कहानी- अपना अपना सहारा 5 (Story Series- Apna Apna Sahara 5)

मयंक की आंखों से आंसू गिरने लगे.

मन्दिरा ने घबराकर पूछा, “क्या हुआ?”

उसने कहा, “मैं एयरपोर्ट जा रहा हूं, प्रियंका को रोकने के लिए.”

“मैं भी साथ चलूंगी.”

लेकिन जब दोनों एयरपोर्ट पहुंचे, तो प्रियंका की फ्लाइट जा चुकी थी. मन्दिरा ने कहा, “हम लोगों ने देर कर दी. अपना सहारा ख़ुद ही खो दिया.”

प्रियंका ने जाते-जाते बस इतना ही कहा, “मैं आदित्य को आप लोगों से मिलाने लाई थी. तुषार का प्रतिरूप दिखाने आई थी, अपना हक़ मांगने नहीं आई थी. मुझे तो तुषार पहले ही आदित्य के रूप में अपना हक़ दे गया. मुझे कुछ नहीं चाहिए. वैसे भी मैं इसे इसलिए लाई थी कि शायद इससे आप लोगों के जीवन में फिर से ख़ुशी आ जाए.”

प्रियंका ने जैसे मयंक-मन्दिरा के जीवन में हलचल मचा दी थी. दोनों इस बात को मानने के लिए तैयार ही नहीं थे कि आज के ज़माने में भी लोग प्यार में इतना बड़ा क़दम बिना किसी स्वार्थ के उठा सकते हैं और अगर उन्होंने उसे स्वीकार कर भी लिया तो क्या समाज इसे मानेगा.

सुबह जब मयंक सोकर उठे तो मन्दिरा बैठकर पहले का फ़ोटो एलबम देख रही थी. तुषार जब छ: महीने का था तब का फ़ोटो देखकर वो मयंक को देखने लगी. मयंक ने देखा आदित्य एकदम वैसे ही है. तभी फ़ोन की घण्टी बजी. मयंक ने फ़ोन उठाया, प्रियंका की भाभी थी. उन्होंने कल के व्यवहार पर दोनों को ख़ूब बातें सुनाईं और कहा, “वो आप लोगों को सहारा देने आई थी. सोचा था, उसके पास तो आदित्य है, पर आप लोगों के पास क्या है? मगर आप लोगों ने उसे बेइ़ज़्ज़त करके घर से निकाल दिया. आज वो हमेशा के लिए अमेरिका वापस जा रही है.”

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फ़ोन कट गया.

मयंक की आंखों से आंसू गिरने लगे.

मन्दिरा ने घबराकर पूछा, “क्या हुआ?”

उसने कहा, “मैं एयरपोर्ट जा रहा हूं, प्रियंका को रोकने के लिए.”

“मैं भी साथ चलूंगी.”

लेकिन जब दोनों एयरपोर्ट पहुंचे, तो प्रियंका की फ्लाइट जा चुकी थी. मन्दिरा ने कहा, “हम लोगों ने देर कर दी. अपना सहारा ख़ुद ही खो दिया.”

तभी मयंक ने कहा, “नहीं, अभी देर नहीं हुई है. हम लोग ख़ुद उसके पास चलेंगे. चलो अभी पासपोर्ट ऑफ़िस चलते हैं. इससे पहले कि देर हो जाए अमेरिका के वीजा के लिए अप्लाई करना है.”

और दोनों हाथ पकड़कर पासपोर्ट ऑफ़िस चल दिये. नए उत्साह से अपना सहारा वापस लाने.

– नीतू

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Usha Gupta

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