काफ़ी समय से सीएए को लेकर आए दिन कुछ-न-कुछ हो रहा है. इसमें आम जनता तो कम, लेकिन शरारती तत्व अधिक परेशान कर रहे हैं. तभी तो फिल्म निर्माता- लेखक विवेक अग्निहोत्री ने इसे अरबन नक्सल तक नाम दे दिया. हर भारतीय की तरह उन्हें भी देश व लोगों की चिंता है. तभी तो वे लगातार सोशल मीडिया पर इसे लेकर अपनी बात व पक्ष रख रहे हैं.
इस रात की कोई सुबह नहीं… जैसे बयां उनके आहत मन को ही दर्शा रहे हैं. उन्होंने एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें जिस तरह देश में कहीं-न-कहीं हर रोज़ तोड़-फोड़ के समीकरण बन-बिगड़ रहे हैं, यह कहीं सिविल वॉर के संकेत तो नहीं? वे कौन लोग हैं, जो इस तरह की कामों में लिप्त हैं.
कहीं ये सब दुनिया में देश को अपमानित करने का षड़यंत्र तो नहीं रचा जा रहा.,. इस तरह की आशंका भी विवेकजी ने जताई है. आख़िर कोई कैसे अपने ही देश की संपत्ति को इस कदर नुक़सान पहुंचा सकता है. यह है तो हम सभी का घर ना!.. कैसे इसके बारे में ग़लत व बुरा बोल सकते हैं. क्योंकर? हमारी परवरिश में कमी रह गई या फिर अभिभावकों के संस्कार में.
अपनी बात को मनवाने की ज़िद… आम नागरिक को परेशान करना… रक्षक को ही भक्षक की संज्ञा देना… जान-बूझकर पत्थरबाज़ी, आगजनी करना, ताकि माहौल और बिगड़ जाए. इन सब हालातों में सितारे भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आते. कुछ प्रतिष्ठित लेखक, कलाकार हैं, जो अक्सर कुछ-न-कुछ ऐसा कहते जा रहे हैं, जिससे स्थिति सुधरने की बजाय और बिगड़ जाती है. इसमें फिल्म इंडस्ट्री भी दो भागों में बंट गई है. जहां एक तरफ़ जावेद अख़्तर, स्वारा भास्कर, रिचा चड्ढा, अनुराग कश्यप जैसे नफ़रत की राजनीति कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ़ वंो पक्ष भी है, जो शांति बहाल करना चाहता है. इसमें अनुपम खेर तो कई बार सटीक व समझदारीभरे तथ्य रख रहे हैं और लोगों को जागरूक होने की पैरवी भी कर रहे हैं.
कौन कितना सही है और कितना ग़लत, यह तो हम सभी देख रहे हैं. लेकिन कुछ असमाजिक तत्व जिस तरह की हरकतें कर रहे हैं, वो ठीक नहीं. स्पष्टतौर पर कहें, तो इसकी ज़रूरत भी नहीं है, लेकिन फिर भी वे तिल का ताड़ बनाते जा रहे है, जिसे हम सभी को गंभीरता से सोचना व समझना होगा. चुभते शब्द, व्यंग्यबाण, धर्म की आड़, जाति की दुहाई कहां तक जायज़ है. इस पर ध्यान देना होगा.
कल रात मुंबई में भी सीएए को लेकर स्थिति बिगड़ रही थी, पर पुलिस द्वारा इसे नियंत्रण में कर लिया गया.
विवेक अग्निहोत्री ने अपने कुछ बातों, वीडियो आदि के ज़रिए कम में ही बहुत कुछ कहने की कोशिश की है. हर समस्या का समाधान शांति की नींव पर ही टिका होता है, इसके मर्म को जानना होगा.
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