हास्य व्यंग्य काव्य- स्त्री की अभिलाषा- चाटुकारपति! (Hasya Vyang Kavya- Stri Ki Abhilasha- Chatukarpati)

सुबह हुई सब पंछी जागे, एक चाटुकार गृहस्वामी अर्धांगिनी से यह बोला-
बीत गई रात सपन की, नयन खोलो देखो, चाय लाया है तुम्हारा पति भोला..

प्राणनाथ के चेहरे पर सजी रहती है हर पल एक बड़ी सी मुस्कान
जो चाटुकार पति ना जान सका महिमा प्राणेश्वरी की वह है पति अज्ञान

पालने में लेटे बच्चे की मुस्कान को देख लगता है ज्यूं जग हो हर्षाया
सोती धर्मपत्नी की मधुर छवि लगती है मनमोहिनी ज्यूं हो कोई महामाया

सर्दियों की गुनगुनी धूप इतराई, पंछियों ने छेड़ी तान
स्नान ध्यान कर पतिदेव ने जलाई धूपबत्ती, लोबान, प्रारंभ किया स्तुतिगान

कामयाब पति है वही ओढ़े रहे जो चाटुकारिता का आवरण
सुलझ जाएगी हर गुत्थी होगा गृहस्थी की समस्याओं का निराकरण

गुरु और बीवी दोनों खड़े, काके लागूं पाय
बलिहारी गुरु आपने, बीवी दियो बताय

घनघोर इस कलयुग में सर्वसुलभ है चाटुकार पतियों की यह वैरायटी
पति करते हैं रसोई में पाक शास्त्र का अभ्यास
देवी चलाती हैं फेसबुक पहने लाल नाइटी

चाटुकार पतियों की ये पुरातन
परंपरा सदियों से है चली आई
पांडवों ने नखरे उठाए द्रौपदी के
तभी तो हुई महाभारत की लड़ाई

गृह स्वामिनी की चाटुकारिता में पद्मश्री पाने का है ये अजब दौर
माता-पिता, दोस्त हुए सब दूर, अर्धांगिनी बिना नहीं कहीं और ठौर

कोई भी अड़चन कर नहीं सकती पुरुषार्थी पति का बाल भी बांका
कमसिन पत्नी संग तंदुरुस्त गुलाब जामुन सा पति
ज्यूं रेशमी कपड़े पर सूती धागे का टांका

ऐईसन चाटुकार पति की कौम जीती है जीवन जश्न के समान
सृजनात्मक समर्पित पति बनें सभी पुरुष
अपनी अर्धांगिनियों का रखें ध्यान…

यामिनी नयन गुप्ता

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Usha Gupta

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