“अरे, इसने मेरी सहेली प्रज्ञा को बड़ा परेशान किया था. उसके पापा ने पूरी छानबीन कर इसके बारे में…
“चंचल बालक, भविष्य में अधिक नहीं झांकना चाहिए. मनुष्य भाग्यवादी हो जाता है. स्वभाव में अकर्मण्यता आती है. अपने…
“उस जैसी महत्वाकांक्षी लड़कियां ऑफिस के बंद चैंबरों में तो अच्छी लगती हैं, पर घर के आंगन में नहीं. तुम…
मां! जीवन के कुछ अनुभव अकथनीय और अवर्णनीय होते हैं. बताते समय शब्द ढूंढ़ने पड़ते हैं. एक स्त्री ही स्त्री…
उषा वधवा “क्या-क्या दिखाई दे रहा है?” हर एक को आसपास बैठे-खड़े लोग,…
साधना राकेश “क्योंकि यह आज के बच्चे की मांग है. उसका एक दायरा है. एक…
नीलिमा टिक्कू “अम्मा, आपने ये कैसी बात कह दी? मुन्ना मुझे जान से प्यारा है. इस उम्र में तुम्हें…
“देखो विवेक, आज ज़माना बहुत बदल गया है. आज औरत के लिए आत्मनिर्भर होना बहुत ज़रूरी है. इतने सालों…
आराधना खरे “तुम जा रही हो प्रिया? मैं बहुत अकेला हो जाऊंगा.” “पर, मैं तो तुम्हारे साथ भी अकेली हूं.”…
सन्तोष झांझी Short Story “कभी झगड़ा नहीं होता तुम…