लघुकथा- लोभ का कुआं (Short Story- Lobh Ka Kuan)

पंडित का अहंकार सामने आ गया- ‘मैं राज पंडित एक गडरिए का शिष्य बनूं?’ पर अपने स्वार्थ हित मानना पड़ा.
गडरिए ने एक भेड़ का दूध निकाला और कहा, “मैं तुम्हें अपना चेला तब बनाऊंगा, जब तुम मेरा झूठा दूध पी लोगे.”
पंडित का अहंकार फिर जागा- ‘ब्राह्मण और गडरिए का झूठा दूध पिए? दो कोड़ी का आदमी!’
गडरिए ने शांत भाव से उत्तर दिया, “तो जाओ मैं पारस नहीं दूंगा.” पंडित गडरिए का झूठा दूध पीने को भी तैयार हो गया.

राजा भोज को यह जानने की इच्छा हुई कि ‘ऐसा कौन-सा कुआं है, जिसमें गिरने पर फिर कोई बाहर नहीं आ पाता?’ सभा में इसका कोई उत्तर नहीं दे पाया, तो उन्होंने राज पंडित से कहा, “मुझे अगले सात दिन में इसका उत्तर चाहिए नहीं तो तुम्हारे सब पुराने पुरस्कार छीन कर तुम्हें देश से निकाल दिया जाएगा.”
छह दिन बीत गए. राज पंडित को बहुत सोचने पर भी कोई उत्तर नहीं मिला. राजा के कोप से बचने के लिए वह शहर छोड़ जंगल में चला गया, जहां उसकी एक गडरिए से भेंट हुई.

यह भी पढ़ें: चेहरे पर न बांधें अहंकार की पट्टी (Signs Of An Arrogant Person)

राज पंडित से उसकी उदासी का कारण पूछने पर पंडित ने सब कुछ विस्तार से उसे कह सुनाया.
गडरिए ने कहा, “मेरे पास एक पारस पत्थर है. लोहे को उसे छूने भर से वह सोना बन जाता है. यूं तुम्हारी आर्थिक समस्या का हल हो जाएगा. पर मैं उसे दूँगा तब जब तुम मेरे शिष्य बन जाओगे.”
पंडित का अहंकार सामने आ गया- ‘मैं राज पंडित एक गडरिए का शिष्य बनूं?’ पर अपने स्वार्थ हित मानना पड़ा.
गडरिए ने एक भेड़ का दूध निकाला और कहा, “मैं तुम्हें अपना चेला तब बनाऊंगा, जब तुम मेरा झूठा दूध पी लोगे.”
पंडित का अहंकार फिर जागा- ‘ब्राह्मण और गडरिए का झूठा दूध पिए? दो कोड़ी का आदमी!’
गडरिए ने शांत भाव से उत्तर दिया, “तो जाओ मैं पारस नहीं दूंगा.” पंडित गडरिए का झूठा दूध पीने को भी तैयार हो गया.
गडरिया बोला, “सामने जो मनुष्य का कंकाल पड़ा है. उसकी खोपड़ी में मैं दूध दोहूंगा, उसे झूठा करूंगा, कुते को भी चटवाऊंगा, फिर तुम्हें पिलाऊंगा, तब मिलेगा पारस.”
पंडित बहुत देर तक सोच-विचार करता रहा. फिर बोला, “है तो बहुत कठिन पर लाओ, पिलाओ. मैं तैयार हूं.”

यह भी पढ़ें: ज्ञानी होने का दावा (Gyani Hone Ka Dawa)

गडरिए ने पूछा, “मिल गया जवाब? यही तो वह कुआं है- लोभ का, तृष्णा का कुआं, जिसमें एक बार आदमी गिरने लग जाए, तो फिर कभी नहीं उभरता. जैसे तुम पारस पाने के लोभ में गिरना शुरु हुए तो फिर गिरते ही चले गए.”

संत कबीर भी तो कह गए हैं-
मन मरे, मायामरे, मर मर गये शरीर।
आशा, तृष्णा न मरे, कह गये संत कबीर।।

– उषा वधवा

अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES


Photo Courtesy: Freepik


अभी सबस्क्राइब करें मेरी सहेली का एक साल का डिजिटल एडिशन सिर्फ़ ₹399 और पाएं ₹500 का कलरएसेंस कॉस्मेटिक्स का गिफ्ट वाउचर.

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

सिकंदरच्या सेटवर सलमान खानने बालकलाकारांना केलं खुश, छोटी छोटी स्वप्न केली साकार(Salman Khan Fulfills Dreams Of Kids During Shoot of Sikandar, Buys Gifts For Them)

सलमान खानचा 'सिकंदर' हा चित्रपट निर्मात्यांच्या आणि स्वतः भाईजानच्या अपेक्षांवर खरा उतरला नाही. चित्रपटाचा खर्च…

April 11, 2025

सुष्मिता सेनची वहिनी ऑनलाईन विकतेय कपडे, आर्थिक परिस्थितीमुळे सोडावी लागली मुंबई (Sushmita Sen’s ex-bhabhi Charu Asopa sells clothes online, leaves Mumbai )

राजीव सेनपासून घटस्फोट घेतल्यानंतर, सुष्मिता सेनची वहिनी चारू असोपाने मुंबईला निरोप दिला आहे. आर्थिक संकटामुळे,…

April 11, 2025

“मिशन मुंबई” ॲक्शन चित्रपटाच्या चित्रीकरणाला सुरुवात (Shooting of action film “Mission Mumbai” begins)

ॲक्शन चित्रपटाची क्रेझ साउथ चित्रपटांसोबतच बॉलिवूड मध्येही असते. आता ती मराठी चित्रपटात पाहायला मिळेल. “मिशन…

April 11, 2025

समर हेल्थ: गर्मी के मौसम में ऐसे रखें अपना ख़्याल (Summer Health: Take care of yourself in summer season)

समर में चिलचिलाती धूप और बढ़ती गर्मी की वजह से स्वास्थ्य बिगड़ने में ज़्यादा देर…

April 11, 2025

‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ या चित्रपटाची ३०वर्षांनंतरही जादू कायम (Shah Rukh Khan, Kajol’s Dilwale Dulhania Le Jayenge statue to be unveiled at Leicester Square in London)

बॉलिवूडच्या इतिहासातील एक अजरामर प्रेमकथा ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ (DDLJ) आता अधिक खास बनली आहे.…

April 11, 2025
© Merisaheli