Top Stories

क्या आपकी जन्मकुंडली में प्रॉपर्टी के योग हैं? (Yog For Property In Janam Kundali)

मनुष्य जीवन की प्रमुख आवश्यकता में से एक अच्छा घर बनाने की इच्छा हर किसी की होती है. व्यक्ति किसी…

November 5, 2022

रंग-तरंग- क्रिकेट-क्रिकेट में तू-तू, मैं-मैं… (Satire Story- Cricket-Cricket mein tu-tu, main-main…)

‘‘दादाजी, आप गुज़रे ज़माने की चीज़ हैं. पहले घर में एक आदमी कमाता था और बाकी बैठकर खाते थे, लेकिन…

November 4, 2022

10 सवाल, जिनके जवाब शादी के बाद महिलाएं गूगल पर सबसे ज़्यादा सर्च करती हैं (These 10 Questions Married Women Search Most On Google)

हाल ही में हुए एक अध्ययन से यह बात सामने आई है कि गूगल पर सबसे ज़्यादा सर्च शादीशुदा महिलाएं…

October 31, 2022

सूर्य ग्रहण २०२२- जानें ग्रहण में क्या करें, क्या नहीं… (Surya Grahan 2022- Know Do’s And Don’ts During Solar Eclipse)

मंगलवार यानी आज २५ अक्टूबर को सूर्य ग्रहण है. इसके बारे में पंडित राजेंद्र जी विशेष जानकारी दे रहे हैं.…

October 25, 2022

लक्ष्मी पूजनः तैयारी, ख़रीदारी और पूजन विधि, जानें सब कुछ (Laxmi Pooja: From Preparation, Shopping to Pooja Vidhi, Know Everything Here)

सौभाग्य और शुभ फल प्राप्ति के लिए दीपावली के पावन अवसर पर क्या-क्या ख़रीदें, आइए जानते हैं. लक्ष्मी पूजन के…

October 24, 2022

Diwali 2022: ऑफिस में कैसे करें लक्ष्मी पूजन? जानें पूजा की पूरी विधि (Diwali 2022: How to perform Laxmi Puja at office to welcome abundance and prosperity, Know complete Pooja vidhi)

यदि आपका अपना बिज़नेस है, तो लक्ष्मी पूजन के दिन घर के साथ ही ऑफिस में भी लक्ष्मी जी की…

October 23, 2022

बच्चों को बताएं त्योहारों का असली महत्व, मतलब व सही मायने… (Importance Of Celebration: Teach Your Children True Meaning Of Festivals)

कहा जाता है बच्चे गीली मिट्टी की तरह होते हैं, उनको जिस सांचे में ढालोगे वो ढल जाएंगे. वैसे भी आजकल हम ये महसूस कर रहे हैंकि बच्चों में काफ़ी बदलाव आ गया है, उनकी मासूमियत कम हो रही है और वो परिवार व अपनेपन की भावना से दूर हो रहे हैं.ऐसे मेंउन्हें अपने परिवार, अपनी संस्कृति से रूबरू कराना बेहद ज़रूरी है और इसमें सबसे अहम भूमिका निभा सकते हैं हमारे त्योहार.  ऐसा भी देखा गया है कि बच्चों के लिए त्योहारों का भी अर्थ बदल सा गया है, वो त्योहारों के पीछे छिपे असली अर्थ को न समझते हुएबस इतना ही जान पाते हैं कि होली में हड़दंग मचाना है और दिवाली में पटाखे फोड़ना व खाना-पीना. इसीलिए ये और भी ज़रूरी होजाता है कि हम उनको अपने त्योहारों का असली मतलब बताएं और उनको बेहतर इंसान बनाएं.  क्या है त्योहारों के असली मायने? अपने बच्चों को हर त्योहार के पीछे छिपे धार्मिक, सामाजिक, पारिवारिक व वैज्ञानिक महत्व और मायने बताएं. हर त्योहार को मनाने कीख़ास वजह होती है, चाहे वो ऋतु परिर्वतन हो या फिर कोई सामाजिक सीख व शिक्षा- इससे अपने बच्चों को वाक़िफ़ करवाएं. सिर्फ़कर्म-कांड ही नहीं उनके पीछे के वैज्ञानिक पहलुओं के बारे में समझाएं. उनसे जुड़ी कहानियां व कहानियों की सीख के बारे में बताएं. स्वास्थ्य से इनका क्या कनेक्शन है ये भी बताएं, ताकि बच्चे भी उत्सुक होकर त्योहारों को उत्साह के साथ मनाएं.  अपनेपन का सबब होते हैं त्योहार… आजकल माइक्रो फ़ैमिली हो गई है. सिंगल फ़ैमिली कल्चर बहुत बढ़ चुका है जिससे बच्चे अपने सभी परिवार के सदस्यों को न तोपहचानते हैं और न ही उनसे जुड़ाव महसूस करते हैं. यहां तक कि कोई नाते-रिश्तेदार आ भी जाएं तो बच्चों को बहुत अखरता है. वो न तोउनके साथ घुलना-मिलना चाहते हैं और न ही अपना कमरा व अपनी चीजें शेयर करना चाहते हैं, ऐसे में बच्चों को फ़ेस्टिवल के दौरानअपनों के साथ मेल-मिलाप बढ़ाने का मौक़ा मिलता है. आप बच्चों को रिश्तेदारों के यहां लेकर जाएं या उनको अपने यहां बुलाएं. इससेबच्चों का अकेलापन दूर होगा और उनको फ़ैमिली कल्चर का पता चलेगा. ऐसा भी किया जा सकता है कि आप बच्चों से कहें कि इसबार होली या दिवाली या फिर जन्माष्टमी गांवकी मनाएंगे और आप कहीं और हॉलिडे प्लान करने की बजाए गांव जाकर सभी के साथत्योहार का आनंद उठाएं. बच्चे भी जब अपने बड़ों और अपने कज़िन्स से मिलेंगे तो उनको ख़ुशी होगी और अपनेपन की भावना बढ़ेगी. मिल-जुलकर काम करने की भावना बढ़ाते हैं त्योहार…  फ़ेस्टिवल टाइम में सारा परिवार मिल-जुलकर घर की साफ़-सफ़ाई, कुकिंग, शॉपिंग और अन्य प्लानिंग करते हैं. इसमें बच्चों को भीशामिल करें और कुछ कामों की ज़िम्मेदारी उनको भी सौंपें. इससे वो काम-काज में हाथ बंटाना सीखेंगे. वैसे भी रीसर्च कहता है कि घरका काम करने से बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है. बच्चों को भी ये एहसास होगा कि उनको भी घर की ज़िम्मेदारियों में हिस्सेदार बनायाजाता है तो उनमें ज़िम्मेदारी की भावना पनपेगी और त्योहारों के प्रति उनका उत्साह भी बढ़ेगा. आजकल फ़ेस्टिवल को लेकर को ठंडापनऔर दिखावे का कल्चर बढ़ रहा है इससे उनको बचाया जा सकता है.  सिर्फ़ अपने ही नहीं, अन्य धर्मों के त्योहारों की भी जानकारी व महत्व समझाएं…  बच्चों को हर धर्म का सम्मान करना सिखाएं. आजकल बच्चे दूसरे तो दूर की बात है अपने धर्म का भी सम्मान नहीं करते. उनको सब कुछढकोसला लगता है, लेकिन आप इंटरनेट और सोशल मीडिया की मदद से अपना भी ज्ञान बढ़ाएं और अपने बच्चों को भी अपने व अन्यधर्मों के त्योहारों का असली अर्थ समझाएं.  त्योहारों से जागती है सुरक्षा, प्यार और माफ़ करने की भावना…  फ़ेस्टिवल हमको क़रीब लाते हैं. अगर कोई दोस्त या रिश्तेदार लम्बे समय से नाराज़ है तो त्योहार इस नाराज़गी को दूर करने काबेहतरीन अवसर हमें देते हैं. ये बाद बच्चों को भी सिखाएं कि अगर कोई नाराज़ है तो उससे माफ़ी मांग लें और अगर कोई और माफ़ीमांगे तो उसको माफ़ कर दें. त्योहार हमें अपने बैर दूर करने का मौक़ा देते हैं.  इसके अलावा वो अपनी भावनाएं व प्यार दर्शाने का भी अवसर देते हैं, हम इसी वजह से गिफ़्ट या मिठाई देते हैं. बच्चों को फ़ेस्टिवल केलिए अपने फ़ेवरेट रिश्तेदार या दोस्त के लिए हाथों से ग्रीटिंग कार्ड बनाने या पेंटिंग करने को कहें. क्वालिटी टाइम बिताने और ख़ुश रहने का बेहतरीन अवसर देते हैं त्योहार…  भागदौड़ भरी जीवनशैली में त्योहार ही हैं जो हमको अपनों के साथ वक्त बिताने और वो भी क्वालिटी टाइम सपेंड करने का मौक़ा देते हैं. ये बात बच्चों को ज़रूर समझाएं कि किस तरह इन दिनों सभी लोग ख़ुश रहते हैं, उत्साह के साथ काम करते हैं, हंसी-मज़ाक़ करते हैं, अंताक्षरी खेलते हैं, एक साथ खाना खाते हैं… जिससे सारा स्ट्रेस दूर हो जाता है और हम रिफ़्रेश हो जाते हैं. आप कैसे अपने बचपन में उत्साह से त्योहार मनाया करते थे इस बारे में बताएं…  अपने बचपन के अनुभव बच्चों को बताएं. आपके दिनों में कैसे ये त्योहार मनाए जाते थे इस बारे में बताएं. उस वक्त इंटरनेट और फ़ोननहीं हुआ करते थे लेकिन फिर भी लोगों के दिलों के तार ज़्यादा व बेहतर ढंग से कनेक्टेड थे इसके महत्व को बताएं. आज सब सुविधाएंहैं लेकिन समय नहीं और अपनापन भी कम है तो किस तरह त्योहार ही हमको क़रीब ला सकते हैं ये बताएं…  संस्कृति-संस्कारों से जोड़ते हैं त्योहार और सभ्यता, इंसानियत का पाठ भी पढ़ाते हैं और शेयरिंग-केयरिंग की भावना भी बढ़ाते हैं…  त्योहार हमें हमारी संस्कृति से जोड़ते भी हैं और उसके बारे में बताते भी हैं. बच्चों को बताएं कि यही वजह है हमको ये सिखाया जाता हैकि त्योहार के दिन न किसी के बारे में बुरा बोलना चाहिए, न बुरा सोचना और न बुरा करना चाहिए. ख़ुश व सकारात्मक रहना सिखाते हैंत्योहार. इंसानियत की सीख देते हैं. हम इस दिन अपनों के साथ तो क्या अंजनों के साथ भी मिल-जुलकर ख़ुशियां बांटते हैं. अपने हाथोंसे बना खाना-मिठाई व पकवान आस-पड़ोस में सभी के साथ शेयर करते हैं. यही शेयरिंग व केयरिंग की भावना का विस्तार करते हैंत्योहार और यही हैं हमारे सच्चे व असली संस्कार…  गीता शर्मा 

October 23, 2022

Dhanteras 2022: किस राशि वाले धनतेरस के दिन क्या ख़रीदें (Dhanteras 2022: Things to buy as per your Zodiac signs)

कल से दीपोत्सव के पर्व दिवाली की शुरुआत हो रही है. कल धनतेरस है. धनतेरस के दिन कुबेर देव और…

October 21, 2022
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