“आज ज़िंदगी की इस लंबी यात्रा की यातनाओं को पोंछ देना चाहती थी. कोई ऐसा डिलीट बटन ढूंढ़ रही थी,…
विजय ने भरपूर आत्मीयता से मुझे कसकर अपने सीने से लगा लिया. सुधा के जाने के बाद ज़िंदगी में पहली…
"… मैं तुम्हें पतिव्रता नहीं मान सकता, कदापि नहीं, तुमने मुझसे धोखा किया है. सात फेरे लेते समय मेरे सुख-दुख…
किसी का दुख-आंसू वो देख नहीं सकती थी. जितना संभव हो उनका दुख दूर करने का प्रयास करती. इसी पढ़ने-पढ़ाने में हम अपने कॉलेज के अंतिम वर्ष में आ गए. इसी बीच मुझे ये पता चल चुका था कि उसके हृदय में मेरे प्रेम की कपोलें खिल रही हैं और उसका प्रेम एकतरफ़ा है. हाथों को पीछे बांध कर शैलेश आईसीयू के बाहर अत्यंत बेचैनी से चक्कर काट रहे थे. परेशानी उनके माथे पर बार-बार करवटें बदल रही थीं.कभी वे आईसीयू के भीतर झांकने का प्रयास करते, तो कभी निगाहें घड़ी की सुइयों पर टिक जाती.…
उसकी मित्रता मेरे लिए अनोखी थी, मेरी आवश्यकता बन गई थी. आज तीन वर्ष के क़रीब हो गए… आज भी…
स्मृति पट परआज भी चित्रित है वह दिनजब तुम किन्हीअनजाने, अनदेखे लोक से उतरमेरी गोद में आए थे.. और मुझे…
क्या विपिन अब उससे छिन जाएगा? अब इस मोड़ पर… जबकि वह बिना उसके जीने की कल्पना भी नहीं कर…
आज पहली बार उसने अपने बेटी होने पर गर्व महसूस किया. बेटी होना सार्थक लगा उसे. ज़िंदगी में पहली बार…
आंसुओं के तूफ़ान में जैसे ज्वालामुखी का मुंह खुल गया हो. जिनकी हर नब्ज़ को उंगली से थाम ब्लड प्रेशर…
हाथ में चौमुख दीप लेकर जैसे ही वह जलाने लगी कि उसे भगवती चरण वर्मा की कविता की वह पंक्ति…