वर्ल्ड कैंसर डे: क्यों बढ़ रहा है भारत में कैंसर? कब रहें एलर्ट, क्या सावधानी बरतें?(World Cancer Day: Why are cancer cases on rise in India? Warning Signs And Prevention Guide)

पूरी दुनिया में ही नहीं, बल्कि हमारे देश में भी कैंसर तेज़ी से फैल रहा है. हालिया सर्वे के अनुसार भारत में हर साल 14.5 लाख कैंसर के मामले आ रहे हैं. क्या है कैंसर के इतनी तेज़ी से फैलने की वजह, कैंसर से सुरक्षित कैसे रहा जा सकता है और इसका इलाज कैसे संभव है, इस बारे में पूरी जानकारी जुटाने की कोशिश की है हमने.

 
क्यों बढ़ रहा है कैंसर?


– केमिकल और टॉक्सिक एक्सपोज़र, लगातार रेडिएशन का प्रभाव, अनियमित लाइफस्टाइल, असंतुलित खान-पान, बढता मोटापा, पोल्यूशन, जेनेटिक कारण, तंबाकू और अल्कोहल का सेवन, आनुवांशिक कारण, इंफेक्शन, जागरूकता की कमी. इसके अलावा रेड मीट का ज़्यादा सेवन, इनएक्टिव लाइफस्टाइल,

इस तरह से देखा जाए तो हममें से हर कोई कैंसर के रिस्क ज़ोन में है, क्योंकि हम सब कैंसर बढाने वाले वातावरण में ही रह रहे हैं. इसलिए ज़रूरी है रोग होने से पहले ही एलर्ट हो जाएं, कुछ सावधानयां बरतें, कुछ बातों का ध्यान रखें.


बी अलर्ट

स्ट्रेस से बचें: लंदन में हुए एक रिसर्च के अनुसार लंबे समय तक स्ट्रेस में रहने से शरीर एक तरह का केमिकल रिलीज़ करता है, जिससे कैंसर होने का ख़तरा बढ जाता है. इसलिए स्ट्रेस से बचें और ख़ुश रहने की कोशिश करें.

प्रदूषण से बचें: बढता प्रदूषण भी हमारे शरीर को बीमार बना रहा है, ख़ासकर हवा में तय मात्रा से ज़्यादा मौजूद कार्बन डाई ऑक्साइड, ओजोन, नाइट्रोजन ऑक्साइड, लेड, सिगरेट-बीड़ी का धुआं हमारे शरीर में कैंसर का रिस्क बढानेवाले केमिकल पैदा कर रहा है. बेहतर होगा कि प्रदूषण से बचें. घर से बाहर निकलते व़क्त मुंह पर मास्क लगा लें. सिगरेट-बीड़ी पीनेवाले के संपर्क में ज़्यादा न रहें, क्योंकि सेकंडहैंड स्मोक ज़्यादा ख़तरनाक होता है.

तंबाकू का सेवन न करें: कैंसर के 40 प्रतिशत मामले तंबाकू सेवन से ही होते हैं. गला, मुंह और फेफड़े तीनों कैंसर की सबसे बड़ी वजह तंबाकू, पानमसाला, गुटका का सेवन है. स्मोकिंग भी इसकी एक बड़ी वजह है. इसलिए कैंसर से बचना है तो सबसे पहले गुटका, तंबाकू और स्मोकिंग से तौबा करें.

प्लास्टिक के इस्तेमाल से बचें: अमेरिका में हुए एक रिसर्च से पता चला है कि सभी तरह के प्लास्टिक एक समय के बाद केमिकल रिलीज़ करने लगते हैं, ख़ासकर बार-बार गरम होने के कारण ये केमिकल्स टूटने शुरू हो जाते हैं और हमारे खाने में मिक्स हो जाते हैं, जो धीरे-धीरे हमें बीमार बनाने लगते हैं. लंबे समय तक इनका इस्तेमाल कैंसर की वजह भी बन सकता है.

वज़न को रखें कंट्रोलः मोटापा कैंसर के रिस्क को बढा देता है.  शरीर में फैट बढने से फैट में मौजूद एंजाइम्स फीमेल हार्मोन एस्ट्रोजेन के स्तर को बढ जाता है, जिससे ब्लड कैंसर, प्रोस्टेट, ब्रेस्ट और सर्विक्स कैंसर होने का ख़तरा बढ जाता है. जो लोग जंक फूड, नॉन वेज, डिब्बाबंद फूड ज़्यादा खाते हैं. उनको ये ख़तरा और भी बढ जाता है. इसलिए कैंसर से बचना चाहते हैं तो वज़न पर काबू रखें.


अल्कोहल से करें तौबाः ज़्यादा अल्कोहल पीने से मुंह, गले और लिवर का कैंसर होने का ख़तरा बढ जाता है. कैंसर से बचना चाहते हैं तो शराब से तौबा करें.

इंफेक्शन से बचें: हेपेटाइटिस बी, सी और एचपीवी जैसे इंफेक्शन भी कैंसर के रिस्क को बढाते हैं. हेपेटाइटिस सी से लिवर का कैंसर होने  का ख़तरा होता है, जबकि एचपीवी से महिलाओं को सर्वाइकल और पुरुषों को मुंह का कैंसर हो सकता है.

एक्सरे, स्कैन से बचें: एक्सरे, अल्ट्रा साउंट, सीटी स्कैन आदि से निकलनेवाली रेडियोएक्टिव किरणें हमारे शरीर में सेल्स की केमिकल गतिविधियां बढा देती हैं, जिससे स्किन कैंसर का रिस्क बढ जाता है. इसलिए बहुत ज़रूरी हो तभी ये टेस्ट्स कराएं. अगर आप बहुत बार  एक्सरे, अल्ट्रा साउंट, सीटी स्कैन करवा चुकी हों, तो डॉक्टर को इस बारे में ज़रूर बताएं, ताकि वो बहुत ज़रूरी होने पर ही ये टेस्ट्स कराएं.

फैमिली हिस्ट्री हो तो सतर्क रहें: अगर आपके परिवार यानी पैरेंट्स, ग्रैंड पैरेंट्स में से किसी को कैंसर है, तो आपको कैंसर होने का ख़तरा 10 प्रतिशत बढ जाता है. ब्रेस्ट, ओवेरियन, प्रोस्टेट जैसे कुछ कैंसर परिवार से अगली पीढी को आ सकते हैं, लेकिन सतर्क रहकर इस रिस्क को कम किया जा सकता है. बेहतर लाइफस्टाइल अपनाएं, हेल्दी डायट लें और अपने हेल्थ पर रेग्युलर नज़र रखकर आप कैंसर से बच सकते हैं.

 

कैंसर के लक्षणों को पहचानें


कैंसर के लक्षण या तो शुरुआत में नज़र नहीं आते या फिर ये लक्षण इतने आम से होते हैं कि इसे हम नॉर्मल मानकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं और जब तक हम इन लक्षणों को गंभीरता से लेते हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. इसलिए बेहतर होगा कि छोटी सी छोटी हेल्थ प्रॉब्लम और शरीर में आए बदलाव को अनदेखा न करें.

अचानक अकारण वज़न घटनाः अगर अचानक बिना किसी वजह के वज़न कम होने लगे, तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं. ये कैंसर का संकेत हो सकता है.

गांठ महसूस होनाः अगर शरीर में कहीं भी गांठ जैसा महसूस हो, तो उसे नज़रअंदाज़ न करें. हालांकि हर गांठ कैंसर का लक्षण नहीं होता, फिर भी डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं.

कफ के साथ खून आनाः वैसे ये ब्रोंकाइटिस या साइनस का लक्षण होते हैं, लेकिन यह फेफड़े, सर और गले के कैंसर का संकेत भी हो सकता है. अगर एक महीने से ज़्यादा आपको कफ की शिकायत हो और कफ के साथ ब्लड भी आता हो, तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं.

पेट की समस्याः पेट में किसी भी तरह की गड़बड़ी को आमतौर पर खानपान से संबंधित अनियमितता समझकर हम नज़रअंदाज़ कर देते हैें. लेकिन पेंसिल जितना पतला स्टूल कोलोन कैंसर का संकेत हो सकता है, बार-बार डायरिया भी कैंसर का लक्षण हो सकता है. इसी तरह अगर स्टूल पास करने के बाद भी हमेशा कब्ज़ जैसा महसूस हो, तो भी डॉक्टरी जांच की ज़रूरत है. इसके अलावा स्टूल से ब्लड आए तो भी फौरन जांच करवाएं.

एनीमियाः लगातार एनीमिया की शिकायत हो तो कैंसर का रिस्क हो सकता है. ऐसे में डॉक्टरी जांच ज़रूरी है.

ब्रेस्ट में गांठ या असामान्य डिस्चार्जः ज़रूरी नहीं कि ब्रेस्ट की हर गांठ कैंसर ही हो, कई बार सामान्य गांठ या फायब्रॉइड होती है. लेकिन फिर भी इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए. इसी तरह ब्रेस्ट से असामान्य डिस्चार्ज को भी अनदेखा नहीं करना चाहिए.

टेस्टिकल में गांठः कैंसर पीड़ित 90 % पुरुषों को टेस्टिकल में पेनलेस गांठ होती है या उनके टेस्टिकल्स बड़े हो जाते हैं या उन्हें वहां न्फेक्शन हो जाता है. इसलिए ज़रूरी है कि किसी तरह का रिस्क न लें और समय-समय पर पुरुष अपने टेस्टिकल का सेल्फ एक्ज़ामिनेशन करते रहें. इसी तरह बार-बार पेशाब आना या कम पेशाब होना- इन लक्षणों को भी अनदेखा नहीं करना चाहिए. ये प्रोस्टेट, ब्लैडर या पेल्विक ट्यूमर के लक्षण हो सकते हैं.

अन्य लक्षण


– इसी तरह यूरिन में ब्लड आए तो भी फौरन जांच करानी चाहिए.
– शरीर के किसी भी हिस्से में गांठ हो तो फौरन पूरी जांच कराएं.
– मल्टीकलर मोल, जिनसे ब्लीडिंग हो या जिनका आकार अनियमित हो, कैंसर का संकेत हो सकते हैं. इसी तरह बड़े मोल, जिनकी साइज़ बड़ी हो रही है, को भी गंभीरता से लें.
– असामान्य वेजाइनल ब्लीडिंग, लंबे समय तक बहुत ज़्यादा ब्लीडिंग या पोस्ट मेनोपॉज़ ब्लीडिंग भी कैंसर के रिस्क का संकेत हो सकते हैं.
– अचानक वज़न कम होना, रात में अक्सर पसीना आना या हमेशा बुखार-सा महसूस होना भी कैंसर का लक्षण हो सकता है.
– इसी तरह बैक पेन. पेल्विक पेन और डायजेशन की प्रॉब्लम्स हमेशा ही रहती हो, तो जांच अवश्य कराएं.

 

बीमारी का पता कैसे लगाएं

रेग्युलर टेस्ट कराएं: 20-30 की उम्र में महिलाएं ब्रेस्ट का सेल्फ एक्ज़ामिनेशन करें. 30-40 की उम्र की महिलाएं डॉक्टर से जांच कराएं. ब्रेस्ट कैंसर की फैमिली हिस्ट्री हो ज़्यादा सतर्क रहें और डॉक्टर से कंसल्ट करके मैमोग्राफी कराएं. अगर गुटखा-तंबाकू खाते हैं तो ईएनटी से रेग्युलर चेकअप कराते रहें.

जागरूक बनें, सतर्क रहें: किसी भी हेल्थ प्रॉब्लम को छोटा समझने की भूल न करें. अगर शरीर में कहीं कोई गांठ या फोड़ा है जो तीन हफ्ते से ठीक नहीं हो रहा, अचानक वेटलॉस हो, बार-बार बुखार आए, ब्लीडिंग हो, लगातार एनीमिया की शिकायत हो या शरीर में कोई और असामान्यता दिखाई दे, तो फौरन डॉक्टर से मिलकर जांच कराएं. ज़रूरी नहीं कि ये कैंसर के लक्षण हों, लेकिन जांच कराकर एक बार तसल्ली कर लें.

फेफड़े के कैंसर के लिए सीटी स्कैनः अगर आप कई सालों से स्मोकिंग कर रहे हैं, तो आप रिस्क ज़ोन में हैं और फेफड़ों का सीटी स्कैन करा लेना चाहिए. अगर आप रिस्क ज़ोन में नहीं हैं, तो भी 40 की उम्र के बाद एक बार सीटी स्कैन ज़रूर करवा लें.

ब्रेस्ट टेस्ट भी करें: वैसे तो सभी महिलाओं को ब्रेस्ट सेल्फ एक्ज़ामिनेशन करते रहना चाहिए. लेकिन अगर आपकी फैमिली में किसी को ब्रेस्ट कैंसर हो, तो आपको ज़्यादा सतर्क रहने की ज़रूरत है. आपको ब्रेस्ट कैंसर जीन टेस्ट ब्रेका करा लेना चाहिए. इस टेस्ट से ये पता लग जाता है कि आपको भविष्य में कैंसर होने का रिस्क कितना है. ये टेस्ट किसी भी उम्र में कराया जा सकता है और  ज़िंदगी में एक ही बार कराना होता है. अगर टेस्ट में गड़बड़ी आती भी है, तो लाइफस्टाइल में सुधार कर आप कैंसर से बच सकती हैं.

प्रोस्टेट की जांच भी है ज़रूरीः 50 की उम्र के पुरुषों को पीएसए टेस्ट करा लेना चाहिए. अगर परिवार में किसी को प्रोस्टेट कैंसर हुआ हो, तो ये टेस्ट 40 की उम्र में ही करा लेना बेहतर होता है, ताकि किसी तरह का रिस्क न हो और समय रहते इलाज किया जा सके. इसके अलावा प्रोस्टेट का सेल्फ एक्ज़ामिनेशन भी करते रहना चाहिए.

– इसके अलावा ब्लड कैंसर, मल्टीपल मायलोमा और अन्य कैंसर के लिए डॉक्टर्स ब्लड टेस्ट की भी सलाह देते हैं.

– बायोप्सी, एमआरआई, मैमोग्राफी, पैप स्मीयर टेस्ट जैसे कई टेस्ट हैं, जो कैंसर के लिए ज़रूरी हैं.

बेहतर यही होगा कि बीमारी होने के बाद नहीं, उसके होने से पहले ही सतर्क हो जाएं. डॉक्टर से मिलें, किसी भी तकलीफ को छोटा समझकर उसे नज़रअंदाज़ करने की गलती न करें. रेग्युलर टेस्ट्स कराएं, ताकि आप कैंसर जैसी बीमारी से दूर रहें.




Pratibha Tiwari

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