जैसे ही पंडित मोबाइलानंद जी ने पूजा प्रारंभ की पूरे घर में सन्नाटा छा गया. वैसे तो यह अनुष्ठान ऑनलाइन होना था, लेकिन कोविड की सुधरती स्थिति से उत्साहित होकर माता जी अर्थात श्रीमती राधारानी जी ने इसे घर में ही आयोजित करने का निर्णय लिया. वस्तुतः उनका दृढ़ विश्वास था कि मुहल्ले में नियमित आयोजित हो रहे इस व्रत के प्रभाव से ही घर में सुख-शांति आ रही है, जिसके प्रभाव से कोविड भी बीट हो रहा है.
मोबाइलानंद जी ने एक बड़े से 5जी मोबाइल की फोटो रखी और धूप बत्ती जलाते हुए कहा, “ॐ मोबाइलाय नमः” इतना कहते ही उन्होंने घर के सभी सदस्यों से अपने-अपने मोबाइल ला कर पूजा में रखने को कहा. अब बच्चों से लेकर बड़ों तक कोई भी मोबाइल नहीं रखना चाहता था, लेकिन जैसे ही माता राधारानी ने अपना मोबाइल पंडित जी को समर्पित किया और सभी को घूर कर देखा न चाहते हुए भी सभी को अपना मोबाइल वहां रखना पड़ा. खैर पंडित जी ने कथा प्रारंभ की और कहा, “इस कथा का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि घर के सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, जैसे- लैपटॉप, टैब, चार्जर इत्यादि यहां लाकर मोबाइल देव को समर्पित करें.”
वैसे उन्होंने हवन कुंड भी मंगा रखा था, सो बच्चे डर गए कहीं इनकी आहूति न दे दी जाए. बेटा तो घबरा गया कहीं आई फोन आहूति में चला गया तो… और वो बेटी तो रोने लगी, “मेरा आई पैड गया मम्मी.” बेचारे कृष्ण गोपाल जी तो बेज़ुबान से अपना एमआई का चाइनीज़ मोबाइल चुपचाप पहले ही समर्पित कर चुके थे. लोग ज़्यादा नाटक न करें, इसलिए पंडित मोबाइलानंद बोले, “जो अपने गैजेट यहां स्वेच्छा से रख देंगे, उन्हें शाम आठ बजे के बाद व्रत का उद्यापन पूरा होने पर अपना सामान मिल जाएगा और जिसने भी इस महायज्ञ में व्यवधान पैदा किया उसका गैजेट निश्चित रूप से इस हवन कुंड में आहूत कर दिया जाएगा.”
इतना सुनना था कि क्षण भर में घर में छुपे सभी गैजेट बाहर आ गए.
जैसा कि किसी भी कथा के नियम हैं सर्वप्रथम पंडित मोबाइलानंद जी ने उस पर प्रकाश डालना प्रारंभ किया. वे बोले, “आधुनिक युग में सब से प्रभावशाली व्रत कथा मोबाइल व्रत कथा है. इसके करने से घर-परिवार में सुख-शांति आती है, पारिवारिक कलह समाप्त होती है. इतना ही नहीं इस व्रत के करने से रिश्ते-नातों में सुधार होता है. बच्चों के नंबर अच्छे आने प्रारंभ हो जाते हैं. आंखों में निरंतर बढ़ रही जलन शांत होती है. सर्वाइकल, कान दर्द और कमरदर्द में लाभ होता है. घर में लोगों के बीच सौहार्द बढ़ता है. समयाभाव कम होता है. जिन लोगों का भोजन के प्रति विराग पैदा हो गया है, उन्हें फास्ट फूड छोड़ कर भारतीय भोजन के प्रति अनुराग पैदा होता है.”
पंडित जी ने यह भी बताया कि कैसे किसी ने इस कथा का अनादर किया, तो उसका मोबाइल खो गया. फिर जब उसने इस व्रत की कथा को सुना और प्रसाद ग्रहण किया, तो उसका खोया मोबाइल उसी घर में पंद्रह दिन बाद पूजा घर में छुपा मिला. वैसे ही बहुत से लोगों के ऐप और फोटो गैलरी से हिडेन फोटो गायब होने की शिकायत मिली.
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इतना ही नहीं इस युग में मोबाइल व्रत कथा के लाभ अति शीघ्र प्राप्त होते हैं, सो इसे विधि-विधान पूर्वक करनेवाले विद्यार्थियों को अच्छे जॉब मिलने व बड़े कंपटीशन जैसे आईआईटी और मेडिकल में सिलेक्शन जैसे फल भी प्राप्त हुए है. ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा के तीन वर्षीय मोबाइल स्पर्श न करने के अनुष्ठान का क़िस्सा भी सभी को पता ही है.
इस व्रत से घर की नईनवेली बहुएं व माताएं बहुत प्रसन्न नज़र आईं. सभी ने सुंदर वस्त्र पहने थे और घर में लॉकडाउन के पश्चात एक बड़े आयोजन का आनंद उठाते हुए ख़ूब श्रृंगार किए. उधर मोबाइलानंद जी ने अपने व्यक्तिगत मोबाइल को मोबाइल स्टैंड पर फिक्स करा कर इस कथा के लाइव प्रसारण की व्यवस्था भी कर दी थी. सौ से अधिक लोग मोबाइलानंद महाराज के यू ट्यूब चैनल से लाइव जुड़ कर इस कथा का आनंद उठा रहे थे. जैसे-जैसे समय बीत रहा था लाइव जुड़नेवालों की संख्या बढ़ रही थी. इसे देखकर घर में बैठे नए युग के बच्चों में भी गहरी आस्था का संचार हो रहा था. जो बच्चे पूजा-पाठ के नाम से दूर भागते थे वे भी फेसबुक लाइव और यू ट्यूब में अपने आप को देखकर उत्साह से भर उठे थे. वे सभी आगे बढ़ बढ़ कर मोबाइलानंद के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे थे. वे बड़े शान से माथे पर टीका लगवा हाथ में कलावा धागा बांध लाइव स्ट्रीमिंग मोबाइल के कैमरे की फोकस में ख़ुद को सेट कर रहे थे.
मोबाइलानंद भी बड़े प्रभावी ढंग से विस्तारपूर्वक मोबाइल व्रत के लाभ की कथा सुना रहे थे. उन्होंने डू एंड डू नॉट्स ऑफ मोबाइल बताया जैसे कि किस तरह हम इसके सही उपयोग से ठगी और ब्लैकमेलिंग से बच सकते हैं.
कैसे मुसीबत के समय महिलाएं, बुज़ुर्ग और बच्चे हेल्पलाइन नंबर का उपयोग कर सकते है.
हरि अन्तन हरि कथा अनंता की ही तर्ज पर उन्होंने बताया कि मोबाइल अनंत इति कथा अनन्ता अर्थात यह मोबाइल भी आज अपने विस्तार के कारण अनंत फलदाई हो गया है. इसके स्वरूप और गुणों का वर्णन तो साक्षात सेल गुरू मखानी भी नहीं कर सकते.
हां, इस व्रत कथा से बच्चों में जन्मे संस्कार देख कर बड़े-बुज़ुर्ग भी ख़ुश हो उठे थे. सभी को पंडित मोबाइलानंद जी ने अलग-अलग ब्रांड की मोबाइल के सिंबल का टीका लगाया. साथ ही मिष्ठान भंडार वाले ने ख़ास मोबाइल के आकार की बर्फी बनाई थी प्रसाद में चढ़ाने के लिए. वैसे ही फूल-मालाएं और रंगोली भी मोबाइल के आकार में सजा दी गई थीं. वस्तुतः पूरा घर ही आज मोबाइलमय नज़र आ रहा था. कथा के पूर्ण होने पर मोबाइल आरती गाई गई.
ॐ जै मोबाइल देवा, स्वामी जै मोबाइल देवा।
तुमको निश दिन ध्यावत। बाल वृन्द शिक्षक अफसर अरु चैनलवा ।।
इसके बाद आरती में दक्षिणा के लिए मोबाइलानंद जी ने अपना क्योआर स्कैनर भी डिस्प्ले कर दिया था, जिससे ऑनलाइन जुड़े श्रोता भी बड़ी आसानी और श्रद्धा भाव से आरती ग्रहण कर अपनी दान-दक्षिणा दे रहे थे. QR स्कैनर पर धड़ाधड़ सौ-सौ की आरतियां ली जा रही थीं. वहां तो जैसे आरती लेनेवालों की होड़ लगी थी. कुछ ने तो पांच-पांच हज़ार की आरती भी ली. नीचे कमेंट लिखा- यह हमारी मान्यतापूर्ण होने के फलस्वरूप. यह देख श्रोताओं के श्रद्धा भाव की सीमा न रही. वह यजमान जो पंडित जी को मात्र सवा सौ की दक्षिण में विदा कर देते थे उन्होंने बड़े ही शान से पांच सौ का नोट निकाला. घर के बच्चे तो गुल्लक तोड़ कर दक्षिणा देने को आमादा थे, लेकिन पंडित जी ने बच्चों को अलग बिठा कर उनसे दक्षिणा के बदले वचन देने को कहा. उन्होंने सभी बच्चों को बुला कर यह वचन लिया कि वे इस कथा के श्रवण के बाद अपने मोबाइल पर कभी भी पोर्न साइट नहीं देखेंगे और न ही किसी के कहने में आ कर एडल्ट चैट करेंगे.
बच्चों को मोबाइलानंद जी के इस छुपे ज्ञान को जान कर उन पर अगाध श्रद्धा हो उठी. यह बात उन्होंने घर के बड़े-बुज़ुर्गों को भी नहीं बताई, लेकिन जब बच्चे ख़ुशी-ख़ुशी बाहर निकले, तो माता-पिता की श्रद्धा इस व्रत पर और बढ़ गई. महिलाओं ने आज अपने सीक्रेट बटुए खोल कर दक्षिणा दी थी, क्योंकि बच्चों ने चुपचाप यह बात मम्मी को बताई थी, जिसका लाभ उठाते हुए उन्होंने यह हिदायत बच्चों के पापा को भी दे दी थी.
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आज मोबाइल व्रत कथा समाप्त होने के पश्चात घर के लोगों में एक साथ बैठकर हंसने-बोलने और मिलकर एक साथ खाना खाने की प्रवित्ति भी पाई गई. हर व्यक्ति थोड़ी-थोड़ी देर में अपने मोबाइल की ओर लपकता, लेकिन पंडित जी द्वारा बताए हुए अनिष्ट के डर से किसी की भी हिम्मत मोबाइल को हाथ लगाने की नहीं हो रही थी. दिल में हूक तो उठती, लेकिन सब कंट्रोल करके एक-दूसरे पर हंसते. आज हाथ की उंगलियां और आंखें भी रिलैक्स फील कर रही थीं.
मोबाइल न होने के कारण आज कृष्ण गोपाल जी को भी पार्क में घूमने और दोस्तों से मिलने जाने की ज़रूरत नहीं महसूस हुई. वैसे ही उनके बेटे को भी मार्केट जाने का मन नहीं हुआ. आज बेटी भी घर के काम में अपनी मां का हाथ बंटाती दिख रही थी. आज घर में खाना बड़ी तबीयत से बना. पूरी-सब्ज़ी के साथ ही बड़े दिनों बाद कढ़ी, दही वड़े और दो तरह की चटनी बनी. आज चाय के साथ पकौड़े बने किसी ने मैगी की ज़िद नहीं की. मज़ा यह कि आज दिन ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था. टाइम काटे नहीं कट रहा था, सो सब आपस में गप्पें मारते मिले. बड़े दिनों बाद आज घर में अंताक्षरी और लूडो खेला गया. इतना ही नहीं शाम होते-होते पुरानी फोटो का एल्बम भी निकल आया. कारण यह कि मोबाइल न होने से किसी के पास अपनी फोटो गैलरी देखने का ऑप्शन ही नहीं था. घर में जो महीनों से खींचतान का माहौल चल रहा था, जिसमें सभी भीतर-भीतर कहीं न कहीं शिकायतें लेकर बैठे थे और कह नहीं पा रहे थे उसे कहने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी. सबको विश्वास हो गया था कि कोई ग़लत नहीं है, सभी अच्छे लोग हैं. ख़ैर आपसी प्रेम एक बार फिर इतना बढ़ गया कि शाम को अड़ोस-पड़ोस के लोगों के साथ कॉलोनी के लॉन में पिकनिक मनाने का कार्यक्रम बना. कारण यह कि जिस-जिस ने भी मोबाइल व्रत कथा सुनी थी, सभी ने अपने मोबाइल ऑफ करके रखे थे, जिससे इस कथा का पूर्ण लाभ मिल सके. सो इस प्रकार मात्र एक दिन के व्रत से प्राप्त हुए फल को देखते हुए यह मोबाइल व्रत कथा लगातार प्रसिद्धि प्राप्त कर रही है और अनंत फलदायी हो चुकी है. सो मेरा सभी पाठकों से अनुरोध है कि शीघ्रातिशीघ्र वे भी बंधु-बांधवों सहित इस महान कथा का आयोजन कर अपने जीवन में पुण्य के भागी बनें और अपने घर को धन-धान्य परिपूर्ण बनाने के साथ ही अपने बच्चों व परिवार के सदस्यों का जीवन सुंदर बनाने का प्रयास करें.
इति मोबाइल व्रत कथा अंतिम अध्याय समाप्तम!
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