योग- आईवीएफ के दौरान तनाव से लड़ने का कारगर साधन… (Yoga To Reduce Stress And Enhance Fertility)

दुनियाभर के लाखों दम्पति अनेक कारणों से प्रजनन की बढ़ती समस्याओं से जूझ रहे हैं और उनमें से एक कारण है तनाव. वर्तमान परिदृश्य में तनाव बढ़ानेवाले विविध कारण हैं, जैसे- कार्य-जीवन संतुलन में गड़बड़ी, शिथिल जीवनशैली, खान-पान की ख़राब आदत और व्यायाम का अभाव. इसके अतिरिक्त बांझपन से जुड़ी निराशा भी चिंता के स्तर में वृद्धि कर सकती है और हताशा की भावनाओं के रूप में हो सकती है. आर्ट फर्टिलिटी क्लिनिक्स, इंडिया की क्लीनिकल डायरेक्टर, डॉ. पारुल कटियार का मानना है कि इन सबसे उबरने के लिए हमें योग को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाना चाहिए. इसी से जुड़ी तमाम बातों पर उन्होंने प्रकाश डाला.


शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज़ करना प्रभावशाली सिद्ध हुआ है और इन्ही में से एक है योग. जिसके बारे में सबसे अधिक कहा जाता है. योग व्यायाम और ध्यान का एक रूप है, जो ब्लड प्रेशर को कम करता है, जोड़ों के दर्द से राहत पहुंचाता है, शरीर के पाचन प्रणाली को ठीक करता है, तनाव को कम करता है और किसी ख़ास आयु वर्ग तक सीमित नहीं है.
बांझपन हमेशा मनोवैज्ञानिक संकट और निराशा से जुड़ा रहा है और योग को इन मामलों से मुक्ति पाने के लिए लाभकारी माना गया है. आईवीएफ के उपचार एवं गर्भावस्था के दौरान और उससे पहले भावी माता-पिता तनाव झेलते हैं. हमारे शरीर और मस्तिष्क को विश्राम और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में सुधार करके शांति की स्थिति प्राप्त करने में सहायता करना ही योग का उद्देश्य है. इसे एक प्रभावी जीवनशैली परिवर्तन माना जाता है, जिसका पुरुषों और महिलाओं, दोनों के प्रजनन स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.


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दैनिक जीवन में योग को शामिल करने से कॉर्टिसोल, तनाव प्रेरक हार्मोन के स्तर को कम करने और रोगप्रतिरोधक शक्ति में सुधार लाने में मदद मिल सकती है. कॉर्टिसोल का उच्च स्तर उन हार्मोन के बीच संतुलन को क्षति पहुंचाता है, जो मस्तिष्क, हृदय और प्रजनन प्रणाली को नियंत्रित करते हैं. पुरुषों में तनाव के कारण न केवल शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता प्रभावित होती है, बल्कि इसकी गतिशीलता भी कम हो जाती है. महिलाओं में अत्यधिक तनावपूर्ण स्थिति के दौरान, शरीर का वह तंत्र, जो जीवित रहने के लिए ज़रूरी नहीं है, प्रजनन तंत्र को नियंत्रिक करनेवाले हाइपोथैलमिक-पिट्यूटरी-गोनैडल अक्ष की गतिविधि को भी बंद कर देता है. यह आपके मस्तिष्क और अंडाशय (ओवरी) के बीच संपर्क बाधित कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप रजोस्राव में अनियमितता या चूक और ओव्यूलेशन अनुपस्थित या विलंबित हो हो सकता है.


योग के ऐसे कई आसन होते हैं, जिसमें तीव्रता के विभिन्न स्तरों के साथ अलग-अलग क्रम और गति से अभ्यास किए जाते हैं. योगासनों के साथ गहरी सांस का संयोजन सर्वाधिक लाभदायक होता हैं.
योग भावनात्मक चुनौतियों से निपटने और आपके शरीर एवं दिमाग़ के बीच संतुलन बनाने में मदद करता है. यह स्वयं से जुड़ने में मदद करता है. योग तनाव और चिंता को कम करने में सहायक होता है, जिसे फर्टिलिटी का दुश्मन माना जाता है. तनाव एवं चिंता दूर होने से आईवीएफ उपचार और गर्भधारण की सफलता की संभावना बढ़ जाती है. डॉक्टर द्वारा उचित डायग्नोसिस और एक स्वस्थ जीवनशैली को इसके साथ संयोजित किया जाना चाहिए. आप योग से जो सीख लेते हैं, वह आपके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में तंदुरुस्ती को प्रोत्साहित कर सकते हैं.


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Usha Gupta

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