हल्का-फुल्का झगड़ा कभी-कभी गंभीर हो जाता. सरस को रुहानी के झगड़े से घुटन होने लगती, ‘यह कोरोना ज़रूर उसकी गर्लफ्रेंड को लेकर छोड़ेगा…‘
लेकिन मम्मी-पापा की दवाई लानेवाला नुस्ख़ा उसे कुछ सही लग रहा था.
कोरोना काल में सभी घर में रहने को मजबूर थे और साथ ही सरस और रुहानी भी. दोनों ने साथ ही बीटेक और एमबीए किया था. अभी दोनों की नई-नई नौकरी लगी ही थी कि कोरोना ने दस्तक दे दी.
लाॅकडाउन से निबटे भी तो क्या, वर्क फ्रॉम होम में पिस गए. दोनों अब इस बंधे बंधाए रूटीन से ऊब गए थे. आख़िर कितने मैसेजेस करें और कितनी फोन पर बातें करके दिल बहलाएं. दीदार और आंखें चार की बात ही कुछ और होती है.
रुहानी दूसरे शहर से आई थी और ऑफिस की अपनी एक सहकर्मी के साथ किराए का कमरा लेकर रह रही थी. सर्दी से शुरू हुआ कोरोना, गर्मी की अपनी यात्रा पूरी कर रहा था. रुहानी जब-तब फोन पर सरस से झगड़ पड़ती, “डरपोक कहीं का… प्रेमी प्यार में चांद-तारे तोड़ लाते हैं… पहाड़ खोदकर नदी का रुख मोड़ देते हैं… और एक तुम हो, जो मुझसे मिलने नहीं आ सकते.”
“अरे, कैसे आऊं. घर से बाहर निकलते ही मम्मी मेरी टांगें तोड़ देगीं… पापा मेरी मोटरसाइकिल पंचर कर देंगे.”
“तू मेरे लिए और क्या करेगा, जब मिलने भी नहीं आ सकता. नौकरी पर आ गए हैं हम और काॅलेज स्टूडेंट जैसी बातें करता है.” रुहानी उसे उकसाती.
“तेरा क्या, नीचे उतरकर, घर से थोड़ी दूर चलकर खड़ी हो जाएगी. आना तो मुझे ही पड़ेगा ना वहां तक. बाहर जाने के नाम पर पापा हज़ार सवाल करेंगे.”
“अरे, तो घर का कोई सामान लाने के बहाने या फिर कोई दवाई नहीं खाते तेरे मम्मी-पापा. कह देना आपकी दवाई ख़त्म हो गई हो, तो ले आता हूं.” दबंग रुहानी सरस को राह सुझाती.
“तेरे दिमाग़ का भी जवाब नही, पढ़ाई में लगाया होता, तो आज आईएएस अफ़सर होती.” सरस रुहानी के मुक़ाबले सरल स्वभाव का था.
“जवाब तो तेरे दिमाग़ का भी नहीं है, जिसमें गोबर भरा है.” सुनकर सरस कुढ जाता.
हल्का-फुल्का झगड़ा कभी-कभी गंभीर हो जाता. सरस को रुहानी के झगड़े से घुटन होने लगती, ‘यह कोरोना ज़रूर उसकी गर्लफ्रेंड को लेकर छोड़ेगा…‘
लेकिन मम्मी-पापा की दवाई लानेवाला नुस्ख़ा उसे कुछ सही लग रहा था. अभी वह अपनी उधेड़बुन में था कि तभी मम्मी की आवाज़ सुनाई दी, “सरस…”
“जी मम्मी, आपकी दवाई लानी है क्या..?”
“दवाई… कौन-सी दवाई?” सुमिता चौंककर बोली, “शुभ शुभ बोल. मैं तो अभी तक विटामिन्स के अलावा कोई दवाई नहीं खाती हूं.”
अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें…
सुधा जुगरान
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