Relationship & Romance

कैसे करें मैरिड लाइफ को रिचार्ज़? (How To Recharge Married Life?)

कभी ऑफिस का वर्कलोड, तो कभी घर की टेंशन और समय की कमी के चलते कपल्स की सेक्स लाइफ बोरिंग…

April 20, 2023

रिलेशनशिप को हैप्पी-स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए अपनाएं ये 11 हेल्दी हैबिट्स (11 Healthy Habits To Keep Your Relationships Strong And Happy)

रिश्तों की मिठास एक तरफ जहां पति-पत्नी के व्यकितत्व को संवारती है, वहीं दूसरी तरफ जब रिश्तों में तनाव बढता…

April 4, 2023

लाइफ़स्टाइल नई, पर सोच वही… रिश्तों में आज भी लड़कियों को नहीं मिलता बराबरी का दर्जा… (Equality In Relationships: Women Still Far From Being Equal With Men)

ये माना समय बदल रहा है और लोगों की सोच भी. समाज कहने को तो पहले से कहीं ज़्यादा मॉडर्न ही गया है. लाइफ़स्टाइल बदल गई, सुविधाएं बढ़ गईं, लग्ज़री चीजों की आदतें हो गई… कुल मिलाकर काफ़ी कुछ बदल गया है, लेकिन ये बदलाव महज़ बाहरी है, दिखावाहै, छलावा है… दिखाने के लिए तो हम ज़रूर बदले हैं लेकिन भीतर से हमारी जड़ों में क़ैद कुछ रूढ़ियां आज भी सीना ताने वहीं कि वहींऔर वैसी कि वैसी खड़ी हैं… थमी हैं… पसरी हुई हैं. जी हां, यहां हम बात वही बरसों पुरानी ही कर रहे हैं, बेटियों की कर रहे हैं, बहनों की कर रहे हैं और माओं की कर रहे हैं… नानी-दादी, पड़ोसन और भाभियों की कर रहे हैं, जो आज की नई लाइफ़स्टाइल में भी उसी पुरानी सोच के दायरों में क़ैद है और उन्हें बंदी बना रखा हैखुद हमने और कहीं न कहीं स्वयं उन्होंने भी.  भले ही जीने के तौर तरीक़ों में बदलाव आया है लेकिन रिश्तों में आज भी वही परंपरा चली आ रही है जिसमें लड़कियों को बराबरी कादर्जा और सम्मान नहीं दिया जाता. क्या हैं इसकी वजहें और कैसे आएगा ये बदलाव, आइए जानें.  सबसे बड़ी वजह है हमारी परवरिश जहां आज भी घरों में खुद लड़के व लड़कियों के मन में शुरू से ये बात डाली जाती है कि वोदोनों बराबर नहीं हैं. लड़कों का और पुरुषों का दर्जा महिलाओं से ऊंचा ही होता है. उनको घर का मुखिया माना जाता है. सारे महत्वपूर्ण निर्णय वो ही लेते हैं और यहां तक कि वो घर की महिलाओं से सलाह तक लेना ज़रूरी नहीं समझते. घरेलू कामों में लड़कियों को ही निपुण बनाने पर ज़ोर रहता है, क्योंकि उनको पराए घर जाना है और वहां भी रसोई में खाना हीपकाना है, बच्चे ही पालने है तो थोड़ी पढ़ाई कम करेगी तो चलेगा, लेकिन दाल-चावल व रोटियां कच्ची नहीं होनी चाहिए.ऐसा नहीं है कि लड़कियों की एजुकेशन पर अब परिवार ध्यान नहीं देता, लेकिन साइड बाय साइड उनको एक गृहिणी बनने कीट्रेनिंग भी दी जाती है. स्कूल के बाद भाई जहां गलियों में दोस्तों संग बैट से छक्के मारकर पड़ोसियों के कांच तोड़ रहा होता है तो वहीं उसकी बहन मां केसाथ रसोई में हाथ बंटा रही होती है.ऐसा नहीं है कि घर के कामों में हाथ बंटाना ग़लत है. ये तो अच्छी बात और आदत है लेकिन ये ज़िम्मेदारी दोनों में बराबर बांटीजाए तो क्या हर्ज है? घर पर मेहमान आ जाएं तो बेटियों को उन्हें वेल्कम करने को कहा जाता है. अगर लड़के घर के काम करते हैं तो आस-पड़ोस वाले व खुद उनके दोस्त तक ताने देते हैं कि ये तो लड़कियों वाले काम करता है.मुद्दा यहां काम का नहीं, सोच का है- ‘लड़कियोंवाले काम’ ये सोच ग़लत है. लड़कियों को शुरू से ही लाज-शर्म और घर की इज़्ज़त का वास्ता देकर बहुत कुछ सिखाया जाता है पर संस्कारी बनाने के इसक्रम में लड़के हमसे छूट जाते हैं.अपने घर से शुरू हुए इसी असमानता के बोझ को बेटियां ससुराल में भी ताउम्र ढोती हैं. अगर वर्किंग है तो भी घरेलू काम, बच्चों व सास-ससुर की सेवा का ज़िम्मा अकेले उसी पर होता है. ‘अरे अब तक तुम्हारा बुख़ार नहीं उतरा, आज भी राजा बिना टिफ़िन लिए ऑफ़िस चला गया होगा. जल्दी से ठीक हो जाओ बच्चेभी कब तक कैंटीन का खाना खाएंगे… अगर बहू बीमार पड़ जाए तो सास या खुद लड़की की मां भी ऐसी ही हिदायतें देती है औरइतना ही नहीं, उस लड़की को भी अपराधबोध महसूस होता है कि वो बिस्तर पर पड़ी है और बेचारे पति और बच्चे ठीक से खानानहीं खा पा रहे. ये चिंता जायज़ है और इसमें कोई हर्ज भी नहीं, लेकिन ठीक इतनी ही फ़िक्र खुद लड़की को और बाकी रिश्तेदारों को भी उसकीसेहत को लेकर भी होनी चाहिए. घर के काम रुक रहे हैं इसलिए उसका जल्दी ठीक होना ज़रूरी है या कि स्वयं उनकी हेल्थ केलिए उसका जल्दी स्वस्थ होना अनिवार्य है? पति अगर देर से घर आता है तो उसके इंतज़ार में खुद देर तक भूखा रहना सही नहीं, ये बात बताने की बजाय लड़कियों को उल्टेये सीख दी जाती है कि सबको खिलाने के बाद ही खुद खाना पत्नी व बहू का धर्म है. व्रत-उपवास रखने से किसी की आयु नहीं घटती और बढ़ती, व्रत का संबंध महज़ शारीरिक शुद्धि व स्वास्थ्य से होता है, लेकिनहमारे यहां तो टीवी शोज़ व फ़िल्मों में इन्हीं को इतना ग्लोरीफाई करके दिखाया जाता है कि प्रिया ने पति के लिए फ़ास्ट रखा तोवो प्लेन क्रैश में बच गया… और इसी बचकानी सोच को हम भी अपने जीवन का आधार बनाकर अपनी ज़िंदगी का अभिन्न हिस्साबना लेते हैं. बहू की तबीयत ठीक नहीं तो उसे उपवास करने से रोकने की बजाय उससे उम्मीद की जाती है और उसकी सराहना भी कि देखोइसने ऐसी हालत में भी अपने पति के लिए उपवास रखा. कितना प्यार करती है ये मेरे राजा से, कितनी गुणी व संस्कारी है. एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करने वाली सुप्रिया कई दिनों से लो बीपी व कमज़ोरी की समस्या झेल रही थी कि इसी बीचकरवा चौथ भी आ गया. उसने अपनी सास से कहा कि वो ख़राब तबीयत के चलते करवा चौथ नहीं कर पाएगी, तो उसे जवाब मेंये कहा गया कि अगर मेरे बेटे को कुछ हुआ तो देख लेना, सारी ज़िंदगी तुझे माफ़ नहीं करूंगी. यहां बहू की जान की परवाहकिसी को नहीं कि अगर भूखे-प्यासे रहने से उसकी सेहत ज़्यादा ख़राब हो गई तो? लेकिन एक बचकानी सोच इतनी महत्वपूर्णलगी कि उसे वॉर्निंग दे दी गई. आज भी हमारे समाज में पत्नियां पति के पैर छूती हैं और उनकी आरती भी उतारती दिखती हैं. सदा सुहागन का आशीर्वाद लेकरवो खुद को धन्य समझती हैं… पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद मिलने पर वो फूले नहीं समाती हैं… ऐसा नहीं है कि पैर छूकर आशीर्वाद लेना कोई ग़लत रीत या प्रथा है, बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद बेहद ज़रूरी है और ये हमारेसंस्कार भी हैं, लेकिन पति को परमेश्वर का दर्जा देना भी तो ग़लत है, क्योंकि वो आपका हमसफ़र, लाइफ़ पार्टनर और साथी है. ज़ाहिर है हर पत्नी चाहती है कि उसके पति की आयु लंबी हो और वो स्वस्थ रहे लेकिन यही चाहत पति व अन्य रिश्तेदारों कीलड़की के लिए भी हो तो क्या ग़लत है? और होती भी होगी… लेकिन इसके लिए पति या बच्चों से अपनी पत्नी या मां के लिए दिनभर भूखे-प्यासे रहकर उपवास करने कीभी रीत नहीं… तो फिर ये बोझ लड़कियों पर क्यों?अपना प्यार साबित करने का ये तो पैमाना नहीं ही होना चाहिए.बेटियों को सिखाया जाता है कि अगर पति दो बातें कह भी दे या कभी-कभार थप्पड़ भी मार दे तो क्या हुआ, तेरा पति ही तो है, इतनी सी बात पर घर नहीं छोड़ा जाता, रिश्ते नहीं तोड़े जाते… लेकिन कोई उस लड़के को ये नहीं कहता कि रिश्ते में हाथ उठानातुम्हारा हक़ नहीं और तुमको माफ़ी मांगनी चाहिए.और अगर पत्नी वर्किंग नहीं है तो उसकी अहमियत और भी कम हो जाती, क्योंकि उसके ज़हन में यही बात होती है कि जो कमाऊसदस्य होता है वो ही सबसे महत्वपूर्ण होता है. उसकी सेवा भी होनी चाहिए और उसे मनमानी और तुम्हारा निरादर करने का हक़भी होता है.मायके में भी उसे इसी तरह की सीख मिलती है और रिश्तेदारों से भी. यही कारण है कि दहेज व दहेज के नाम पर हत्या वआत्महत्या आज भी समाज से दूर नहीं हुईं.बदलाव आ रहा है लेकिन ये काफ़ी धीमा है. इस भेदभाव को दूर करने के लिए जो सोच व परवरिश का तरीक़ा हमें अपनाना हैउसे हर घर में लागू होने में भी अभी सदियों लगेंगी, क्योंकि ये अंतर सोच और नज़रिए से ही मिटेगा और हमारा समाज व समझअब भी इतनी परिपक्व नहीं हुईं कि ये नज़रिया बदलनेवाली नज़रें इतनी जल्दी पा सकें. पत्नी व महिलाओं को अक्सर लोग अपनी प्रॉपर्टी समझ लेते हैं, उसे बहू, बहन, बेटी या मां तो समझ लेते हैं, बस उसे इंसान नहींसमझते और उसके वजूद के सम्मान को भी नहीं समझते.गीता शर्मा 

March 29, 2023

पहला अफेयर: मीठी-सी छुअन (Pahla Affair… Love Story: Meethi Si Chhuan)

मीति और मधुर बचपन से एक ही स्कूल में पढते थे, लेकिन मधुर के पिता का अचानक निधन हो गया और उसे मीति का स्कूल छोड़ सरकारी स्कूल में दाख़िला लेना पड़ा. लेकिन आते-जाते अक्सर दोनों के रास्ते मिल ही जाते थे और उनकी नज़रें मिल जातीं, तो दोनों केचेहरे  पर अनायास मुस्कुराहट आ जाती. स्कूल ख़त्म हुआ तो दोनों ने कॉलेज में एडमिशन ले लिया था. दोनों उम्र की उस दहलीज़ पर खड़े थे जहां आंखों में हसीन सपने पलने लगते हैं. मधुर भी एक बेहद आकर्षक व्यक्तित्व में ढल चुका थाऔर उसके व्यक्तित्व के आकर्षण में मीति खोती जा रही थी. कई बार मधुर ने उसे आगाह भी किया था कि मीति तुम एक रईस पिता की बेटी हो, मैं तो बिल्कुल साधारण परिवार से हूं, जहां मुश्किल से गुज़र-बसर होती है, लेकिन मीति तो मधुर के प्यार में डूब चुकी थी. वहकब मधुर के ख्यालों में भी बस गई थी वह यह जान ही नहीं पाया. मीति कभी नोट्स, तो कभी असाइनमेंट के बहाने उसके पास आ जाती, फिर कभी कॉफी, तो कभी  आइसक्रीम, ये सब तो उसका मधुरके साथ नज़दीकियां बढ़ाने का बहाना था.   अब मीति और मधुर क़ा इश्क कॉलेज में भी किसी से छिपा नहीं रह गया था. करोड़पति परिवार की इकलौती लाडली मीति कोपूरा विश्वास था कि मध्यवर्गीय परिवार के मधुर के कैंपस सेलेक्शन के बाद वह पापा को अपने प्यार से मिलवायेगी. मल्टीनेशनल कंपनी के ऊंचे पैकेज का मेल मिलते ही मधुर ने मीति को अपनी आगोश में ले लिया ऒर वह भावुक हो उठा, ”मीति, तुम तो मेरे जीवन मेंकी चांदनी हो, जो शीतलता भी देती है और चारों ओर रोशनी की जगमगाहट भी फैला देती है. जब हंसती हो तो मेरे दिल में न जानेकितनी कलियां खिल उठती हैं. बस अब मेरी जिंदगी में आकर मेरे सपनों में रंग भर दो.” मीति मधुर के प्यार भरे शब्दों में खो गई और लजाते हुए उसने अपनी पलकें झुका लीं और मधुर ने झट से उसकी पलकों को चूम  लिया था. इस मीठी-सी छुअन से उसका पोर-पोर खिल उठा. वह छुई मुई सी अपने में सिमट गई. लेकिन इसी बीच मीति के पापा ने उसकी ख्वाहिश को एक पल में नकार दिया और मधुर को इससे दूर रहने का फरमान सुना दिया. मधुर उदास पराजित-सा होकर दूर चला गया. दोनों के सतरंगी सपनों का रंग बदरंग कर दिया गया था. मधुर ने अपना फ़ोन नंबर भी बदल दिया था और अपनी परिस्थिति को समझतेहुए मीति से सारे संबंध तोड़ लिये थे.  मीति के करोड़पति पापा ने धूमधाम और बाजे-गाजे के साथ उसे मिसेज़ मेहुल पोद्दार बना दिया. उसका अप्रतिम सौंदर्य पति मेहुल केलिए गर्व  का विषय था. समय के साथ वह जुड़वां बच्चों की स्मार्ट मां बन गई थी. पोद्दार परिवार की बहू बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमतीऔर अपने चेहरे पर खिलखिलाहट व मुस्कान का मुखौटा लगाए हुए अपने होने के एहसास और वजूद को हर क्षण तलाशती-सी रहती. उसे किसी भी रिश्ते में उस मीठी-सी छुअन का एहसास न हो पाता और वह तड़प उठती. सब कुछ होने के बाद भी वह खोई-खोई-सी रहती. इतना सब कुछ पाने के बाद भी वह मधुर की उस मीठी-सी छुअन के विचार से ही वह रोमांचित हो उठती थी... पूरे आठ वर्ष बीत गए थे. वह अपने परिवार और बच्चों के साथ संतुष्ट थी, परंतु आज भी सतरंगी सपनों की उड़ान और गुनगुनाती बयार, मधुर की प्यार भरी मीठी छुअन की चाह, उसके मन को आंदोलित करके भटका ही देती. वह सोचती... वह मधुर से माफी भी तो नहीं मांगपाई... आज भी वह उससे नाराज़ ही होगा. एक शाम वह अकेली ही मॉल के कॉफी शॉप में बैठ कर कॉफी का इंतज़ार कर रही थी. वह फोन पर अपनी नज़रें गड़ाए हुए थी, तभी मानो उसके कानों में सुरीला संगीत बज उठा था. मधुर के वजूद में बसी ख़ुशबू उसके चारों ओर फैल गईं थी. उसकी मीठी-सी छुअनकी भावनाएं पायल की मीठी-मीठी रुनझुन की सी संगीत लहरी उसके कानों में  गूंज उठी थीं. दोनों की नज़रें मिलीं और उसके दिल कीधड़कनें तेज़ हो गईं. “कैसी हो मीति?” “अच्छी हूं और तुम ?”…

March 26, 2023

रिश्तों को लज़ीज़ बनाने के लिए ट्राई करें ये ज़ायक़ेदार रिलेशनशिप रेसिपीज़… (Add Flavour To Your Marriage And Spice Up Your Relationship)

अगर आपको लगता है कि स्वाद सिर्फ़ खाने में ही होता है तो ऐसा नहीं है. ज़ायक़ा तो हर चीज़ का होता है और रिश्ते भी इससे अछूतेनहीं. रिश्तों को भी लज़ीज़ बनाया जा सकता है और उनकी भी अलग ही तरह की रेसिपीज़ होती हैं. तो चलिए ऐसी ही ज़ायक़ेदाररिलेशनशिप रेसिपीज़ के बारे में जानें और अपने रिश्तों को स्वादिष्ट बनाएं. सबसे पहले तो रिश्तों की सामग्री पर ध्यान दें. कितनी मात्रा में क्या डालना और किससे बचना है, चाहे वो प्यार हो या तकरार, अपनापन, लगाव या तनाव.सबसे पहले अपनेपन की मिठास घोलें. रिश्ते को और रिश्तेदारों को आप जब तक अपना नहीं मानेंगे तब तक वो स्वीट नहीं बनेंगे. बेहतर होगा रिश्ते को बोझ न समझकर मन से सबको अपनाएं.प्यार की चाशनी से रिश्तों को सींचें. प्यार होगा तो हर काम आसान होगा. मीठा बोलें, आप जितना स्वीटली बात करेंगे उतना ही सामने वाले के कानों को और मन को अच्छा लगेगा. रोमांस और रोमांच का तड़का भी लगाएं. आपका रिश्ता समय के साथ बोरिंग न बन जाए इसलिए उसमें रोमांस और रोमांच कातड़का ज़रूर लगते रहें.इश्क़ का नमक भी डालना न भूलें. एकदम कॉलेज रोमांस वाले अंदाज़ में पार्टनर से फ़्लर्ट करें. खाने में तेज़ नमक भले ही नुक़सानकरे और स्वाद भी बिगाड़ दे लेकिन रिश्तों में इश्क़ का नमक जितना तेज़ होगा रिश्तों का स्वाद और सेहत उतनी ही अच्छी रहेगी.एक-दूसरे को सरप्राइज़ गिफ़्ट्स या ऑफ़िस में सरप्राइज़ विज़िट दें. कभी छुट्टी के दिन कहीं बाहर न जाकर एक-दूजे के साथ पूरा दिन साथ बिताएं. रोमांटिक म्यूज़िक सुनें. एक साथ खाना बनाएं और अपनी बेडरूम लाइफ़ को भी रिवाइव करें. अपने रिश्ते को रूटीन न बनने दें, बल्कि उसे मसालेदार बनाएं. वीकेंड पर एक-दो दिन के लिए कहीं बाहर जाकर हनीमून पीरियड की यादें ताज़ा करें. एक-दूसरे की तारीफ़ करना न भूलें. चाहे वो उनके काम की हो या उनके प्रयास की. अपने रिश्ते में करारापन ऐड करने के लिए कॉम्प्लिमेंट्स का माइक्रोवेव यूज़ करें. इसमें अपने पार्टनर की तारीफ़ों को डालें औरगर्मागरम परोसें… ‘वाह, तुम्हारी आवाज़ में आज भी वही जादू है जो सबको अपना बना ले’, ‘तुम्हारे आंखें इतनी गहरी हैं कि बसडूब जाने को दिल करता है’, ‘आप आज भी एकदम फ़िट लगते हो…’ इस तरह की मसालेदार बातें आपके रिश्ते को स्पाइसीबनाती हैं.भरोसे के बाउल में सारी सामग्री को घोलें, क्योंकि जब तक रिश्ते में भरोसा नहीं पनपेगा तब तक प्यार, इश्क़ और मिठास इतनाकाम नहीं कर पाएंगे.केयरिंग और शेयरिंग के घी में रिश्तों को पकने दें. सिर्फ़ मीठा बोलकर, इश्क़ लड़ाकर कुछ नहीं होगा जब तक कि आप शेयरऔर केयर जैसी भावनाओं में रिश्तों को नहीं भिगोएंगे. मन कि बातें, अपने सुख-दुख ज़रूर एक-दूसरे से बांटें और एक-दूसरे कीदेखभाल और परवाह करने में भी कसर न छोड़ें.ईमानदारी की डिश पर रखकर सम्मान से गार्निश करके अपने रिश्ते को परोसें. रिश्तों में चीटिंग की कोई जगह नहीं होती इसलिएईमानदार रहें और एक-दूसरे को प्यार के साथ-साथ सम्मान भी दें.  इन अनहेल्दी चीज़ों से बचाएं अपने रिश्ते को… ईगो और ईर्ष्या की तेज़ आंच से बचें. ये रिश्तों को जलाकर ख़ाक कर देती है. झगड़े व तानों की मिर्च से अपने रिश्ते में कड़वापन कभी न घोलें. एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर के जंक फ़ूड से रिश्ते की सेहत ख़राब होगी, इसलिए बाहरी स्वाद के इस आकर्षण से बचें. तनाव के ऑइल में न डूबने दें खुद को भी और अपने रिश्ते को भी, क्योंकि तनावपूर्ण रिश्ता आपके मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्यके लिए ठीक नहीं.ऐसा नहीं है कि लड़ाई झगड़े हों ही नहीं, क्योंकि ये संभव नहीं. जहां प्यार है, वहां तकरार भी होगी लेकिन ये तकरार एकदमसलाद या साइड डिश जैसी होनी चाहिए. ग़ुस्से में कभी मुंह से ऐसा कुछ न कह दें कि बाद में आपको भी पछताना पड़े. संयम की स्वीटडिश हमेशा मौजूद रहनी चाहिए.हल्की नोक-झोंक तो ठीक है लेकिन लड़ाई-झगड़ा इतना ज़्यादा न हो कि आपके प्यार की आइसक्रीम ही पिघल जाए.स्वार्थ और ब्लैकमेलिंग का फैट न चढ़ने दें अपने रिलेशनशिप पर. अक्सर हम अपनी सुविधा के लिए रिश्तों में भी स्वार्थी बन जातेहैं और अपने अनुसार चीजें करवाने के लिए पार्टनर को इमोशनली ब्लैकमेल करने लग जाते हैं. जिससे पार्टनर का आप पर सेभरोसा उठने लगता है और आपका सम्मान भी कम होने लगता है. बेहतर होगा अपने स्वार्थ के फैट की परत इतनी न चढ़ा लें कि डायटिंग की नौबत आ जाए और फिर डायटिंग से भी वो उतर नपाए.हर चीज़ को सिर्फ़ अपने नज़रिए से ही न देखें, बाकी लोगों का नज़रिया भी देखें, वरना रिश्ता या तो बर्फ़ जैसा ठंडा पड़ जाएगाया फिर जले खाने की तरह ही जल जाएगा. पैसों की रोटियों पर अपने रिश्ते की रेसिपी न बनाएं. प्यार और रिश्तों के बीच जब पैसा आ जाता है तो बहुत कुछ ख़राब हो जाताहै. बेहतर होगा संयमित और संतुलित मात्रा में सारे मसाले डालें. पैसों और ज़िम्मेदारियों को लेकर भी शुरुआत से ही साफ़-साफ़सब कुछ तय कर लें ताकि आपका रिश्ता हमेशा फ़्रेश और क्रिस्पी बना रहे. गीता शर्मा 

March 12, 2023

शादी करने से पहले इन 4 बातों को ज़रूर जान लें, नहीं तो पड़ सकता है पछताना (Before Getting Married, You Must Know These 4 Things, Otherwise You May Have To Repent)

इस बात से तो हर कोई वाकिफ़ है कि शादी एक ऐसा बंधन है, जिसके बाद लड़का और लड़की दोनों…

March 1, 2023

पहला अफेयर: चिट्ठी (Pahla Affair… Love Story: Chitthi)

बात उन दिनों की है जब मैं बीए फर्स्ट ईयर में थी. इसी बीच हमारे शहर में भाभी का कज़िन किसी एग्ज़ाम की तैयारी करने आया था. जाहिर है, हमारे घर में ही रुकना था उसे. “ये क्या बात हुई मम्मी, आपने मेरा कमरा उसे क्यों दे दिया?” मम्मी ने मुझे डांट दिया था, “कुछ महीनों के लिए इतना भी एडजस्ट नहीं कर सकती? तुम्हारा कमरा छत पर है, एकांत में, आराम से बैठकर पढ़ लेगा. कल सुबह वो आ रहा है, जरूरत भर का सामान उठाओ और मेरे कमरे में आकर रख लो.” अगली सुबह नवीन का आगमन हुआ और भाभी ने प्यार से उसको गले लगाकर कहा, “तुम्हारा कितना इंतजार हो रहा था. निधि ने अपनाकमरा भी तुम्हारे लिए खाली कर दिया है.“ नवीन सच में बिल्कुल अपने नाम जैसा ही तो था. तरोताज़ा चेहरा, मनमोहक मुस्कान और बेहद विनम्र. “थैंक यू निधि. मैं तुम्हारे रूम का बहुत ध्यान रखूंगा.“ पहली मुलाकात में ही बात ‘तुम’ से शुरू हुई थी जो कि मुझे अच्छा लगा था. नवीन खूब जमकर पढ़ाई करते थे लेकिन तैयारियों के बीचजैसे ही सुस्ताने के लिए कमरे से बाहर आते, धूप में बैठी मम्मी के साथ मटर छीलने में लग जाते. कभी भाभी के साथ धुले हुए कपड़ेफैलाने लगते. मैं छुप-छुपकर किसी ना किसी बहाने से नवीन को देखती रहती. नवीन कितने अलग थे बाकी लड़कों से. मन था जो पंखलगा कर कहीं और उड़ता जा रहा था. कितनी बार ऐसा हुआ जब मैंने भाभी के हाथ से कपड़ों की बाल्टी झटक ली, “आप रहने दो भाभी, मैं फैला आती हूं कपड़े.“ कितनी आवाज़ करके झिटक-झिटककर कपड़े फैलाती कि शायद आवाज़ सुनकर ही नवीन कमरे से बाहर आ जाएं, लेकिन हर बारकोशिश बेकार रहती. फिर थक-हारकर मैंने कुछ गमले छत पर रखवा दिए थे, उनमें पानी देने के बहाने छत पर एक चक्कर और लगजाता था, लेकिन मेरी सारी कोशिशें बेकार थीं. नवीन को तो बस अपनी पढ़ाई, अपने लक्ष्य के आगे और कुछ सूझता ही नहीं था. उस समय मोबाइल फोन नहीं होता था, बल्कि एक लैंडलाइन होता था. इसी बीच घर में एक घटना और होनी शुरू हो गई थी, जब देखोतब लैंडलाइन पर फोन आता था. मम्मी या भाभी उठाती थीं तो कोई उधर से कुछ बोलता ही नहीं था. उस दिन मैंने भैया की बात सुन लीथी, जब वो भाभी को डांट रहे थे, “इसीलिए मैं नहीं चाहता था कि कोई लड़का घर में आकर रहे. देख रही हो ना जब से नवीन आया है, तब से ही ऐसी ब्लैंक कॉल आ रही हैं, पूछ लो उससे कि उसकी कोई गर्लफ्रेंड है क्या जो उसको फोन करती रहती है? इससे पहले तोअपने यहां इस तरह की ब्लैंक कॉल नहीं आईं.” यह बात सच थी. नवीन के आने के तीन-चार दिनों बाद ही इन कॉल्स का सिलसिला शुरू हुआ था और जो शुरू हुआ तो रुकने का नामही नहीं ले रहा था. उस दिन घर पर सिर्फ भाभी और मैं ही थे. थोड़ी देर बाद आकर नवीन ने भाभी से कहा, “आप कह रही थीं मार्केट काकुछ काम है, अभी मैं फ्री हूं, चलना हो तो चलिए.” दो मिनट के अंदर ही भाभी और नवीन मार्केट के लिए निकल गए थे और अगले दस मिनट के अंदर फिर लैंडलाइन फोन बजने लगा था. ऐसा मौका कम ही होता था कि घर में कोई ना हो और मैं फोन उठाऊं, मैंने लपक कर फोन जैसे ही उठाया और हेलो कहा, उधर से किसीलड़के की आवाज़ सुनाई दी, “हेलो! मैं नवीन बोल रहा हूं.” “अरे! क्या हुआ? भाभी ठीक हैं ?अभी अभी तो आप लोग यहां से गए हैं.” नवीन ने जल्दी से कहा, “मैंने तुमसे बात करने के लिए फोन किया है. मैं अक्सर तुमको फोन करता हूं, कोई और फोन उठा लेता है.” मेरीहैरानी की तो कोई सीमा नहीं रह गई थी. जो लड़का सामने बात करता नहीं है, वो बाहर से जाकर मुझे घर पर फोन कर रहा है.…

February 13, 2023

जब पत्नी का ग़ुस्सा हो आउट ऑफ कंट्रोल तो कैसे करें हैंडल? (How to handle when wife’s anger is out of control?)

तुम कभी नहीं सुधर सकते… मुझे तुम्हारा यह नाटक बिल्कुल पसंद नहीं… देखो, मेरा पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया,…

February 7, 2023

लव स्टोरी- दिल के अरमां आंसुओं में बह गए… (Love Story- Dil Ke Armaan Aansuo Me Bah Gaye…)

उसके हाथ में गिफ्ट पैक देखकर मन मचल पड़ा. हाय राम बात यहां तक पहुंच गई? गिफ्ट पैक में क्या…

January 29, 2023

ज़िम्मेदारी से निभाएंगे ड्यूटी, तो बनी रहेगी रिश्तों की ब्यूटी (Smart Ways To Maintain The Beauty Of A Relationship)

रिश्ते अपने आप में खूबसूरत होते हैं और इनकी खूबसूरती छिपी है इनके बंधनों में, इनकी ज़िम्मेदारियों में और इनसे जुड़ी खट्टी-मीठीशिकायतों में. लेकिन अक्सर हम इन चीजों को भूलकर सिर्फ़ इनको बोझ समझने लगते हैं जिससे रिश्तों में नकारात्मकता आ जाती हैऔर इनकी ब्यूटी खोने लगती है.  बेहतर होगा रिश्तों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों को बोझ न समझकर उनको प्यार से निभाएं. यही सोच आपके रिश्ते को खूबसूरत बनाएगी. रिश्तों को लेकर यथार्थ में जीएं. ख़्वाबों की दुनिया में न रहें. रिश्ते अपने साथ खूबसूरती लाते हैं लेकिन उनसे जुड़ी कई जिम्मेदारियां भी होती हैं. अपनी इन ज़िम्मेदारियों को समझदारी और प्यार से निभाएं. सिर्फ़ आप ही नहीं घर में सभी को अपनी जिम्मेदारियां समझनी ज़रूरी हैं. बेहतर होगा आप सभी अपनी-अपनी ड्यूटी बांट लें ताकि किसी एक पर बोझ न पड़े. लेकिन मात्र ड्यूटी बांटने से काम नहीं चलेगा, इन ड्यूटी को ज़िम्मेदारी से निभाना भी उतना ही ज़रूरी है. ये तभी संभव है जब आप सकारात्मक सोच और पूरे मन से अपने रिश्तों के साथ-साथ उनसे जुड़ी ज़िम्मेदारियों को भी अपनाएं. हर रिश्ते में एडजेस्टमेंट होते हैं. आप अकेले नहीं हैं, इसलिए ये सोचना कि अरे मेरी पड़ोसन को देखो कितनी लकी है, रोज़ नईसाड़ी पहनती है, बड़ी गाड़ी है… और घर में सास-ससुर भी नहीं. वो तो ऐश करती है. काश मेरी भी लाइफ़ ऐसी ही होती… वहीं आपकी पड़ोसन ये सोचती है कि कितनी लकी हैं ये. घर में बड़े-बुज़ुर्ग हैं… भरा-पूरा परिवार है. अपनों का साथ है… येअकेलापन तो नहीं जो मेरी ज़िंदगी में है… काश मेरी भी ऐसी ही फ़ैमिली होती… एक बात याद रखिए ख़ुशियां सिर्फ़ सुख-सुविधा या पैसों में ही नहीं होती… प्यार और अपनेपन से उपजती है ख़ुशियां. आपके सिर पर कई जिम्मेदारियां हैं लेकिन ये न सोचें कि अकेले रहने या ज़्यादा पैसा होने पर जिम्मेदारियां या मुश्किलें नहींआतीं. आपकी पड़ोसन अकेले रहती है लेकिन आपने ये भी तो नोटिस किया होगा कि सारे काम भी वो अकेले करती है- बैंक, पोस्टऑफ़िस, ऑफ़िस वर्क से लेकर बाकी सब उसको अकेले करने पड़ते हैं क्योंकि उसके पति तो अक्सर टूर पर रहते हैं. एक बात मानकर चलें कि काम और जिम्मेदारियों से आप बच नहीं सकते, इसलिए रो-रोकर दुखी मन से कुढ़कर करने से बेहतरहै उनको ख़ुशी-ख़ुशी निभाएं. सिर्फ़ महिलाएं ही नहीं, पुरुषों पर भी यही बात और नियम लागू होते हैं कि अगर परिवार है तो काम व जिम्मेदारियां भी होंगी तोबेहतर होगा अपने पार्टनर ब अन्य घरवालों के साथ कदम से कदम मिलाकर काम करें जिससे बोझ का एहसास कम होगा औरआपका मूड भी लाइट रहेगा.रिश्तों की खूबसूरती अपनेपन में ही है. रिश्तों को खूबसूरत बनाए रखने के लिए अपना अहं, क्रोध और ईर्ष्या जैसी भावनाओं सेऊपर उठना ज़रूरी है. गलती हो जाने पर सॉरी कह देने से आप छोटे नहीं होंगे. घर के काम में पत्नी का हाथ बंटाने से आप जोरू के ग़ुलाम नहीं बन जाएंगे. पत्नी की सलाह लेने से आपका पुरुषत्व कम नहीं हो जाएगा. ऑफ़िस से आने के बाद अपना सामान अपनी जगह पर रखने से, अपने कपड़े खुद निकालकर पहनने से और अपने जूतों को खुदपॉलिश करने से आप किसी पर एहसान नहीं करेंगे, बल्कि अपना ही काम करके ज़िम्मेदार बनेंगे और अपना काम अपनी पत्नी याघर की अन्य स्त्री के भरोसे न छोड़ने पर आप उनकी मदद ही करेंगे, क्योंकि इससे उनकी ड्यूटी थोड़ी कम हो जाएगी और वो ख़ुशहोंगी आपको यूं ज़िम्मेदार बनता देख. अक्सर घरों में देखा गया है कि जब भी कोई पुरुष बाहर से आता है तो घर की लड़कियां व महिलाएं उसकी सेवा-पानी में जुटजाती हैं. इसमें कोई बुराई भी नहीं, क्योंकि कोई बाहर से थका-हारा आता है तो उसे चाय-पानी पिलाकर रिलैक्स करना अच्छीबात है, लेकिन जब कोई महिला बाहर से आती है तो उसे कोई पानी की भी नहीं पूछता… ये घर में मौजूद सदस्यों की ड्यूटी वज़िम्मेदारी है, फिर चाहे वो पुरुष हो या महिला कि वो उनको चाय-पानी पिलाकर थोड़ा रेस्ट करने का मौक़ा दें. अगर घर में कोई मेहमान आ जाए तो सभी को मिल-जुलकर काम करना चाहिए और घर के बड़ों को मेहमानों के साथ वक्तगुजरना चाहिए. अगर ननद की सहेली आई है तो देवर और भाभी को काम का मोर्चा सम्भालकर ननद को सहेली संग वक्त चिल करने देना चाहिएऔर अगर भाभी की सहेली आई है तो ननद और देवर को भाभी की ज़िम्मेदारी बांट लेनी चाहिए.अगर सभी लोग पोज़िटिविटी के साथ अपनी ड्यूटी व ज़िम्मेदारियों के प्रति थोड़े फ़्लेक्सिबल होकर ख़ुशी-ख़ुशी काम करें तोरिश्तों की खूबसूरती और बढ़ जाती है. ये न सोचें कि शाम की चाय तो भाभी ही बनाएगी, अगर भाभी को सर्दी-ज़ुकाम हुआ है और वो रेस्ट कर रही है तो आप उनकोअदरक वाली चाय बनाकर पिला दें. इससे वो भी दो कदम आगे बढ़कर आपका साथ देगी. संडे को सबको आराम और छुट्टी का हक़ होता है लेकिन मां का क्या? वो तो लगातार काम करती है और संडे तो और काम बढ़जाता है क्योंकि सबको कुछ न कुछ स्पेशल खाना होता है… क्यों न हर संडे को स्पेशल बनाने के लिए एक ग्रुप बना दिया जाएऔर मां को उस दिन आराम दिया जाए? घर के पुरुष एक संडे कुछ ख़ास बनाकर खिलाएं, इसी तरह घर के युवा किसी एक संडे को कुछ मॉडर्न स्टाइल फ़ूड बनाकरखिलाएं और मां व भाभी को आराम से एंजॉय करने दिया जाए.इस तरह हर संडे को आप अपनी ड्यूटी व ज़िम्मेदारी टर्न बाय टर्न पूरी कर सकते हैं. इससे चेंज भी मिलेगा और ख़ुशियां भी. किसी एक संडे को सभी बाहर डिनर या लंच या मूवी का प्लान रखें.इसी तरह महिलाओं को भी चाहिए कि वो पेपर वर्क, बैंक या पोस्ट ऑफ़िस के काम के लिए सिर्फ़ पुरूषों पर निर्भर न रहें और नये सोच बना लें कि अरे ये काम तो मर्दों का होता है. सबको सब काम आने चाहिएं और अगर आप ये अपेक्षा रखती हैं कि पुरुषघर के काम में मदद करें तो कभी-कभार इमर्जेन्सी में आपको भी बाहर के कामों में उनकी मदद करनी चाहिए.आपसी सहयोग से ही काम होते हैं. वैसे भी आजकल डिजिटल वर्ल्ड में ये सब काम भी बेहद आसान हो गए हैं. टेक्नॉलोजी कोनज़र अंदाज़ न करें, अपडेटेड रहें.आप अपनी ड्यूटी से भाग नहीं सकते इसलिए रोज़ उनका रोना रोने की बजाए ड्यूटी में भी ब्यूटी देखें. उनको इस तरह रोल करकेएक्साइटिंग बनाएं.रिश्ते फ़िल्मी दुनिया की तरह नहीं होते लेकिन उनको किसी पारिवारिक फ़िल्म की तरह रोचक व रंगीन ज़रूर बनाया जा सकताहै, बशर्ते आप हक़ीक़त में जीएं और सच को अपनाएं. खूबसूरती से निभाए गई जिम्मेदारियां आपके रिश्ते को भी ब्यूटीफुल बनाएगी. शिकवे-शिकायत अपनी जगह हैं लेकिन हमेशा कम्प्लेन बॉक्स बनकर न घूमें, सबके ईमानदारी से किए प्रयासों को सराहें औरउनमें खूबियां भी देखें, अगर किसी से कोई गलती भी हो जाए तो उसे अपराधी न महसूस कराएं बल्कि यही समझाएं कि ये किसीसे भी हो सकता है… यही अपनापन है जो आपके रिश्तों को भी सुंदर बनाएगा. पिंकी शर्मा

January 25, 2023
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