रंग-तरंग- क्रिकेट-क्रिकेट में तू-तू, मैं-मैं… (Satire Story- Cricket-Cricket mein tu-tu, main-main…)

‘‘दादाजी, आप गुज़रे ज़माने की चीज़ हैं. पहले घर में एक आदमी कमाता था और बाकी बैठकर खाते थे, लेकिन आज का हर इंसान कामकाजी है. किसी के पास इतनी फ़ुर्सत नहीं है कि निठल्लों की तरह बैठकर पांच दिन का मैच देखे.’’
‘‘दादाजी… बिल्कुल सही नामकरण किया है तुमने इनका.’’ वन-डे इंटरनेशनल ने ठहाका लगाते हुए मिस्टर ट्वेन्टी-ट्वेन्टी की पीठ थपथपायी.

वर्ल्ड कप शुरू होनेवाला था. मिस्टर ट्वेन्टी-ट्वेन्टी की शान देखते बनती थी. हर शहर में उनके बड़े-बड़े पोस्टर लगे हुए थे. टीवी चैनलों, व्हाट्स-अप, ट्वीटर और फेसबुक पर उन्हीं के चर्चे थे. बड़े-बड़े सितारों से सजी दुनियाभर की टीमें जमा होनेवाली थीं. मिस्टर ट्वेन्टी-ट्वेन्टी इस बार अपना कप किसे देगें इस पर अख़बारों में रोज़ाना कॉलम लिखे जा रहे थे.
यह सब देख मिस्टर ट्वेन्टी-ट्वेन्टी फूले नहीं समाते थे. एक दिन उन्होंने अपनी मूंछों पर हाथ फेरते हुए श्री वन-डे इंटरनेशनल से कहा, ‘‘देखा, पूरी दुनिया मेरे रंग में रंगी हुई है. मेरे अलावा अब और किसी को कोई पूछता ही नहीं है.”
यह सुन वन-डे इंटरनेशनल के घाव हरे हो गए. मिस्टर ट्वेन्टी-ट्वेन्टी के जन्म से पहले पूरी दुनिया उनकी दीवानी थी, लेकिन अब दिन-प्रतिदिन उनका महत्व कम होता जा रहा था. इससे वे काफ़ी नाराज़ चल रहे थे. अतः अपनी भड़ास निकालते हुए बोले, ‘‘तुमने क्रिकेट को बर्बाद करके रख दिया है. अगर यही हाल रहा तो कुछ दिनों बाद कोई हम लोगों की तरफ़ देखेगा भी नहीं.’’
‘‘मैंने तो क्रिकेट को लोकप्रियता के शिखर पहुंचाया है और आप कह रहे हैं कि मैंने उसे बर्बाद कर दिया है?’’ मिस्टर ट्वेन्टी-ट्वेन्टी आश्चर्य से भर उठे.
‘‘तुम्हारा क्रिकेट भी कोई क्रिकेट है.’’ वन-डे इंटरनेशनल ने मुंह बनाया फिर बोले, ‘‘ऐसा लगता है जैसे दो पहलवान धोबी की थपिया लेकर खड़े हो गए और पीट-पीटकर बॉल की धुलाई कर रहे हैं. क्रिकेट की लय, उसकी कलात्मकता उसकी रचनात्मकता को तबाह करके रख दिया है तुमने.’’


‘‘ओय, ‘डे एण्ड नाइट’, कलात्मकता और रचनात्मकता की बात तुम तो मत ही करो.’’ अब तक शांत बैठे टेस्ट क्रिकेट ने नाक सिकोड़ी. फिर वन-डे इंटरनेशनल को डपटते हुए बोले, ‘‘क्रिकेट तो मेरे ज़माने में होता था. इत्मिनान से, सलीके से, करीने से लोग खाते-पीते, उत्सव मनाते हुए खेल खेलते थे. लेकिन उसकी सारी कलात्मकता ख़त्म करके ठोंका-पीटी का खेल तुमने ही शुरू किया था.’’
मिस्टर ट्वेन्टी-ट्वेन्टी समझ गए कि वन-डे के बहाने तीर उन पर भी बरसाये जा रहे हैं. अतः ताव खाते हुये बोले, ‘‘आपका क्रिकेट भी कोई क्रिकेट है. पांच दिनों तक दौड़-धूप मचायी उसके बाद भी मैच ड्रा हो गया और सारे किये धरे पर पानी फिर गया. हम लोगों को देखो, आर-पार का फ़ैसला ज़रूर कराते हैं.’’
‘‘आर और पार का फ़ैसला?’’ टेस्ट-क्रिकेट ने ठहाका लगाया, फिर बोले, ‘‘जितने रन तुम्हारी पूरी टीम बनाती है उससे ज़्यादा तो मेरा एक-एक खिलाड़ी बना देता था. डबल-सेंचुरी, ट्रिपल-सेंचुरी का नाम तो तुमने सुना होगा, लेकिन क्या ज़िंदगी में कभी देखा है उनको बनते हुये? स्पिन का जादू, कलाइयों की कला और मेडन ओवरों का आनंद लिया है कभी तुमने ? तुम दोनों खाली पहलवानी और ठोंका-पीटी करते हो और नाम क्रिकेट का बदनाम करते हो.’’
मिस्टर ट्वेन्टी-ट्वेन्टी का नौजवान खून था. उनसे रहा नहीं गया, अतः भड़कते हुये बोले, ‘‘दादाजी, आप गुज़रे ज़माने की चीज़ हैं. पहले घर में एक आदमी कमाता था और बाकी बैठ कर खाते थे, लेकिन आज का हर इंसान कामकाजी है. किसी के पास इतनी फ़ुर्सत नहीं है कि निठल्लों की तरह बैठकर पांच दिन का मैच देखे.’’
‘‘दादाजी’’ बिल्कुल सही नामकरण किया है तुमने इनका.’’ वन-डे इंटरनेशनल ने ठहाका लगाते हुए मिस्टर ट्वेन्टी-ट्वेन्टी की पीठ थपथपायी.

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फिर बोला, ‘‘इनके ज़माने में तो लोग साल-साल भर तक एक ही सिनेमा को देख-देख कर सिल्वर-जुुबली, गोल्डन जुबली मनाया करते थे, मगर अब पिक्चरों के भी हिट या फ्लाप होने का फ़ैसला एक ही हफ़्तें में हो जाता है. आज स्मार्ट और फास्ट लोगों का ज़माना है, इसलिए जो ज़माने की रफ़्तार के साथ कदम से कदम मिला कर नहीं चलेगा, वो इन्हीं के तरह आउटडेटेड हो जाएगा.’’
‘दादाजी’ कहे जाने से टेस्ट-क्रिकेट बुरी तरह चिढ़ गया था. अतः चीखते हुए बोला, ‘‘ज़्यादा रफ़्तार की बात मत करो. ट्वेन्टी-ट्वेन्टी आया, तो लोग फिफ्टी-फिफ्टी को भूल गये. कल टेन-टेन आयेगा, तो लोग ट्वेन्टी-ट्वेन्टी को भूल जायेगें. फिर ओवर-ओवर आयेगा, लोग टेन-टेन को भी भूल जायेगें. तुम लोगों के सिकुड़ने की कोई सीमा नहीं है, जबकि मैं सदाबहार हूं. सैकड़ो साल से बिल्कुल एक जैसा.’’
‘‘आपने सैकड़ो साल में जितनी कमाई की होगी उससे ज़्यादा की कमाई मेरे एक-एक टूर्नामेंट में हो जाती है, इसलिये आप से श्रेष्ठ मैं हुआ.’’ वन-डे इंटरनेशनल ने हुंकार भरी.
‘‘आपके पूरे टूर्नामेंट से ज्यादा कमाई मैं अपने खिलाड़ियों को एक ही मैच में करवा देता हूं. मेरे बल पर सारे खिलाड़ी आज करोड़पति-अरबपति हो गये हैं, इसलिये सर्वश्रेष्ठ मैं हुआ.’’ मिस्टर ट्वेन्टी-ट्वेन्टी ने भी ताल ठोंकी.
‘‘मैं क्रिकेट का जन्मदाता हूं, इसलिये सर्वश्रेष्ठ मैं हुआ.’’ टेस्ट-क्रिकेट भी अपनी दावेदारी से पीछे हटने को तैयार न था.
धीरे-धीरे उन तीनों की बहस तू-तू, मैं-मैं में बदल गयी. खाली बैठा स्टेडियम काफ़ी देर से उन तीनों की बातें सुन रहा था. उसने समझाया, ‘‘आप लोग आपस में लड़ने की बजाय किसी विशेषज्ञ से फ़ैसला क्यूं नहीं करवा लेते?’’
‘‘किससे फ़ैसला करवायें?’’ तीनों ने एक साथ पूछा.
‘‘गावस्कर सर से. वे प्रतिष्ठित भी हैं और वरिष्ठ भी. वे बिल्कुल सही फ़ैसला करेगे.’’ स्टेडियम ने राय दी.
‘‘हां, यह ठीक रहेगा. गावस्कर सर की मैं बहुत इज्ज़त करता हूं. उनके ही पास चलो.’’ टेस्ट क्रिकेट फौरन राजी हो गया.
‘‘गावस्कर सर की मैं भी बहुत इज्ज़त करता हूं, लेकिन उन्होंने कभी ट्वेन्टी-ट्वेन्टी खेला ही नहीं है. मेरे विचार से तेंदुलकर सर के पास चला जाये. उन्होनें तीनों तरह की क्रिकेट खेली है, इसलिये वे ज्यादा बेहतर बता पायेगें.’’ मिस्टर ट्वेन्टी-ट्वेन्टी ने राय दी.


तीनों लोग फौरन सचिन तेंदुलकर के पास पहुंचे. उनकी बात सुन वह सोच में पड़ गये. उन्होनें क्रिकेट के इन तीनों रूपों का आनंद लिया था. कभी किसी एक को दूसरे से कम या ज्यादा नहीं समझा था. वे तीनों में से किसी को नाराज़ नहीं करना चाहते थे. अतः कुछ सोच कर बोले, ‘‘भई, मैं तो रिटायरमेन्ट ले चुका हूं. आप लोग किसी ऐसे आदमी के पास जाइये, जो आज भी खेल रहा हो. वह ज्यादा सही फ़ैसला कर पायेगा.’’
आपस में सलाह करके तीनों धोनी सर के पास पहुंचे. उनकी बात सुन कैप्टन कूल भी धर्म-संकट में पड़ गये. उन्होंने भी तीनों खेलों का भरपूर आनंद उठाया था और कभी किसी को कम या ज्यादा नहीं समझा था.
कुछ सोचकर उन्होंने कहा, ‘‘भई, मैं भी धीरे-धीरे रिटायरमेंन्ट की ओर बढ़ रहा हूं, इसलिये मेरा कुछ कहना ठीक नहीं होगा. बेकार में बात का बतंगड़ बन जायेगा. आप लोग किसी नये खिलाड़ी के पास जाइये. उनके पास तुरन्त फ़ैसला करने की क्षमता ज्यादा अच्छी होती है, इसलिये वे ही सही राय दे सकेगें.’’
वे तीनों एक-एक करके विराट कोहली, शिखर धवन, रोहित शर्मा, सुरेश रैना, ईशांत शर्मा, रवीन्द्र जड़ेजा, आर.अश्विन और राहणे जैसे युवा खिलाड़ियों के पास गये. किन्तु अपनी बात का उत्तर उन्हें किसी के पास नहीं मिल पाया, क्योंकि जो खिलाड़ी वन-डे या ट्वेन्टी-ट्वेन्टी में हिट था, वह टेस्ट क्रिकेट में भी अपना स्थान बनाना चाहता था. जो टेस्ट-क्रिकेट में हिट था, उसका सपना वन-डे और ट्वेन्टी-ट्वेन्टी में भी स्थान बनाना था, इसलिये वह किसी एक को अच्छा बता कर दूसरों को नाराज़ नहीं करना चाहता था.
थक हार कर तीनों वापस स्टेडियम के पास लौट आये. उन्हें लग रहा था कि आज के ज़माने में किसी में सही बात कहने की हिम्मत नहीं है, इसलिये सभी टाल-मटोल कर रहे हैं.
उनकी बड़बड़ाहट सुन स्टेडियम ने कहा,‘‘फ़ैसला करने का एक तरीक़ा है मेरे पास.’’
‘‘तो आपने पहले क्यूं नहीं बताया?’’ वन-डे इंटरनेशनल झुंझला उठा.
‘‘मुझे लगा कि शायद आप लोग मेरी बात मानेगें नहीं, इसीलिये पहले संकोच कर रहा था.’’ स्टेडियम ने बताया.
‘‘हम आपकी बात ज़रूर मानेंगे. जल्दी बताइये क्या करना है.’’ मिस्टर ट्वेन्टी-ट्वेन्टी उतावले हो उठे.
‘‘मैं आप तीनों की एक-एक टीम बनवाये दे रहा हूं. तीनों लोग आपस में मैच खेल लीजिये. जो जीतेगा वही सर्वश्रेष्ठ होगा.’’ स्टेडियम ने उपाय बताया.
‘‘हमे मंजूर है.’’ तीनों एक साथ बोल पड़े. सभी को अपनी-अपनी काबलियत पर पूरा भरोसा था.
‘‘मिस्टर टेस्ट-क्रिकेट आप सबसे बड़े हैं, इसलिये पहला मौक़ा आपको दे रहा हूं.’’ स्टेडियम ने टेस्ट क्रिकेट की ओर देखा. फिर मुस्कुराते हुये बोला, ‘‘आप देश के सबसे अच्छे 11 तेज गेंदबाज छांट लीजिये. उसके बाद मिस्टर वन-डे इंटरनेशनल 11 सर्वश्रेष्ठ स्पिन बॉलर छांट लें, फिर मिस्टर ट्वेन्टी-ट्वेन्टी 11 बेहतरीन बल्लेबाज छांट लें. कल तीनों टीमों का मैच हो जाये, तब पता लग जायेगा किसमें कितना दम है.’’
‘‘क्या फालतू बात करते हैं. खाली 11 गेंदबाजों से कहीं टीम बनती है?’’ टेस्ट क्रिकेट ने मुंह बनाया.
‘‘मैं खाली 11 स्पिनर ले लूंगा, तो मेरी टीम से रन कौन बनायेगा?’’ वन-डे इंटरनेशनल ने भी आंखे तरेरीं.
‘‘और अगर मैने खाली 11 बल्लेबाज ले लिये, तो हमारी तरफ़ से बॉलिंग कौन करेगा?’’ मिस्टर ट्वेन्टी-ट्वेन्टी भी झल्ला उठे.
स्टेडियम ने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया. वह बस मुस्कुराता रहा. यह देख टेस्ट क्रिकेट का पारा चढ़ गया. वह तेज स्वर में बोला, ‘‘आप सैकड़ों मैच देख चुके होगें, मगर आपको यह भी नहीं पता कि खाली तेज गेंदबाज, स्पिनर या बल्लेबाजों से टीम नहीं बनती. इन तीनों का अपना-अपना महत्व है. टीम की मज़बूती के लिए ये तीनों ज़रूरी है.’’

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‘‘मेरे भाई, जिस तरह टीम की मज़बूती के लिए ये तीनों ज़रूरी हैं, उसी तरह क्रिकेट की मज़बूती के लिए तुम तीनों भी ज़रूरी हो. क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ाने में तुम तीनों का योगदान महत्वपूर्ण है. इसलिये तुममें कोई छोटा या बड़ा नहीं है. तुम तीनों ही सर्वश्रेष्ठ हो.’’ स्टेडियम ने एक-एक करके तीनों के कंधे थपथपाते हुये कहा.
स्टेडियम की बात तीनों की समझ में आ गयी. उनके चेहरे पर पश्चाताप के चिह्न उभर आये. टेस्ट-क्रिकेट सबसे बड़ा था. अतः उसने बड़प्पन दिखाते हुये मिस्टर ट्वेंटी-ट्वेंटी और वन-डे इंटरनेशनल को गले लगाते हुये कहा, ‘‘भाईयों, मुझे माफ़ कर दो. मैं बड़ा होकर भी छोटी बातें कर रहा था.’’
‘‘दादा, हमें भी माफ़ कर दीजिये. हमने छोटा होकर भी आपसे बहस की.” वन-डे इंटरनेशनल ने कहा.
‘‘दादा, मेरा वर्ल्ड कप शुरू होनेवाला है. चलिये, उसका आनंद लीजिए और देखिए जो खिलाड़ी वन-डे और टेस्ट-क्रिकेट खेल सकते हैं, उनकी अच्छी द्रैनिंग का इंतजाम किया जाए.’’ मिस्टर ट्वेंटी-ट्वेंटी ने कहा.
‘‘चलो.’’ टेस्ट-क्रिकेट ने दोनों की पीठ थपथपायी.
“अरे मुझे भूल कर तुम तीनों कहां जा रहे हों?’’ स्टेडियम ने आवाज़ लगायी.
‘‘अरे सर, हम लोग आपको भला कैसे भूल सकते हैं? हम चाहे कोई भी रूप बदल लें, हमें खेलने तो आपके पास ही आना पड़ेगा.’’ टेस्ट-क्रिकेट ने हंसते हुए कहा.
‘‘ठीक है. जाओ लेकिन जल्दी ही आना और अच्छी-अच्छी टीमें लेकर आना. मज़ेदार मैच देखे बहुत दिन हो गए हैं.’’ स्टेडियम भी हंस पड़ा.
तीनों भाई एक-दूसरे का हाथ थाम चल पड़े. उनमें अब कोई गिला-शिकवा न था.

– संजीव जायसवाल ‘संजय’


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Photo Courtesy: Freepik

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