कहानी- अपना अपना सहारा 4 (Story Series- Apna Apna Sahara 4)

मयंक ने प्रियंका की बात सुनते ही तेज़ आवाज में कहा “तो तुम यह कहना चाहती हो कि यह बच्चा मेरे बेटे का है और तुम उसकी बिनब्याही मां हो, वो भी उसके मरने के दो साल बाद. क्या तुमने हम लोगों को पागल समझ रखा है? हम लोग बूढ़े ज़रूर हुए हैं, पागल नहीं. माना मेरा बेटा तुमसे प्यार करता था, मगर तुम किसी और के पाप को हमारे सिर क्यों मढ़ने आई हो?”

दूसरे ही दिन मैं स्पर्म बैंक गई. वहां से मुझे पता चला कि स्पर्म के फ्रीज होने का टाइम ख़त्म हो गया है. उसके प्रयोग करने या न करने का अधिकारी क़ानूनी तौर पर तुषार मुझे बना गया था. मैंने उसकी अवधि एक महीने और बढ़ा दी और वापस भारत आ गई. मैंने जब अपना यह फैसला कि मैं आर्टिफ़िशियल इनसेमीनेशन द्वारा तुषार के बच्चे की मां बनूंगी, भइया को सुनाया तो उन्होंने मुझे बहुत समझाया. समाज का वास्ता दिया, मगर मैं नहीं मानी. वापस अमेरिका आकर यहां की नागरिकता भी आसानी से मिल गयी. फिर तुषार ने मुझे क़ानूनी तौर पर अपने स्पर्म का अधिकार दिया था, तो वो भी क़ानूनन उस बच्चे का पिता था. आख़िर मैंने आर्टिफ़िशियल इनसेमीनेशन कर लिया. इस बीच भइया का कोई फ़ोन नहीं आया. मेरा आठवां महीना चल रहा था.

तभी भाभी मेरे पास आ गई. फिर मैंने आदित्य को जन्म दिया. पूरे तीन महीने भाभी मेरे साथ थीं. उन्होंने मेरे फैसले में पूरा साथ दिया. अब आदित्य पूरे छ: महीने का हो गया है…”

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मयंक ने प्रियंका की बात सुनते ही तेज़ आवाज में कहा “तो तुम यह कहना चाहती हो कि यह बच्चा मेरे बेटे का है और तुम उसकी बिनब्याही मां हो, वो भी उसके मरने के दो साल बाद. क्या तुमने हम लोगों को पागल समझ रखा है? हम लोग बूढ़े ज़रूर हुए हैं, पागल नहीं. माना मेरा बेटा तुमसे प्यार करता था, मगर तुम किसी और के पाप को हमारे सिर क्यों मढ़ने आई हो?”

मन्दिरा ने भी मयंक की हां में हां मिलाते हुए कहा, “हम तुम्हें अच्छी लड़की समझते थे, मगर तुम्हारा इरादा जानकर मुझे नफ़रत होती है. आज के ज़माने में कोई प्यार में पागल होकर इस हद तक नहीं जा सकता. आजकल सच्चा प्यार है ही कहां. तुमने क्या सोचा कि हम तुम्हारी बातों में आ जाएंगे? तुम अभी चली जाओ यहां से.”

– नीतू

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Usha Gupta

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