे, तो जान पाएंगे कि आपके रिश्ते में भी यह अकेलापन तो घर नहीं कर गया.

–   आप दोनों आख़िरी बार कब क़रीब आए थे?

–  अपनी दिनचर्या साथ बैठकर कब शेयर की थी?

–  कब एक-दूसरे को आई लव यू या कोई प्यारभरी बात बोली थी?

–  कब कहीं साथ यूं ही हाथों में हाथ डाले बाहर घूमने निकले थे?

–  ख़ास दिन यानी बर्थडे, एनीवर्सरी याद रहती है या भूलने लगे?

–  एक-दूसरे से अपनी ज़रूरतों के बारे में बात करते हैं या नहीं?

इन तमाम सवालों पर ग़ौर करें, तो आप स्वयं समझ जाएंगे कि आप किस दौर से गुज़र रहे हैं.

यह भी पढ़ें: हैप्पी फैमिली के लिए न भूलें रिश्तों की एलओसी (Boundaries That Every Happy Family Respects)

 

अकेलेपन से होता है स्वास्थ्य पर असर…

–   आप डिप्रेशन का शिकार होने लगते हैं.

–   ज़्यादा अकेलापन महसूस होने पर यह अवसाद आत्महत्या तक ले जाता है.

–   नशे की लत का शिकार हो सकते हैं.

–   याद्दाश्त पर बुरा असर पड़ता है.

–   हृदय रोग हो सकते हैं.

–   व्यवहार बदलने लगता है.

–   स्ट्रोक के शिकार हो सकते हैं.

–   ब्रेन फंक्शन्स पर बुरा असर होने लगता है.

–   निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होने लगती है.

–   चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है.

–   सोशल गैदरिंग में जाना बंद करने लग जाते हैं.

कैसे दूर करें इस अकेलेपन को?

–   कम्यूनिकेट करें. किसी भी समस्या का हल बातचीत से ही निकल सकता है. आप जो इन दिनों महसूस कर रहे हैं, उसके बारे में पार्टनर को बताएं.

–   अगर व्यस्तता के चलते यह सब हो रहा है, तो आप दोनों को ही हल निकालना होगा.

–   इनिशियेटिव लेकर कुछ सरप्राइज़ेस अरेंज करें और अपने रिश्ते को फिर से ताज़ा करने की कोशिश करें.

–   मैसेजेस करें, रोमांटिक बातें करनी शुरू करें.

–   एक-दूसरे को समय दें और एक रूल बनाएं कि डिनर के समय और बेड पर कोई भी फोन पर समय नहीं बिताएगा.

–   अपनी सेक्स लाइफ रिवाइव करें. कुछ नया ट्राई करें- बेडरूम के बाहर या कोई नई पोज़ीशन वगैरह.

–   ज़रूरत पड़ने पर काउंसलर की सलाह भी ले सकते हैं.

–  यदि आप दोनों के बीच कोई और आ गया है, तो मामला अलग होगा. तब आपको किसी ठोस नतीज़े पर पहुंचना होगा.

–   अगर रिश्ता फिर से जीवित होने की संभावना नहीं दे रहा है, तो अकेलेपन से डरें नहीं, उसे कुछ क्रिएटिव करने का एक अवसर समझें.

–   अपनी हॉबीज़ पर ध्यान दें.

–  दोस्तों के साथ सोशलाइज़ करें. उनके साथ पार्टी या गेट-टुगेदर प्लान करें और एंजॉय करना शुरू करें.

–   करियर पर फोकस करना शुरू कर दें.

–   अपनी सेहत पर ध्यान दें.

–   ख़ुद से प्यार करना सीखें.

– विजयलक्ष्मी

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Aneeta Singh

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